अलवर में 300 साल पुराने मंदिरों को क्यों तोड़ा गया? राजस्थान प्रशासन ने दी ये सफाई
देश के कई राज्यों में बुलडोजर चर्चा का विषय बना हुआ है. राजस्थान के अलवर में 300 साल पुराने मंदिर तोड़ने पर राजनीति गरमा गई है. बुलडोजर से इस मंदिर को ध्वस्त किया गया है.
नई दिल्ली:
देश के कई राज्यों में बुलडोजर चर्चा का विषय बना हुआ है. राजस्थान के अलवर में 300 साल पुराने मंदिर तोड़ने पर राजनीति गरमा गई है. बुलडोजर से इस मंदिर को ध्वस्त किया गया है. बताया जा रहा है कि 300 साल पुराने शिवलिंग को ड्रील मशीन से तोड़ा गया है. लोगों का आरोप है कि विकास के नाम पर साजिश के तहत मंदिर तोड़े गए. गहलोत सरकार की इस कार्रवाई पर भाजपा ने आपत्ति जताई है. हालांकि, अलवर के जिला कलेक्टर (Alwar DM) ने मूर्तियों के खंडित होने की बात से इनकार किया है.
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मंदिर तोड़ने को लेकर जिला कलेक्टर शिवप्रसाद नकाते ने कहा कि नगरपालिका में अतिक्रमण हटाने का प्रस्ताव पास हुआ था. 6 अप्रैल को नोटिस दिए गए थे. अतिक्रमण हटवाने के लिए पर्याप्त समय दिया गया था. किसी भी वैध निर्माण को ध्वस्त नहीं किया गया. इस दौरान दो मंदिरों को हटाने की भी कार्यवाही की गई, लेकिन मंदिर में स्थापित मूर्तियों को पूर्व में ही हटाया था. नगर पालिका राजगढ़ द्वारा हटाए गए मूर्तियों की विधि-विधान से स्थापना की जा रही है.
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भाजपा प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनियां ने राजगढ़ (अलवर) मंदिर मामले की तथ्यात्मक जांच के लिए पार्टी की 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया है. यह कमेटी मौके पर जाकर तथ्यात्मक रिपोर्ट तैयार कर प्रदेशाध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेगी. इस कमेटी में सांसद सुमेधानंद, प्रदेश उपाध्यक्ष एवं विधायक चंद्रकांता मेघवाल, राजेंद्र सिंह शेखावत, बृजकिशोर उपाध्याय और भवानी मीणा शामिल किए गए हैं.
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