CAA प्रदर्शन : बिजनौर हिंसा के 48 आरोपियों को जमानत, जज ने पूछा...
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन जारी है. दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर 2019 से मुस्लिम महिलाएं इस कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही हैं.
बिजनौर:
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में विरोध प्रदर्शन जारी है. दिल्ली के शाहीन बाग में 15 दिसंबर 2019 से मुस्लिम महिलाएं इस कानून के खिलाफ धरना प्रदर्शन कर रही हैं. महाराष्ट्र, बिहार समेत कई अन्य राज्यों में भी महिलाएं धरना प्रदर्शन और भूख हड़ताल कर रही हैं. हड़ताल के साथ ही इस कानून को वापस लेने की मांग हो रही है. इसके साथ ही महिलाओं की मांग है कि सरकार उन्हें यह लिखिल आश्वासन दे कि वह देश में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर लागू नहीं करेगी. आपको बता दें कि बीते साल दिसंबर में केंद्र सरकार ने दोनों सदनों में नागरिकता संशोधन कानून पास किया था.
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जिसके बाद देश भर के कई राज्यों में इसका विरोध शुरू हो गया. 20 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन हुआ. बिजनौर के नगीना में भी हिंसा हुई. जिसमें दो लोगों की मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. बीते बुधवार को अदालत ने इस मामले में गिरफ्तार 83 लोगों में से 48 लोगों को जमानत दी गई है.
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सुनवाई के दौरान जज ने पुलिस की जांच पर सवाल उठाए. जज ने कहा कि एफआईआर में भीड़ के द्वारा पुलिस पर गोली चलाने की बात सामने आई है. लेकिन हथियार मिलने के कोई सबूत नहीं दिए गए. भीड़ से किसी ने पुलिस पर फायरिंग की इसके भी कोई सबूत नहीं मिले हैं. एफआईआर में भीड़ द्वारा निजी और सरकारी गाड़ियों को जलाने का आरोप है.
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लेकिन पुलिस इसके सबूत भी पेश नहीं कर पाई है. सरकारी गाड़ियों में तोड़फोड़ की पुलिस रिपोर्ट दी गई लेकिन रिपोर्ट हिंसा के 20 दिन बाद तैयार हुई. सरकारी वकील के मुताबिक हिंसा में 13 पुलिस वाले घायल हुए लेकिन मेडिकल रिपोर्ट में पुलिसकर्मियों को मामूली चोट की बात सामने आई है. साथ ही अदालत ने कहा कि सरकारी वकील कोर्ट में इस बात का सबूत पेश करने में नाकाम रहे कि भीड़ की ओर से पुलिस पर फायरिंग की गई थी, साथ ही भीड़ ने किस तरह के नारे लगाए और कौन इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा था.
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