भारत-रूस सैन्य सहयोग को अमेरिकी कानून से दिक्कत
रूस और ईरान पर प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिकी कानून की वजह से भारत को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
नई दिल्ली:
रूस और ईरान पर प्रतिबंध लगाने वाले अमेरिकी कानून की वजह से भारत को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल भारत रूस के साथ सैन्य सहयोग को बढ़ाना चाहता है और वहीं अफगानिस्तान के साथ व्यापार बढ़ाने के लिये ईरान के चाबाहार पोर्ट को विकसित करना चाहता है।
पिछले साल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक कानून काउंटरिंग अमेरिकाज़ अडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शंस ऐक्ट (सीएएटीएसए) पारित किया था। सीएएटीएसए के धारा 231 के तहत नॉर्थ कोरिया, ईरान और रूस के साथ सैन्य और इंटेलीजेंस के क्षेत्र में लेन देन करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाता है।
भारत जो रूस का सबसे बड़ा सैन्य साझेदार है उसे अमेरिका के इस कानून से परेशानी हो सकती है। क्योंकि ये कानून रूस को सजा देने के लिये है। अमेरिका रूस को ये सजा अमेरिकी चुनावों में दखलंदाजी, सीरिया के गृह युद्ध में उसकी भागीदारी के खिलाफ है।
व्लादिमिर पुतिन के साथ प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात में प्रतिबंधों पर चर्चा की जा सकती है।
ऐसा माना जा रहा है कि सोमवार को पीएम मोदी और पुतिन की मुलाकात में ट्रायंफ एयर डिफेंस सिस्टम पर प्रमुख तौर पर चर्चा की गई है। इस सिस्टम को पाकिस्तान और चीन से सुरक्षा के लिये अहम माना जा रहा है।
भारत और रूस के बीच सैन्य सहयोग काफी पहले से है और भारत को इन सभी डील्स को लेकर चिंता है। भारत के सैन्य उपकरणों में 62 फीसदी रूसी तकनीकी है।
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