logo-image

Anti Hijab Protests से दबाव में ईरान सरकार, नैतिकता पुलिस विभाग किया गया खत्म

दबाव में आई ईरान सरकार ने हिजाब कानून को कड़ाई से लागू करने वाली नैतिकता पुलिस विभाग खत्म कर दिया है. साथ ही दशकों पुराने उस कानून की समीक्षा कर रही है, जिसमें महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर अपना सिर ढकने की जरूरत होती है.

Updated on: 04 Dec 2022, 04:40 PM

highlights

  • ईरान में हिजाब विरोधी आंदोलन को मिली पहली बड़ी सफलता
  • हिजाब कानून लागू करने वाला नैतिकता पुलिस विभाग खत्म
  • हिजाब कानून में बदलाव के लिए भी सरकार करा रही समीक्षा

तेहरान:

16 सितंबर को तेहरान में सलीके से हिजाब नहीं पहनने पर महसा अमीनी (Mahsa Amini) की हिरासत में मौत के बाद पूरे ईरान (Iran) में विरोध प्रदर्शन की आंधी से आई हुई है. ईरान सरकार ने विरोध को दबाने के लिए सशस्त्र बलों को खुली छूट दी, लेकिन विरोध प्रदर्शन थमने का नाम ही नहीं ले रहे. ऐसे में दबाव में आई ईरान सरकार ने हिजाब कानून (Hijab Law) को कड़ाई से लागू करने वाली नैतिकता पुलिस (Morality Police) विभाग खत्म कर दिया है. साथ ही दशकों पुराने उस कानून की समीक्षा कर रही है, जिसमें महिलाओं को घर से बाहर निकलने पर अपना सिर ढकने की जरूरत होती है. गौरतलब है कि कुर्द मूल की 22 वर्षीय ईरानी युवती महसा को नैतिकता पुलिस ने कथित रूप से शरिया आधारित हिजाब कानून का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया था. उसके परिजनों का आरोप है कि हिरासत में उसके साथ की गई मार-पीट से उसकी जान गई. इसके बाद हिजाब विरोधी प्रदर्शन (Anti Hijab Protests) के तहत ईरानी महिलाओं ने अपने स्कार्फ जला दिए और सरकार विरोधी नारेबाजी की. महसा की मौत के बाद तेहरान के उत्तरी इलाके में रहने वाली फैशनेबल महिलाओं और युवतियां हिजाब नहीं पहनकर विरोध जता रही हैं. 

बदल सकता है कड़ा हिजाब कानून
अब ईरान के अटार्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटेज़ेरी ने कहा है, 'संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रही हैं कि क्या हिजाब कानून में किसी बदलाव की ज़रूरत है या नहीं.' आईएसएनए न्यूज एजेंसी के मुताबिक अटार्नी जनरल ने हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया है कि संसद और न्यायपालिका कानून में क्या बदलाव करेंगी. गौरतलब है कि ईरान की संसद और न्यायपालिका में कट्टर और रूढ़िवादी इस्लामिक नेताओं का ही दबदबा है. इसके बावजूद अटार्नी जनरल के मुताबिक विगत दिनों समीक्षा दल ने संसद के सांस्कृतिक आयोग से मुलाकात की है. इसके परिणाम एक-दो सप्ताह में देखने को मिल जाएंगे. ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने शनिवार को टीवी पर प्रसारित बयान में कहा, 'ईरान का गणतंत्र और इस्लामिक नींव संवैधानिक रूप से मजबूत है, लेकिन संविधान को लागू करने के तरीके थोड़े लचीले हो सकते हैं.'

