कावड़ यात्रा स्थगित करने पर राजस्थान में सियासी घमासान
राजस्थान के टोंक जिले में कावड यात्रा को कावड़ियों ने स्थगित कर दिया है. वजह गहलोत सरकार ने निर्धारित मार्ग पर कावड यात्रा को निकालने की अनुमति नहीं दी. जिससे कावड़ियों में रोष व्याप्त हो गया और नाराज़ कावड़ियों ने कावड यात्रा को ही स्थगित कर दिया
नई दिल्ली:
राजस्थान के टोंक जिले में कावड यात्रा को कावड़ियों ने स्थगित कर दिया है. वजह गहलोत सरकार ने निर्धारित मार्ग पर कावड यात्रा को निकालने की अनुमति नहीं दी. जिससे कावड़ियों में रोष व्याप्त हो गया और नाराज़ कावड़ियों ने कावड यात्रा को ही स्थगित कर दिया. हालाँकि प्रसाशन ने एहतिहात के तौर पर फ्लैग मार्च भी किया है. वहीं इस पूरे मामले को लेकर विपक्ष ने गहलोत सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाया है. राजस्थान के टोंक के मालपुरा कस्बे में बम बम भोले और हर हर महादेव के जयघोष नहीं गूंजेंगे. जहाँ हर साल सावन के महीने में कावड़ियों की बड़ी यात्रा निकलती हैं. हिन्दुओ के पालयन मामले को लेकर सुर्ख़ियों में आया मालपुरा एक बार फिर कावड़ियों के इसी पत्र को लेकर चर्चा में हैं. इस पत्र में सरकार के एक फैसले पर नाराजगी जताते हुए इस साल कांवड यात्रा को ही नहीं निकालने का निर्णय लिया है. कावड़ियों ने इसकी वजह बताई है की सरकार ने कानून व्यवस्था का हवाला देकर कांवड यात्रा के मार्ग को ही बदल दिया और इसके पीछे की बड़ी वजह यही थी की यह यात्रा मुस्लिम मोहल्लों से होकर भी गुजरती थी.
उधर राजस्थान सरकार ने इस मसले पर तुष्टिकरण के आरोपों से इनकार किया है. मंत्री की माने तो बीजेपी कावड यात्रा के नाम पर दंगे भड़काना चाहती है. ऐसे रास्तों से यात्रा की अनुमति मांग रही है जो घनी आबादी के हैं. बीजेपी और आरएसएस को आगाह करते हुए मंत्री ने कहा की जिस स्कूल में वे साम्प्रदायिकता की शिक्षा ले रहे हैं, वे उसके प्रिंसिपल हैं. दरअसल कांवड़ियों के साथ साथ ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. कांवड़ियों का कहना है की जिन मार्ग से हर साल कांवड यात्रा निकलती आ रही है उस रास्ते को अचानक क्यों बदला गया. सरकार पर पिछले कई महीनों से हो रही शहर दर शहर सांप्रदायिक घटनाओं को देखते हुए विपक्ष तुष्टिकरण का आरोप लगता रहा है. इस बार विपक्ष ने सत्ता अपक्ष को कांवड यात्रा को लेकर आरोपों के कटघरे में खड़ा किया है.
इससे पहले रामनवमी पर भी इन्होने शोभायात्रा पर रोक लगा दी. रमजान पर समुदाय विशेष को निर्बाध बिजली देने का आदेश जारी किया. लेकिन अब मुस्लिम मोहल्लों की आड़ में इस यात्रा पर ही बंदिशें लगा दी. यह तुष्टिकरण नहीं है तो और क्या है! यह पहला मौका नहीं है, जब मुस्लिम प्रेम के चलते गहलोत सरकार को भाजपा ने कटघरे में खडा किया है. लेकिन यह मामला मालपुरा से जुडा हुआ है, जो सांप्रदायिक दंगों के लिहाज़ से बेहद ही संवेदनशील माना जाता है. मुस्लिम बाहुल्य इलाकों से कावड यात्रा की अनुमति भले ही कानून व्यवस्था अको धयान में रखकर नहीं दी हो , लेकिन आबादी की आड़ में धार्मिक यात्रा पर रोक लगाकर भाजपा को एक बार फिर गहलोत सरकार पर हमला बोलने का मौका मिल ही गया है.
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