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G20 Summit 2023: अमेरिका ने जी-20 को बताया पूरी तरह से सफल, तारीफ में कही यह बात

G20 Summit 2023: जी-20 समिट के दौरान सभी सदस्यों को सहमत कर दिल्ली घोषणा ( Delhi Declaration ) को जारी करना सबसे कठिन माना जा रहा था. क्योंकि रूस-यूक्रेन वॉर के चलते पूरी दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई है. ऐसे में जी-20 के पश्चिम देश रूस के खिलाफ हैं..

Updated on: 12 Sep 2023, 09:28 AM

New Delhi:

G20 Summit 2023: देश की राजधानी दिल्ली में रविवार को सफलतापूर्वक संपन्न हुए जी-20 शिखर सम्मेलन को लेकर दुनियाभर में भारत की तारीफ हो रही है. अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन समेत कई बड़े देश नई दिल्ली में जी-20 सम्मेलन के सफल आयोजन को लेकर भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर तारीफ कर चुके हैं. दुनिया में सुपर पावर की हैसियत रखने वाले अमेरिका ने भी इसे पूरी तरह से सफल आयोजन बताया है. अमेरिकी विदेश विभाग के आधिकारिक प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने सोमवार को कहा कि हमारा पूरी तरह से मानना है कि यह एक सफलता थी. 

भारत की तारीफ में क्या कहा अमेरिका ने

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे मैथ्यू मिलर ने यह बात कही. जब उनसे पूछा गया कि चीन और रूस दोनों जी-20 के सदस्य हैं...तो क्या ऐसे में जी-20 सम्मेलन सफल रहा. तो मिलर ने जवाब में कहा कि जी-20 शिखर सम्मेलन पूरी तरह से सफल रहा. मीडिया ने जब उनसे दिल्ली डिक्लेरेशन से रूस की अनुपस्थिति के बारे में पूछा तो मिलर ने कहा कि दिल्ली घोषणा में क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता के सम्मान की बात कही गई है. इसमें हर देश की अखंडता और संप्रभुता बनाए रखने पर बल दिया गया है और इन सिद्धांत का उल्लघंन नहीं किए जाने की बात कही गई है. यह एक अति महत्वपूर्ण बात है. उन्होंने कहा कि यह एक अविश्वसनीय रूप से महत्वपूर्ण बयान है.

दिल्ली घोषणा पर सहमति पर क्यों थी सबकी नजर

आपको बता दें कि जी-20 समिट के दौरान सभी सदस्यों को सहमत कर दिल्ली घोषणा ( Delhi Declaration ) को जारी करना सबसे कठिन माना जा रहा था. क्योंकि रूस-यूक्रेन वॉर के चलते पूरी दुनिया दो धड़ों में बंटी हुई है. ऐसे में जी-20 के पश्चिम देश रूस के खिलाफ हैं. यही वजह है कि दिल्ली घोषणा बिना रूस के जिक्र के जारी करना काफी मुश्किल भरा था. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय राजनियकों व शेरपा ने यह असंभव दिखने वाला काम संभव कर दिखाया. इसके लिए सम्मेलन के पहले दिन तक राजनियकों ने अलग-अलग सदस्य देश से बात कर दिल्ली घोषणा में शामिल प्रस्तावों पर उनकी राय ली और उनके हिसाब से कुछ सुधार भी किए. अंत में भाषा के आधार पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के स्थान पर यूक्रेन में युद्ध और रूस का जिक्र किए बिना दिल्ली घोषणा पर सबकी सहमति ले ली गई और सम्मेलन के दूसरे दिन घोषणा को जारी कर दिया गया.