logo-image

हमास के पास पहुंचा दिल्ली के कारोबारी का पैसा, मोसाद की मदद से मामले का हुआ था खुलासा

हमास के आतंकियों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल किया है. हैकर्स ने घिनौनी मंसूबों को अंजाम देने के लिए करीब 2 साल पहले टेरर फंड इकट्ठा करना शुरू किया था.

Updated on: 11 Oct 2023, 01:31 PM

नई दिल्ली:

इजरायल-अफगानिस्तान के बीच जारी युद्ध का आज पांचवा दिन है. दोनों देशों के 1000 से अधिक नागरिकों की मौत हो चुकी है. इजरायली सेना ने गाजा पट्टी में जमकर तबाही मचाई है. गाजा शहर विस्फोटक और बारूद से धुआं-धुआं हो रखा है.  इजरायल मुंहतोड़ जवाब दे रहा है. भारत ने इजरायल को भरोसा दिया है कि वह उनके साथ खड़े हैं.  इसी बीच चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है. हमास ने ये हमला कोई अचानक नहीं किया है, बल्कि इसकी प्लानिंग लंबे समय से चल रही थी. हमास करीब दो साल से इजरायल पर अटैक की तैयारी कर रहा था और इसके लिए फंड इकट्ठा कर रहा था. इसमें भारत से भी फंडिंग हुई थी. 

हमास के आतंकियों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी इस्तेमाल किया है. हैकर्स ने घिनौनी मंसूबों को अंजाम देने के लिए करीब 2 साल पहले टेरर फंड इकट्ठा करना शुरू किया था.  हमास के हैकर्स के शिकार दिल्ली के एक करोबारी भी बने. और उनके क्रिप्टो करेंसी वॉलेट से करीब 30 लाख रुपये की सेंधमारी की गई थी. दिल्ली पुलिस के तत्कालीन DCP (IFSO यूनिट) केपीएस मल्होत्रा ने इसका खुलासा किया था. मल्होत्रा के नेतृत्व में पूरे मामले की जांच शुरू हुई थी और स्पेशल सेल ने पैसा रिसीव करने वाले कुछ वॉलेट की छानबीन की, लेकिन इसकी पूरी जानकारी नहीं मिली थी.

अकाउंट को फ्रीज किया गया

इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद ने भारत को इस बारे में जानकारी साझा की थी. जब भारत ने इजरायल से इस बारे में विस्तार से जानकारी मांगी तो इजरायल के नेशनल ब्यूरो फ़ॉर काउंटर टेरर फाइनेंसिंग ने भी की थी. हालांकि,  उस अकाउंट को फ्रीज कर दिया था. हमास के कमांडर मोहम्मद नासिर इब्राहिम अब्दुल्ला के नाम पर यह अकाउंट चल रहा था.

गाजा में कई नामों से चल रहे थे ई वॉलेट
इतना ही नहीं मामले की तहकीकात हुई तो पता चला कि कुछ ऐसे ही वॉलेट गाज़ा में अहमद मरजूक और फिलिस्तीन में एक अन्य क्रिप्टो करेंसी वॉलेट अहमद क्यू एच सफी के नाम से चलाए जा रहे थे, जिनमें टेरर फंडिंग के पैसे आ रहे थे. बाद में इजराइल की टेरर काउंटर यूनिट ने खुलासा किया था कि ये सभी एकाउंट हमास के कमांडर ऑपरेट कर रहे थे. अलग-अलग ई वॉलेट से पैसा हमास की मिलिट्री विंग के कमांडरों के वॉलेट में जा रहा था, जिससे आतंकी साजिश को अंजाम दिया जाना था.