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Jharkhand News: यहां के लड़के-लड़कियों से कोई भी नहीं करना चाहता शादी, जानिए वजह

बोकारो का आदिवासी बहुल जिलिंगटांड टोला आजादी के 7 दशक बाद भी पक्की सड़क की आस देख रहा है. ग्रामीणों सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक वो पगडंडियों के सहारे ही आवाजाही कर रहे हैं.

Updated on: 05 May 2023, 08:14 AM

highlights

  • ग्रामीणों को पगडंडियों का सहारा
  • 7 दशक से पक्की सड़क का इंतजार
  • मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं
  • सड़क ना होने के चलते नहीं हो रही युवाओं की शादी
  • ग्रामीणों की पुकार... सुनो सरकार

Bokaro:

बोकारो का आदिवासी बहुल जिलिंगटांड टोला आजादी के 7 दशक बाद भी पक्की सड़क की आस देख रहा है. ग्रामीणों सालों से सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन आज तक वो पगडंडियों के सहारे ही आवाजाही कर रहे हैं. झारखंड का निर्माण ही जिस नींव पर हुआ वो नींव ही कमजोर होती दिखाई दे रही है. जिन आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए झारखंड बना आज वही असुविधाओं की मार झेल रहे रहे हैं. उनके पास ना तो सड़क की सुविधा है, ना पानी का इंतजाम. रोजगार के साधन तक नहीं है और सरकारी योजनाएं उनतक पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती हैं. बोकारो में आदिवासी समुदाय किस तरह बदहाली में जीने को मजबूर हैं. यहां ग्रामीण पगडंडियों के सहारे आवाजाही करने को मजबूर हैं. 

ग्रामीणों को पगडंडियों का सहारा

आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास को लेकर दावे तो बहुत होते हैं, लेकिन इन दावों पर काम कितना होता है ये तो चास प्रखंड के करहरिया पंचायत की तस्वीरें ही बता रही हैं. जहां जिलिंगटांड टोला में आजादी के 7 दशक बाद भी ग्रामीणों को पक्की सड़क तक नसीब नहीं हुई है. ये आलम तब है जब इस गांव में JMM सुप्रीमो शिबू सोरेन के बड़े भाई और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के बड़े पिताजी राजाराम सोरेन का ससुराल है. इस गांव की आबादी लगभग 200 है, लेकिन गांव से मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए कोई पक्की सड़क नहीं है. पगडंडियों के सहारे  एक किलोमीटर का सफर तय कर मुख्य सड़क तक पहुंचना पड़ता है. अगर कोई बीमार हो जाए तो काफी परेशानी होती है और बरसात के दिनों में तो घर से निकलना भी दूभर हो जाता है.

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मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं

ग्रामीण सालों से यहां सड़क की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी मांगों को सुनने वाला कोई नहीं है. आलम ये है कि सड़क ना होने से अब गांव की लड़कियों और लड़कों की शादी तक नहीं हो रही. ग्रामीणों का कहना है कि पहले बोकारो जिला फिर झारखंड राज्य बनने के बाद उम्मीद थी कि गांव की सड़क बन जायेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हालांकि ग्रामीणों के आवेदन पर बोकारो के बीजेपी विधायक ने इस सड़क के लिए अनुशंसा की. योजना पास भी हुई, लेकिन ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल की उदासीनता के चलते अभी तक निर्माण शुरू नहीं हो पाया है. 

रिपोर्ट : संजीव कुमार