एक देश एक चुनाव से बूस्ट होगी देश की इकोनॉमी, क्या बोले एक्सपर्ट
One Nation, One Election: इन दिनों एक बार फिर एक राष्ट्र एक चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. अब सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं बल्कि देश के उद्योगपति भी मान चुके हैं कि एक देश एक चुनाव देश के लिए बहुत जरूरी है.
highlights
- चुनाव में खर्च होने वाली लागत हो जाएगी कम
- उद्योगपति भी मान चुके हैं कि वन नेशन, वन इलेक्शन देश के लिए है जरूरी
- लगातार चुनाव से देश के अर्थव्यवस्था सहित बाधित होती हैं तमाम एजेंसियां
नई दिल्ली :
One Nation, One Election: इन दिनों एक बार फिर एक राष्ट्र एक चुनाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. अब सिर्फ पीएम मोदी ही नहीं बल्कि देश के उद्योगपति भी मान चुके हैं कि एक देश एक चुनाव देश के लिए बहुत जरूरी है. साथ ही उन्होने यहां तक कहा है कि यदि ऐसा हो जाए तो देश की इकोनॅामी को बुस्टर मिलेगा. क्योंकि तमाम एजेंसियां चुनावों के टाइम चुनाव आयोग के हिसाब से काम करती हैं. साथ ही सरकारी अधिकारी भी पूरी तरह से चुनाव कराने में व्यस्त हो जाते हैं. जिससे तमाम चीजें कोमा में पहुंच जाती हैं..
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एक राष्ट्र एक चुनाव की सिफारिश
सीआईआई ने हाल ही में वन नेशन, वन इलेक्शन को लेकर उच्च स्तरीय समिति के सामने अपना पक्ष रखा था. जिसमें उन्होने साफ कहा कि यदि एक राष्ट्र, एक चुनाव हो जाए तो देश की इकोनॅामी को निश्चित तौर पर बुस्ट मिलेगा. आपको बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता में ओएनओई पर उच्च स्तरीय समिति ने अपनी पांचवीं बैठक का आयोजन शुक्रवार को किया गया था. जिसमें कई उद्योगपतियों ने एक देश, एक चुनाव के पक्ष में अपने विचार व्यक्त किये.
देश का कामकाज होता है प्रभावित
विभिन्न एक्सपर्ट व उद्योगतपतियों ने साफ तौर पर कहा कि बार-बार चुनाव से देश काम-काज प्रभावित होता है. सीआईआई के मुताबिक, "अधिकारियों को चुनाव ड्यूटी में लगाए जाने से सरकार के कामकाज पर भी असर पड़ता है. चुनाव से पहले निजी क्षेत्र द्वारा निवेश संबंधी निर्णय धीमे हो जाते हैं,,. जिसके चलते विभिन्न परियोजना कार्यान्वयन में देरी होती है, क्योंकि आदर्श आचार संहिता के पालन के चलते तमाम सरकारी मशीनरी चुनाव ड्यूटी में लगी होती है. साथ ही सभी काम ठप्प हो जाते हैं..
क्या बोले सीआईआई के महानिदेशक
बैठक में अपना पक्ष रखते हुए सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि "आर्थिक नुकसान और नीति-निर्माण में सुस्ती को देखते हुए सीआईआई का सुझाव है कि भारत को एक साथ चुनाव के चक्र पर वापस लौटना चाहिए,,.
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