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House Tax: हाउस टैक्स क्या है? जानें इसके भरने के फायदे और नियम

House Tax: शहरों और नगरीय इलाकों में रहने वाले लोगों को हर साल हाउस टैक्स के रूप में कुछ रकम अदा करनी पड़ी है. ऐसे में आपको ये जानना जरूरी है कि आपको अपना घर होने के बावजूद गृह कर यानी हाउस टैक्स क्यों देना पड़ता है.

Updated on: 03 Jan 2024, 03:14 PM

नई दिल्ली:

House Tax: हाउस टैक्स एक स्थानीय स्तर पर लगाया जाने वाला कर है, जो नगरीय क्षेत्र में रहने वाले लोगों से मकान या दुकान के मालिकाने पर वसूला जाता है. यह कर स्थानीय निगम या पंचायती राज क्षेत्र के द्वारा निर्धारित किया जाता है. इसका उद्देश्य स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों और सेवाओं को अनुदानित करना है. हम आपको हाउस टैक्स भरने के फायदों के बारे में तो बता ही रहे हैं साथ ही इसे भरने के क्या नियम हैं और कोई व्यक्ति अपना हाउस टैक्स नहीं भरता तो उसे कितना जुर्माना भुगतना पड़ेगा. इसके बारे में भी जानकारी देंगे.

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हाउस टैक्स के फायदे

1. इंफ्रास्ट्रक्चर विकास- हाउस टैक्स से जुटा धन स्थानीय स्तर पर इंफ्रास्ट्रक्चर विकास कार्यों के लिए उपयोग होता है, जैसे कि सड़क, पानी, और स्वच्छता के परियोजनाएं. 

2. स्थानीय सेवाएं- हाउस टैक्स से जुटे धन से स्थानीय स्तर पर स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं, जो स्थानीय निवासियों को सुधारित जीवन गुजारने में मदद करती हैं. 

3. समृद्धि का साधन- स्थानीय निगमों को हाउस टैक्स के माध्यम से सामाजिक और आर्थिक समृद्धि का साधन होता है, जिससे वे अपने क्षेत्र को बेहतर बनाने में सक्षम होते हैं. 

4. नगरीय योजनाएं- हाउस टैक्स से आने वाले धन का उपयोग नगरीय योजनाओं के लिए किया जा सकता है, जैसे कि पार्क, लाइब्रेरी, और सार्वजनिक स्थलों की सुविधाएं. 

5. स्वतंत्रता- हाउस टैक्स नगरीय स्थानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करता है, जिससे वे स्वतंत्रता और नियंत्रण में रहते हैं और अपनी आवश्यकताओं के अनुसार विकास कर सकते हैं. 

6. सामाजिक सुरक्षा- हाउस टैक्स से आए धन का उपयोग सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में किया जा सकता है, जिससे सामाजिक रूप से कमजोर वर्ग को सहायता मिलती है. 

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हाउस टैक्स के नियम

संपत्ति का मूल्यांकन- हाउस टैक्स का मूल्य आमतौर पर संपत्ति के मूल्य के आधार पर होता है, जिसे स्थानीय निगम या पंचायती राज स्थानांतर करती है.

क्या है टैक्स की दर- टैक्स दर स्थानीय निगम या पंचायत द्वारा निर्धारित किया जाता है. यह आमतौर पर प्रति वर्ष यानी बारह महीने का होता है.

टैक्स भुगतान की समय सीमा- हाउस टैक्स का भुगतान आमतौर पर वित्त वर्ष के प्रति तीन महीने की समय सीमा के भीतर करना होता है.

छूट और अवसर- कुछ स्थानों पर आय, आयु, और अन्य क्रियाएं आधारित होने पर छूट उपलब्ध हो सकती हैं. इसके लिए नगर पालिका या पंचायत से जानकारी प्राप्त की जा सकती है.

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जुर्माना और दंड- हाउस टैक्स का समय पर भुगतान न करने पर निर्धारित समयानुसार जुर्माना और दंड लग सकता है.

ऑनलाइन भुगतान- बहुत से स्थानों पर हाउस टैक्स ऑनलाइन भुगतान की सुविधा उपलब्ध है, जिससे खुदरा भुगतान किया जा सकता है.

स्वीकृति और समर्थन- स्थानीय निगम या पंचायत से सहारा और स्वीकृति प्राप्त करने के लिए खरीदार को उनसे संपर्क करना चाहिए. खरीदार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह स्थानीय निगम या पंचायत के नए नियमों और बदलते हुए निर्देशों के बारे में जागरूक रहता है.