भारतीयों की तारीफ कर आलोचनाओं से घिरे इमरान खान, पड़ रही बेमौसम
इमरान खान देश की विदेश सेवा के अधिकारियों को 'औपिनिवेशिक मानिसकता' से ग्रस्त और 'निष्ठुर' बताकर और भारतीय समकक्षों की प्रशंसा कर आलोचनाओं से घिर गए हैं.
highlights
- इमरान खान ने भारतीय राजनायिकों की करी तारीफ
- साथ ही कठघरे में खड़ा किया अपने राजनायिकों को
- जवाब में सभी पिल पड़े वजीर-ए-आजम पर
इस्लामाबाद:
भारतीय राजनयिकों की तारीफ करना पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) को महंगा पड़ गया है. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान देश की विदेश सेवा के अधिकारियों को 'औपिनिवेशिक मानिसकता' से ग्रस्त और 'निष्ठुर' बताकर और भारतीय समकक्षों की प्रशंसा कर आलोचनाओं से घिर गए हैं. इमरान खान ने विगत दिनों राजदूतों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए विदेश में मौजूद पाकिस्तानी राजनयिकों द्वारा पाकिस्तानी नागरिकों के प्रति कथित 'स्तब्ध' करने वाली निष्ठुरता दिखाने पर नाराजगी जताई. उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तानी नागरिकों के साथ व्यवहार करने में वे (Diplomats) 'औपनिवेशिक मानसिकता' के साथ काम करते हैं.
भारतीय दूतावासों की करी तारीफ
इमरान खान ने भारतीय राजनयिकों की तारीफ करते हुए कहा, 'भारतीय दूतावास अपने देश में निवेश लाने के लिए अधिक सक्रिय हैं और वे अपने नागरिकों को भी बेहतर सेवाएं दे रहे हैं.' इमरान खान के इस बयान की कम से कम तीन पूर्व विदेश सचिवों ने तीखी आलोचना की है. पाकिस्तान के इतिहास में पहली महिला विदेश सचिव तहमीना जंजुआ ने ट्वीट किया, 'विदेश मंत्रालय की इस अवांछित आलोचना से बहुत निराश हूं.' उन्होंने कहा कि खान की यह टिप्पणी उनकी विदेश सेवा के प्रति समझ की कमी को इंगित करता है. पूर्व विदेश सचिव सलमान बशीर भी पाकिस्तान की विदेश सेवा के बचाव में उतर आए हैं.
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जवाब में झेल रही तीखी टिप्पणियां
उन्होंने ट्वीट किया, 'सम्मान के साथ मान्यवर, विदेश मंत्रालय और राजदूतों के प्रति आपकी नाराजगी और आलोचना को गलत समझा जाता है. सामान्य तौर पर समुदाय की सेवा अन्य विभागों में निहित है जो पासपोर्ट और राजनयिक सत्यापन आदि का काम देखते हैं. हां, मिशन को अपने दरवाजे खुले रखने चाहिए.' बशीर ने कहा कि पाकिस्तान विदेश सेवा और विदेश कार्यालय ने वह किया जो करना चाहिए और वह प्रोत्साहन और समर्थन का हकदार है. बशीर खासतौर पर खान द्वारा भारतीय राजनयिकों की प्रशंसा किए जाने से नाराज हैं. उन्होंने कहा, 'भारतीय मीडिया प्रधानमंत्री द्वारा पाकिस्तान की विदेश सेवा की आलोचना और भारतीय विदेश सेवा की प्रशंसा से प्रसन्न है. यह क्या तुलना है!'
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इस तरह अपने ही घर में घिरे वजीर-ए-आजम
एक अन्य पूर्व विदेश सचिव जलील अब्बास जिलानी ने भी खान की आलोचना में सुर से सुर मिलाया. उन्होंने ट्वीट किया, 'माननीय प्रधानमंत्री जी, उम्मीद करता हूं कि आपको मिशन के काम करने की सही जानकारी दी जाएगी. डिग्री, विवाह प्रमाण पत्र, लाइसेंस आदि के सत्यापन के लिए उच्च शिक्षा आयोग, आंतरिक एवं प्रांतीय सरकारों को सत्यापित करने के लिए भेजा जाता है. आपको समय से जवाब नहीं मिलता, इसलिए देरी होती है. राजदूतों को जिम्मेदार ठहराना गलत है.'
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