एफआईईओ ने आरबीआई से एलओयू पर बैन हटाने की मांग की, पीएनबी घोटाले के बाद लगा था बैन
एफआईईओ ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटाने की मांग की है।
highlights
- एफआईईओ ने एलओयू पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटाने की मांग की है
- एफआईईओ ने कहा कि निर्यातकों पर काफी ज्यादा दवाब बन रहा है
- पीएनबी घोटाले के बाद आरबीआई ने एलओयू पर प्रतिबंध लगाया था
नई दिल्ली:
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (एफआईईओ) ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) पर लगे पूर्ण प्रतिबंध को हटाने की मांग की है।
एफआईईओ ने कहा कि एलओयू पर पूर्ण प्रतिबंध से निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा और इससे निर्यात में प्रतियोगिता कम होगी।
एफआईईओ ने आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर इस अत्यंत महत्वपूर्ण वित्तीय दस्तावेज को फिर से लाने की मांग की है।
साथ ही एफआईईओ के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि सरकार को इस गतिरोध को खत्म करने के लिए कदम उठाने होंगे।
एफआईईओ के निदेशक अजय सहाय ने कहा, 'एलओयू कई सालों से ऑपरेशन में थे, इसलिए एक खामी से आप ऐसे दस्तावेजों को खत्म नहीं कर सकते हैं। इसकी उपयोगिता को देखिए। इस तरह के दस्तावेज पूरे विश्व में उपयोग होते हैं तो फिर क्यों अपने निर्यातकों और आयातकों से इसे छीन रहे हैं?'
आरबीआई के एलओयू के प्रतिबंधों पर एफआईईओ ने कहा कि यह सिर्फ जेम्स और ज्वेलरी क्षेत्र में उपयोग नहीं होते हैं बल्कि टेक्सटाइल और लेदर इंडस्ट्री भी एलओयू का उपयोग कर रही है।
अजय सहाय ने कहा कि एलओयू के बैन से जेम्स और ज्वेलरी सेक्टर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा, यह निर्यातकों पर काफी ज्यादा दवाब बना रहा है इसलिए सरकार को इस मामले पर सीधा निर्देश देना चाहिए।
बता दें कि इस साल फरवरी में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले सामने आने के बाद आरबीआई ने बैंकों को एलओयू जारी करने पर प्रतिबंध लगा दिया।
इस घोटाले के मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पीएनबी के एक ब्रांच से फर्जी एलओयू के जरिये विदेशों में दूसरे भारतीय बैंकों से पैसे निकाले थे। नीरव मोदी बकाए का बिना भुगतान किए इसी साल जनवरी महीने में विदेश फरार हो गए।
क्या है एलओयू:
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) बैंक गारंटी देने का एक प्रावधान है जिसके तहत एक बैंक अपने ग्राहकों को किसी दूसरे भारतीय बैंक के विदेशी शाखा से शॉर्ट टर्म क्रेडिट के रूप में पैसे लेने की इजाजत देता है।
यदि पैसे लेने वाला खाताधारक डिफॉल्टर हो जाता है तो एलओयू कराने वाले बैंक की जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाये का भुगतान करे जिससे उसके ग्राहक ने पैसे लिए थे।
पीएनबी के अधिकारियों ने गलत तरीके से नीरव मोदी को लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) दिया जिसके आधार पर वह दूसरे बैंकों से विदेश में कर्ज लेने में सफल रहा।
और पढ़ें: हीरा व्यापारी नीरव मोदी के खिलाफ हॉन्ग कॉन्ग हाई कोर्ट पहुंचा पंजाब नेशनल बैंक
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