उत्तराखंड त्रासदी: लौटकर वापस आ रहा है कीचड़ का मलबा, बचाव कार्य में बन रहा रुकावट
मलबा कीचड़ के रूप में होने के कारण यहां समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कीचड़ रूपी यह मलबा बैक फ्लो कर रहा है. जिससे इलाका साफ करने में बाधा उत्पन्न हो रही है. उत्तराखंड में आए इस बर्फीले तूफान के बाद से 204 लोग लापता हुए हैं.
highlights
- मलबा कीचड़ के रूप में होने के कारण यहां समस्या का सामना करना पड़ रहा है.
- बर्फीले तूफान के कारण यहां एक विशाल झील बन गई है.
- वैज्ञानिकों ने कहा है कि प्राकृतिक झील की स्थिति अभी खतरनाक नहीं है.
देहरादून:
उत्तराखंड में श्रृषिगंगा के निकट आपदा ग्रस्त क्षेत्र से अभी तक 62 शव बरामद किए गए हैं. बीते कई दिनों से चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन के बावजूद यहां 142 व्यक्ति अभी भी लापता हैं. कीचड़ का रुप ले चुका मलबा यहां राहत एवं बचाव कार्य में सबसे बड़ी रूकावट बन रहा है. राहत एवं बचाव कार्य में लगे अधिकारियों के मुताबिक साफ किए जाने के बाद भी कीचड़ का यह मलबा वापस लौट कर आ जा रहा है. उत्तराखंड प्रशासन ने आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया कि अभी तक 162 मीटर मलबा साफ किया गया है. प्रशासन के मुताबिक यहां एक टनल में 25 से 35 व्यक्तियों के फंसे होने की आशंका है, इस चैनल में रेस्क्यू ऑपरेशन अभी भी जारी है, हालांकि अभी तक यहां से 13 शव निकाले जा सके हैं.
मलबा कीचड़ के रूप में होने के कारण यहां समस्या का सामना करना पड़ रहा है. कीचड़ रूपी यह मलबा बैक फ्लो कर रहा है. जिससे इलाका साफ करने में बाधा उत्पन्न हो रही है. उत्तराखंड में आए इस बर्फीले तूफान के बाद से 204 लोग लापता हुए हैं. वहीं 12 स्थानीय गांवों के 465 परिवार भी इस तूफान में प्रभावित हुए हैं. उत्तराखंड के आपदा ग्रस्त क्षेत्र से अभी तक 62 शव बरामद किए गए. इनमें से 33 मानव शव तथा एक मानव अंग की पहचान हुई है. वहीं अभी तक मृत पाए गए 28 व्यक्तियों की शिनाख्त नहीं हो सकी है.
बर्फीले तूफान के कारण यहां एक विशाल झील बन गई है. उपगृह से प्राप्त आंकड़ो के आधार पर रौथीधार में बनी इस झील के आसपास पानी का उतार चढ़ाव, मलबे की ऊंचाई में कमी और नई जलधाराएं बन रही हैं. लेकिन अभी इससे किसी तरह के संकट की संभावना नहीं है.
उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपी बिष्ट ने बताया कि उच्च उपगृह से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर रौथीधार में मलवा आने से बनी प्राकृतिक झील एवं उसके आसपास आ रहे परिवर्तन जैसे पानी का उतार चढ़ाव, मलबे की ऊंचाई में कमी और नई जलधाराओं का बनना चालू है. जिससे किसी भी तरह के संकट की संभावना नहीं है.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि प्राकृतिक झील की स्थिति अभी खतरनाक नहीं है, लेकिन धरातल की वास्तविक जानकारी उपरान्त 2-3 दिन बाद ही कोई उचित कदम उठाया जा सकता है. हिमालय क्षेत्र के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों का एक विशेष दल अब 21 फरवरी को ऋषि गंगा के निकट बनी इस झील का दौरा करेगा. जिसके आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
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