यह भी पढ़ेंः Vladimir Putin गंभीर बीमारी की अटकलों के बीच घर की सीढ़ियों से गिरे

1983 में लागू हुआ था शरिया केंद्रित हिजाब कानून
गौरतलब है कि इस्लामिक क्रांति के चार साल बाद अप्रैल 1983 में ईरान में सभी महिलाओं के लिए सिर को पूरी तरह से ढंकने वाला हिजाब पहनना अनिवार्य कर दिया गया था. इस इस्लामिक क्रांति ने अमेरिका समर्थित राजशाही को उखाड़ फेंका था. समय के साथ-साथ हिजाब को लेकर अलग-अलग बातें उठने लगीं और यह एक संवेदनशील मुद्दा बन गया. रूढ़िवादी जोर देते हैं कि हिजाब अनिवार्य होना चाहिए, जबकि सुधारवादी इसे व्यक्तिगत पसंद पर छोड़ना चाहते हैं. हिजाब कानून के अनिवार्य होने के बाद महिलाओं के कपड़े पहनने का अंदाज भी बदल गया. ईरान की महिलाएं जींस और ढीले रंगीन हेडस्कार्व्स से सिर ढंके सार्वजनिक स्थानों पर देखी जाने लगीं. यह अलग बात है कि इस साल जुलाई में अति रूढ़िवादी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने सभी सरकारी संस्थानों से हेडस्कार्फ़ कानून लागू करने के लिए लामबंद होने का आह्वान किया था.

विपक्ष और सुधारवादी दल नैतिकता पुलिस विभाग खत्म करने की कर रहे थे मांग
रूढ़िवादी राष्ट्रपति और कड़े हिजाब कानून के बावजूद महिलाएं अपने स्तर पर कड़े हिजाब कानून से जुड़े नियमों को तोड़ती आई हैं. इसी साल सितंबर में ईरान की मुख्य सुधारवादी पार्टी ने अनिवार्य हिजाब कानून को रद्द करने का आह्वान किया था. पूर्व सुधारवादी राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी के रिश्तेदारों द्वारा गठित यूनियन ऑफ इस्लामिक ईरान पीपुल पार्टी ने ईरानी अधिकारियों से अनिवार्य हिजाब कानून को रद्द करने का मार्ग प्रशस्त करने वाले कानूनी पहलुओं को तैयार करने की मांग की है. इसके साथ ही विपक्षी दलों का समूह भी इस्लामिक गणराज्य से आधिकारिक तौर पर नैतिकता पुलिस की गतिविधियों को खत्म करने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन की अनुमति देने की मांग कर रहा था. हालांकि महसा अमीनी की मौत के बाद शुरू हुए विरोध प्रदर्शनों को भड़काने के लिए ईरान ने अपने कट्टर दुश्मन अमेरिका और उसके सहयोगियों  ब्रिटेन, इज़राइल और देश के बाहर स्थित कुर्द समूहों पर ठीकरा फोड़ा है. ईरान सरकार हिजाब विरोधी प्रदर्शनों को दंगे करार दे रही है और उन्हें दबाने के लिए सख्त कार्रवाई कर रही है.

यह भी पढ़ेंः China ने यदि जीरो कोविड पॉलिसी खत्म की, तो कितने लोग मर सकते हैं? आंकड़ा जान चौंक जाएंगे

हिजाब विरोधी आंदोलन में 448 से अधिक मारे गए और 14 हजार से अधिक गिरफ्तार
ओस्लो स्थित एक गैर-सरकारी संगठन ईरान मानवाधिकार के मुताबिक कम से कम 448 लोग देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों में सुरक्षा बलों द्वारा मारे जा चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने पिछले हफ्ते कहा था कि गिरफ्तार किए गए हिजाब विरोधी प्रदर्शनकारियों की संख्या 14 हजार से अधिक है, जिनमें तमाम बच्चे भी शामिल हैं. हिजाब विरोधी आंदोलन को समर्थन देने वाले खिलाड़ियों, मशहूर हस्तियों और पत्रकारों को डराया-धमकाया जा रहा है और गिरफ्तारी भी हो रही है. सुधारवादी अखबार शार्ग के मुताबिक शनिवार को इस कड़ी में फिल्म स्टार मित्रा हज्जर का नाम भी जुड़ गया, जिन्हें उनके घर से हिरासत में लिया गया. हालांकि ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने कहा कि इंसानी जानों के अलावा हिंसा से खरबों रियाल का नुकसान हुआ है. गौरतलब है कि इस हफ्ते ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स के एक जनरल ने पहली बार स्वीकार किया था कि महसा अमिनी की मौत के बाद फैली अशांति में 300 से अधिक लोगों की जान चली गई है.