2024 लोकसभा चुनाव से पहले ही खोल दिए जाएंगे अयोध्या में रामलला मंदिर
अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है. मंदिर निर्माण का काम 40 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. अब मंदिर के प्लिंथ यानी प्रतिष्ठान का काम चल रहा है.
अयोध्या:
अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य तेज गति से आगे बढ़ रहा है. मंदिर निर्माण का काम 40 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. अब मंदिर के प्लिंथ यानी प्रतिष्ठान का काम चल रहा है. दिसंबर 2023 तक यानी 2024 लोकसभा चुनाव से पहले नए मंदिर का निर्माण कार्य पूरा होने की संभावना है. इसके साथ ही आम जनता रामलला के दर्शन कर पाएगी. गौरतलब है कि यहां 67 एकड़ में मंदिर और परिसर का निर्माण कराया जा रहा है. मंदिर के निर्माण में अत्याधुनिक मशीनरी और तकनीक की मदद से तेज गति के साथ मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है. गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अगस्त 2020 को अयोध्या में रामलला मंदिर के लिए भूमि पूजन किया था.
मंदिर निर्माण में इन सामग्रियों का किया जा रहा है इस्तेमाल
मंदिर की नींव को 15 मीटर अंदर तक बनाया गया है. ग्रेनाइट के सिंगल पीस के ढाई टन वजनी करीब 14,000 पत्थर लगाए गए हैं और कुल 17,000 ग्रेनाइट के सिंगल पीस 2.5 टन वजनी पत्थर इस पूरे मंदिर में लगाए जाएंगे. मंदिर में नक्काशी धार हल्के गुलाबी रंग के बलुआ पत्थर रखने का काम भी 2 महीने से चल रहा है. अभी तक लगभग 5 लेयर पूरी हो चुकी है और यह काम भी जल्द ही पूरा हो जाएगा. परकोटा, रिटेनिंग वॉल और गर्भगृह में सफेद संगमरमर पत्थर लगने का काम पूरा किया जाएगा. अभी तक चल रहा सारा काम योजना के अनुरूप ही चल रहा है.
नक्काशी बनेगा आकर्षण का केंद्र
इस मंदिर की सबसे खास बात है इसमें हो रही नक्काशी. यह माना जा रहा है कि पत्थरों का इतना विशाल मंदिर अभी तक कहीं नहीं बना है. पत्थर में इतनी विशाल रचना और नक्काशी यह समाज के लिए अनोखी बात होगी. अगर बड़े मंदिरों की बात करें तो वहां का ढांचा भी सीमेंट से तैयार होता है और बाद में उनका एक पत्थर लगा दिया जाता है. लेकिन रामलला के इस मंदिर में ईंट की कोई भी गुंजाइश नहीं है. पूरा मंदिर सिर्फ पत्थरों से बनाया जा रहा है.
सुरक्षा के किए जा रहे हैं पुख्ता इंतजाम
रिटेनिंग वॉल बनाने का काम मंदिर के पश्चिम भाग में चल रहा है, जहां सरयू का प्रवाह है. अगर कभी सरयू नदी ने अपना मार्ग बदला तो जल के प्रवाह को कौन रोकेगा. इसके लिए पूर्व दिशा में एक तरफ धरती का तल 10 मीटर ऊंचा है. वहीं, पश्चिम में 10 मीटर नीचे है. इन्हीं सब बातों का ध्यान रखते हुए रिटेनिंग वॉल का निर्माण कराया जा रहा है. रिटेनिंग वॉल को इतना मजबूत और धरती के अंदर तक बहुत ज्यादा चौड़ाई में बनाया जा रहा है, ताकि अगर भविष्य में कभी बहुत ज्यादा तेज बारिश हो और मिट्टी का कटान हो तो यह वह उस मिट्टी को रोक सके. साथ ही साथ सरयू नदी अगर कभी भी अपनी दिशा बदलती है तो मंदिर को इससे नुकसान ना हो.
अगले माह से शुरू होगा मंदिर का मंडप निर्माण का काम
मंदिर में प्लिंथ यानी चबूतरे का काम पूरा होने के बाद मंडप बनाने का काम शुरू किया जाएगा, जिस पर 400 खंभे लगाए जाएंगे. मंदिर के गर्भगृह समेत मंडप बनाने के लिए खंभों को पहले से ही तैयार कर लिया गया है. यह तैयार खंभे 30 दिनों में लग जाएंगे. राम मंदिर के कुडू मंडप, नृत्य मंडप और रंग मंडप के खंभे 30 दिनों में लगा लिए जाएंगे.
सरयू के किनारे बने नए घाट की भी तस्वीर बदली
सरयू नदी के किनारे बसी है अयोध्या नगरी. जो भी यहां आता है वह सरयू में आस्था की डुबकी लगाए बिना नहीं वापस जाता. प्रशासन ने इस बात का ध्यान रखते हुए अब सरयू नदी के घाटों का जो जीर्णोद्धार और पुनर्निर्माण शुरू कर दिया है और नए घाट को पूरी तरह से विकसित करने का काम पूरा हो चुका है. अगर बात करें तो पहले यहां पर आने वाले महिला पुरुष नहाने के बाद कपड़े बदलने के लिए काफी जद्दोजहद करते थे, लेकिन अब महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए कपड़ा बदलने का घर बना दिया गया है. साथ ही साथ इन घाटों की साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है और यहां पर सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रहती है.
बढ़ेगा रोजगार और व्यापार
रामलला का मंदिर जब बनकर तैयार हो जाएगा तो यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में होने की संभावना जताई जा रही है. एक अनुमान के मुताबिक यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या करीब दो लाख से ज्यादा होगी. बाहर से आ रहे श्रद्धालुओं के लिए यहां खाने-पीने, ठहरने, रहने आदि की व्यवस्था होगी. साथ ही साथ यहां पर बनी हुई चीजों को खरीद कर अपने साथ ले जाएंगे, उससे यहां के स्थानीय लोगों और आसपास के लोगों को भी खूब फायदा होगा. इसके लिए राम मंदिर निर्माण के साथ-साथ अयोध्या के विकास का रोडमैप भी तैयार किया जा चुका है.
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