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PTI के 2 दर्जन सांसद PM से खफा, इमरान खान के विरोध में करेंगे मतदान

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जहांगीर तरीन समूह के सदस्य रियाज ने कहा कि असंतुष्ट सदस्य प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेंगे.

Updated on: 17 Mar 2022, 11:57 PM

नई दिल्ली:

पाकिस्तान  के प्रधानमंत्री इमरान खान का संकट बढ़ गया है. विपक्ष के साथ उनकी पार्टी के ढेर सारे सांसद उन्हें सत्ता से हटाने के लिए लामबंद हो गए है. प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को सत्ता से हटाने के लिए उनकी ही राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (Pakistan Tehreek-e-Insaf) के कई सांसदों ने विपक्ष के साथ जुगलबंदी कर ली है. जल्द ही इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की भी तैयारी की जा रही है. प्रस्ताव से पहले ही PTI के कई सांसदों ने इमरान के खिलाफ नाराजगी दिखानी शुरू कर दी है.   

पाकिस्तान की सत्ताधारी पीटीआई के कम से कम दो दर्जन असंतुष्ट एमएनए को पार्लियामेंट लॉज में पुलिस कार्रवाई के बाद सिंध हाउस में स्थानांतरित कर दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, गुरुवार को पीटीआई के विद्रोही नेता राजा रियाज ने यह दावा किया.

राजा रियाज ने दावा किया कि यदि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान सभी एमएनए को आश्वासन देते हैं कि अविश्वास प्रस्ताव के दिन उनके खिलाफ मतदान करने का फैसला करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी, तो वे संसद लॉज में वापस जाने के लिए तैयार हैं.

पीटीआई के एमएनए मलिक नवाब शेर वसीर और रियाज ने कहा कि पीटीआई के करीब 24 सदस्य अभी सिंध हाउस में रह रहे हैं. उन्होंने कहा कि कई अन्य यहां आने के लिए तैयार हैं, हालांकि, पीएमएल-एन सभी सदस्यों को समायोजित करने में असमर्थ है.

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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जहांगीर तरीन समूह के सदस्य रियाज ने कहा कि असंतुष्ट सदस्य प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करेंगे.

वसीर ने यह भी कहा कि वह अगला आम चुनाव पीटीआई के टिकट पर नहीं लड़ेंगे. जहां रियाज ने दावा किया कि सिंध हाउस में 24 सदस्य रह रहे हैं, वहीं वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने कहा कि उनकी गिनती के मुताबिक, सिंध हाउस में 20 पीटीआई एमएनए मौजूद हैं.

उन्होंने कहा कि कई असंतुष्ट नेता कैमरे से बच रहे हैं. हालांकि, उन्होंने कहा कि उन सभी ने पुष्टि की है कि सिंध हाउस में रहने का कारण डर है. मीर ने कहा, असंतुष्ट सदस्यों को डर है कि सरकार उनके खिलाफ 10 मार्च के घटनाक्रम की तरह पार्लियामेंट लॉज पर पुलिस की छापेमारी की तरह कार्रवाई करेगी.