CM की कुर्सी को लेकर राजस्थान में फिर गहराया संकट, पूर्व मंत्री के घर जुटे सचिन विरोधी 60 विधायक
राजस्थान की कांग्रेस इकाई में उठा पटक जारी है. यहां फिर से कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई दिखाई दे रही है. एक गुट पायलट का है. वहीं, दूसरा गुट पूर्व मंत्री शांति धारीवाल उभरकर सामने आ गया है, जो पायलट को बागी बता रहे हैं.
जयपुर:
राजस्थान की कांग्रेस इकाई में उठा पटक जारी है. आज राजस्थान के पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन विधायकों का मत जानने के लिए जयपुर गए थे. लेकिन यहां फिर से कांग्रेस दो गुटों में बंटी हुई दिखाई दे रही है. एक गुट पायलट का है. वहीं, दूसरा गुट पूर्व मंत्री शांति धारीवाल उभरकर सामने आ गया है, जो पायलट को बागी बता रहे हैं. गौरतलब है कि इस वक्त 60 विधायक और पूर्व मंत्री शांति धारीवाली के घर जमा हैं.
इससे पहले राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैसलमेर में कहा कि उनको किसी पद का लालच नहीं है. उन्होंने कहा कि मैं 50 साल के राजनीतिक कैरियर में पिछले 40 वर्षो से किसी न किसी पद पर रहा हूं. अब समय आ गया है कि पद की जिम्मेदारी नयी पीढ़ी को दी जाए. सीएम गहलोत ने यह भी कहा कि राज्य की कमान ऐसे लोगों को दी जाए, जिसको जनता जानती हो और वह अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को सत्ता में वापस ला सके.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जैसलमेर के माता तनोट मंदिर में दर्शन के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए ये बातें कहीं. उन्होंने कहा कि मैं 40 वर्षो से किसी न किसी संवैधानिक पद पर रहा हूं और मुझे किसी पद का लालच नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि मैंने पार्टी आलाकमान को अगस्त में ही कहा था कि अगला चुनाव ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में लड़ा जाए, जो राज्य में कांग्रेस की सरकार फिर से ला सके. अगर ऐसा होता है तो पार्टी फिर से जनाधार वापस ले सकती है.
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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री गहलोत अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (aicc) के चेयरमेन पद का चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. वे गांधी परिवार के सबसे करीबी और आशीर्वाद प्राप्त उम्मीदवार माने जाते हैं. उन्हें ऐसे वक्त में उम्मीदवार बनाया जा रहा है, जब गांधी परिवार से कोई नहीं उम्मीदवार नहीं बनने का ऐलान कर दिया था. राहुल के गांधी के इस बयान और बातचीत के बाद गहलोत ने चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. इस चुनाव में उनके साथ कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शशि थरूर भी चुनाव लड़ रहे हैं. आपको बता दें कि अशोक गहलोत 1998 से 2003, 2008 से 2013 और 2018 से तीसरी बार मुख्यमंत्री के पद पर हैं और उनको राजनीतिक करियर का लंबा अनुभव रहा है.
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