यूपी: शहीद का परिवार हो रहा है उपेक्षित, पिता ने राष्ट्रपति से मांगी इच्छामृत्यु
देश पर प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों के परिजन जब प्रशासन से उपेक्षित और लोगों से प्रताड़ित होते हैं तो निश्चित तौर पर उन्हें अपने लाडले का शहादत व्यर्थ नजर आता है.
नई दिल्ली:
देश पर प्राण न्योछावर करने वाले शहीदों के परिजन जब प्रशासन से उपेक्षित और लोगों से प्रताड़ित होते हैं तो निश्चित तौर पर उन्हें अपने लाडले का शहादत व्यर्थ नजर आता है. ऐसा ही एक मामला उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर का है, जहां जिलाधिकारी के दुर्व्यवहार और उनके मातहत अधिकारियों की कारगुजारी से परेशान होकर शहीद के पिता ने राष्ट्रपति को पत्र भेजकर इच्छामृत्यु मांगी है.
इतना ही नहीं, उसने 12 जनवरी, 2019 को समाधि लेने की तारीख भी मुकर्रर कर दी है. राष्ट्रपति को भेजे पत्र में लिखा है कि यदि 11 जनवरी 2019 तक उसकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो वह 12 जनवरी को अपने शहीद बेटे के समाधि स्थल पर ही समाधि ले लेगा.
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अंबेडकरनगर जिले के थाना सम्मनपुर क्षेत्र के गांव सुल्तानपुर तुलसीपुर निवासी सुरेशमन विश्वकर्मा का पुत्र बजरंगी विश्वकर्मा सीमा सुरक्षा बल की 101वीं बटालियन में तैनात था, 6 अगस्त, 2010 को त्रिपुरा के नलकटा में नक्सलियों से हुई मुठभेड़ में वह शहीद हो गया. शहीद बजरंगी विश्वकर्मा के अदम्य साहस को यादगार बनाने के लिए सीमा सुरक्षा बल की 101वीं बटालियन की बीओपी रतियापारा फारवर्ड का नाम 'बजरंगी' स्वीकृत कर बजरंगी विश्वकर्मा का नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया गया.
बजरंगी विश्वकर्मा को वीरता के लिए मरणोपरांत 'राष्ट्रपति वीरता मेडल' प्रदान किया गया था. यह मेडल तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने 30 नवंबर, 2011 को दिया था.
शहीद के पिता के अनुसार, वर्तमान जिलाधिकारी, अपर जिलाधिकारी, एसडीएम अकबरपुर, तहसीलदार अकबरपुर और थाना सम्मनपुर का रवैया उनके बेटे की शहादत पर पानी फेर रहा है.
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सुरेशमन विश्वकर्मा ने बताया कि जिस समय उनके शहीद बेटे का पार्थिव शरीर गांव लाया गया था, तत्कालीन जिलाधिकारी ने शहीद के नाम से स्मारक बनाने तथा परिजनों के लिए जमीन उपलब्ध कराने की बात कही थी।. स्मारक के लिए जमीन चिन्हित करके शहीद परिवार को बता दी गई, जिस पर शहीद परिवार ने निजी श्रोत से स्मारक बनवाया है. लेकिन परिजनों के लिए जमीन नहीं उपलब्ध कराई गई और न ही राज्य सरकार से कोई सहायता व सुविधा प्रदान की गई. परिजन डीएम से लेकर सीएम व पीएम तक गुहार लगाते रहे, लेकिन किसी ने नहीं सुनी.
यहां तक कि मौजूदा बीजेपी सांसद हरिओम पांडेय और बीजेपी विधायक गोरख बाबा ने भी शहीद परिवार की सहायता के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा, लेकिन परिणाम वही ढाक के तीन पात.
इन्हीं प्रयासों के बीच बीजेपी सांसद हरिओम की एक कोशिश से थोड़ी उम्मीद जगी और शहीद की पत्नी के नाम 30 जून, 2018 को पांच बिस्वा जमीन का पट्टा किया गया, मगर पट्टे से संबंधित कागजात अभी तक परिजन को नहीं दिया गया. पट्टा करने में तहसील प्रशासन ने गजब का खेल भी किया है. जिस जमीन पर शहीद के परिजनों का पुश्तैनी मकान है उसे ही पट्टे की जमीन बता दिया गया है और बगल की बंजर पड़ी जमीन पर पैसा लेकर गांव के एक दबंग व्यक्ति का कब्जा करा दिया गया है. वह दबंग व्यक्ति आये दिन शहीद के परिजनों को परेशान कर रहा है. शिकायत करने पर लेखपाल से लेकर डीएम तक ठीक से बात नहीं करते. अलबत्ता, डीएम ने स्वयं शहीद परिजनों के प्रति अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया.
इन्हीं सब बातों से आहत और कुछ मांगों को लेकर शहीद के पिता सुरेशमन विश्वकर्मा ने राष्ट्रपति को प्रार्थना पत्र भेजकर 11 जनवरी, 2019 तक समस्या का निस्तारण किए जाने की मांग की है. पत्र में यह भी लिखा है कि यदि तय समय पर उनकी समस्या का समाधान नहीं हुआ तो 12 जनवरी, 2019 को अपने शहीद बेटे के स्मारक स्थल पर ही समाधि ले लेंगे.
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