अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के संकेत, RBI गवर्नर शक्तिकांत दास का बड़ा बयान
रिजर्व बैंक के गवर्नर ( RBI Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए अहम कदम उठाए जा रहे हैं. कोरोना काल में फरवरी के बाद अब तक 9.57 लाख करोड़ की लिक्विडिटी का ऐलान किया जा चुका है.
नई दिल्ली:
भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank) के गवर्नर (Governor) शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) ने कहा है कि कोरोना वायरस महामारी 100 साल का सबसे बड़ा संकट है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस संकट यानि फरवरी से अबतक रेपो रेट में 1.35 फीसदी कटौती की जा चुकी है. उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सिस्टम में सरप्लस लिक्विडिटी बनाए रहने पर ज़ोर है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस महामारी (Coronavirus Epidemic) से निपटने के लिए अहम कदम उठाए जा रहे हैं. कोरोना काल मे फरवरी के बाद अब तक 9.57 लाख करोड़ की लिक्विडिटी का ऐलान किया जा चुका है.
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वितीय स्थिरता के साथ-साथ ग्रोथ को बनाये रखने पर ज़ोर
उन्होंने कहा कि वितीय स्थिरता के साथ-साथ ग्रोथ को बनाये रखने पर ध्यान दिया जा रहा है. इसके अलावा सिस्टम में पर्याप्त नगदी बनाये रखने पर भी फोकस है. हमने बैंकों और एनबीएफसी से कहा है कि वे कोरोना के मद्देनजर अपने बैलेंसशीट पर पैनी नजर रखें और कोविड स्ट्रेस टेस्ट करते रहें. आरबीआई की हालात पर पैनी नजर है. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वजह से बैंकों का एनपीए (Non Performing Asset-NPA) बढ़ सकता है. एनपीएफसी और म्यूचुअल फंड की निगरानी ज़रूरी है.
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने के संकेत मिल रहे हैं. उन्होंने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने हमारे आर्थिक तंत्र को संरक्षित रखने, मौजूदा संकट में अर्थव्यवस्था को सहयोग देने के लिए कई कदम उठाए हैं.
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कोरोना वायरस का भारतीय अर्थव्यवस्था पर काफी नकारात्मक असर पड़ा: रघुराम राजन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रघुराम राजन ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के हल्के संकेत दिख रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस का भारत की अर्थव्यवस्था के ऊपर काफी नकारात्मक असर दिखाई पड़ा है. यही वजह है कि भारत की आर्थिक ग्रोथ (GDP Growth Rate) में काफी गिरावट देखने को मिली है. उन्होंने कहा कि हालांकि अब अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत दिखाई पड़ने लग गए हैं. बता दें कि रघुराम राजन मौजूदा समय में शिकागो बूथ स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स में प्रोफेसर हैं और पूर्व में वो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुख्य अर्थशास्त्री भी रह चुके हैं. (इनपुट एजेंसी)
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