30 हजार में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने वाला अस्पताल कर्मी गिरफ्तार
तीस हजार रुपये का इंजेक्शन लेकर पीड़ित अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि वह नकली है. इंजेक्शन की व्यवस्था होने से पहले ही पीड़ित के चाचा की मौत हो चुकी थी.
highlights
- नांगलोई पुलिस को एक व्यक्ति ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे जाने की खबर दी
- कमल और दीपक नामक दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया
- दोनों के पास से 15 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 34 हजार रुपये, एक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद हुआ
नई दिल्ली:
कोरोना की दूसरी लहर से देश में हाहाकार मचा हुआ है. हर रोज रिकॉर्ड लाखों की संख्या में नए मरीज सामने आ रहे हैं. इतनी बड़ी संख्या में नए मरीज सामने आने से अस्पतालों में बेड्स, दवाओं और ऑक्सीजन की काफी कमी हो गई. और जिस तरह कोरोना वायरस के मामलों में बढ़ोतरी हुई है, उसी तरह इस घातक वायरस को मात देने वाली दवाइयों की कालाबाजारी भी बढ़ गई है. दिल्ली में दवाओं की ब्लैकमार्केटिंग और नकली इंजेक्शन के कालेधंधे में अस्पतालों के स्टाफ का भी कनेक्शन सामने आ रहा है. नांगलोई पुलिस ने ऐसे ही मामले का पर्दाफाश किया है. जहां, शालीमार बाग के एक अस्पताल में बतौर डायलिसिस स्टाफ काम करने वाला व्यक्ति फेक रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने में गिरफ्तार हुआ है. दरअसल, नांगलोई पुलिस को एक व्यक्ति ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचे जाने की खबर दी. फोन करने वाले पीड़ित ने बताया कि उसे अपने चाचा के इलाज के लिए रेमडेसिविर की जरूरत थी तो उसने इंटरनेट से सर्च किया. एक व्यक्ति ने रोहिणी एरिया में इंजेक्शन उपलब्ध कराने की बात कही. तीस हजार रुपये का इंजेक्शन लेकर पीड़ित अस्पताल पहुंचा तो पता चला कि वह नकली है. इंजेक्शन की व्यवस्था होने से पहले ही पीड़ित के चाचा की मौत हो चुकी थी.
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए एसीपी नांगलोई मिहिर सकरिया की टीम ने जांच शूरू की. टेक्निकल सर्विलांस से कमल और दीपक नामक दो आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया. पता चला कि 25 वर्षीय कमल शालीबार बाग स्थित एक अस्पताल में डायलिसिस स्टाफ है और दूसरा गिरफ्तार हुआ 29 वर्षीय व्यक्ति उसका रूम पार्टनर. दीपक घरों पर नर्स की सुविधा उपलब्ध कराने वाला होम केयर सर्विस चलाता है. दोनों के पास से 15 नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन, 34 हजार रुपये, एक ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद हुआ.
बता दें कि कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन की बेहद अधिक डिमांड है, जिसके चलते इसकी कालाबाजारी हो रही है. लोग किसी भी कीमत पर इस इंजेक्शन को खरीदने के लिए तैयार हैं, यही कारण है कि इस इंजेक्शन की बढ़ती डिमांड को देखते हुए दवा माफिया हावी हो गए हैं. वहीं पुलिस भी इनके खिलाफ सख्त कदम उठा रही है.
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