आगरा बस हाईजैक: अगवा करने के पीछे ईएमआई भुगतान में देरी नहीं, कुछ और ही कहानी
उत्तर प्रदेश के आगरा में यात्रियों से भरी बस को हाईजैक करने के मामले में कहानी ने एक नया मोड़ ले लिए है. इस कांड के मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता की गिरफ्तारी के साथ ही अगवा करने की पूरी की कहानी ही बदल गयी है.
आगरा:
उत्तर प्रदेश के आगरा में यात्रियों से भरी बस को हाईजैक करने के मामले में कहानी ने एक नया मोड़ ले लिए है. इस कांड के मुख्य आरोपी प्रदीप गुप्ता की गिरफ्तारी के साथ ही अगवा करने की पूरी की कहानी ही बदल गयी है. गौरतलब है यात्रियों से भरे बस का अपहरण बुधवार को किया गया था और ठीक एक दिन बाद आरोपी प्रदीप गुप्ता को आगरा के फतेहाबाद इलाके में एक मुठभेड़ के बाद हिरासत में ले लिया गया. मुठभेड़ के दौरान उसके पैर में गोली लगी थी.
आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) बबलू कुमार ने बताया कि बस के अपहरण का कारण ईएमआई के भुगतान में देरी नहीं बल्कि धन विवाद था. पहले बताया गया था कि बस अगवा के पीछे ईएमआई के भुगतान में देरी था. बताया जा रहा है कि बस के मालिक का अधिकार ग्वालियर के पवन अरोड़ा के पास था.
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कहा जा रहा है कि प्रदीप गुप्ता का पवन अरोड़ा के पिता अशोक अरोड़ा के साथ पैसे को लेकर विवाद चल रहा था. इधर अशोक अरोड़ा की मंगलवार को कोविड -19 की वजह से मौत हो गई और आरोपी प्रदीप गुप्ता ने अरोड़ा से बकाया धन पाने के लिए बस का अपहरण कर लिया. पूछताछ के दौरान गुप्ता ने पुलिस को बताया कि उसका अशोक अरोड़ा और उनके परिवार के साथ 2012 से व्यापारिक संबंध थे. उसने कहा कि अरोड़ा ने बसों के पंजीकरण और परमिट के लिए उससे 67 लाख रुपये लिए थे. इस राशि की व्यवस्था उसने इटावा से की थी और बार-बार याद दिलाने के बावजूद वे वापस भुगतान नहीं कर रहे थे. इसीलिए बकाया पैसा वसूलने के लिए उसने बस के अपहरण की योजना बनाई थी.
आगरा के जिला अधिकारी ने भी माना है कि इस घटना से जुड़ी कुछ गलत जानकारी दी गई थी. सरकार के प्रवक्ता ने बुधवार को बताया कि श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने ऋण के किस्तों का भुगतान नहीं करने के कारण 34 यात्रियों के साथ बस का अपहरण कर लिया था.
इसी बीच श्रीराम फाइनैंस कंपनी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि बस का उनके या उनके किसी भी प्रतिनिधि द्वारा जब्त नहीं किया गया. कंपनी का इस घटना से कोई लेना देना नहीं है. श्रीराम फाइनैंस कंपनी के ग्वालियर शाखा से वाहन के लिए लिया गया ऋण साल 2018 में ही निपट चुका है. कंपनी के प्रतिनिधि ने भी इस मामले में एसएचओ हरि पर्वत और आगरा के एसपी सिटी से मुलाकात की है और मामले से संबंधित जानकारी दी.
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आगरा एसएसपी ने बताया कि प्रदीप गुप्ता की पहचान बुधवार को टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी फुटेज से हुई थी क्योंकि उसने ही बस के अपहरण कांड का नेतृत्व किया था. आगरा के न्यू दक्षिणी बाय-पास पर बुधवार को बस का अपहरण किया गया था. ड्राइवर, कंडक्टर और हेल्पर को बस से नीचे उतार दिया गया था और यात्रियों को दूसरी बस में जाने के लिए कहा गया था. बाद में इस बस को इटावा जिले से बरामद किया गया था.
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