देहरादून फर्जी एनकाउंटर: 7 पुलिसकर्मी को आजीवन कारावास, 10 बरी
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2009 देहारदून फर्जी एनकाउंटर मामले में सात निलंबित पुलिसकर्मी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
नई दिल्ली:
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2009 देहारदून फर्जी एनकाउंटर मामले में सात निलंबित पुलिसकर्मी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही 10 अन्य निलंबित पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया है। इन्हें निचली अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
जस्टिस एस मुरलीधर और आईएस मेहता की पीठ ने 3 जुलाई 2009 को फर्जी एनकाउंटर में हुई रणबीर सिंह की हत्या के मामले में निचली अदालत के 9 जून 2014 के फैसले को बरकरार रखते हुए सात पुलिसकर्मी को आजीवन कारावास की सजा पर मुहर लगाई है।
तीस हजारी कोर्ट ने कुल 18 पुलिसकर्मियों को हत्या, अपहरण, सबूत मिटाने और आपराधिक साजिश रचने और गलत सरकारी रिकॉर्ड तैयार करने के मामले में दोषी करार दिया था। इसके खिलाफ पुलिसकर्मियों ने दिल्ली हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी।
दोषी उत्तराखंड के पुलिसकर्मियों ने दावा किया था कि गाजियाबाद के शालीमार गार्डन के रहने वाले रणबीर सिंह अपने दो साथियों के साथ देहरादून डकैती के लिए आए थे और उन्होंने एक पुलिसकर्मी की सर्विस रिवॉल्वर छीन ली। इसी दौरान झड़प हुई और सिंह को मार गिराया गया।
सभी पुलिसकर्मी तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल की उत्तराखंड दौरे के दौरान सुरक्षा में तैनात थे।
वहीं सीबीआई ने पुलिसकर्मियों के दावे को खारिज करते हुए कोर्ट में कहा था कि रणबीर सिंह अपने 2 दोस्तों के साथ नौकरी के लिए इंटरव्यू देने के मकसद से 3 जुलाई 2009 को देहरादून गए थे। दोषियों की एनकाउंटर थ्योरी 'एक महगढ़ंत कहानी' है।
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