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झारखंड: सरकारी स्कूलों के टैब से हटेगा रघुवर दास का वीडियो

झारखंड में नई सरकार के गठन के बाद अब सरकारी स्कूलों को दिए गए करीब 35 हजार टैब से पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास के वीडियो हटाए जाएंगे.

Updated on: 09 Feb 2020, 12:15 PM

रांची:

झारखंड (Jharkhand) में नई सरकार के गठन के बाद अब सरकारी स्कूलों को दिए गए करीब 35 हजार टैब से पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास (Raghubar Das) के वीडियो हटाए जाएंगे. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो द्वारा विभाग को दिए गए इस निर्देश के बाद इसकी कवायद प्रारंभ हो गई है. पिछली सरकार ने राज्य के विद्यालयों को उपस्थिति बनाने के लिए सरकार की ओर से टैब दिया था. इस टैब का क्रय झारखंड एजेंसी फॉर प्रमोशन ऑफ इंफॉरमेशन टेक्नोलॉजी (जैप आइटी) की देखरेख में किया गया था.

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पिछली सरकार में लगभग 35 हजार स्कूलों को दिए गए टैब को खोलने पर उसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुबर दास का एक वीडियो आता है, जिसमें वह डिजिटल इंडिया को प्रोत्साहित करते नजर आते हैं. इस टैब से शिक्षकों की बायोमेट्रिक उपस्थिति भी बनती है तथा स्कूलों से संबंधित रिपोर्टिग भी की जाती है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री जगरनाथ महतो द्वारा विभाग को निर्देश दिए जाने के बाद इस संबंध में विभाग ने कवायद प्रारंभ कर दी है.

सूत्रों का कहना है कि निर्माण के समय ही वीडियो शामिल किए जाने के कारण उक्त वीडियो हटाने में प्रति टैब चार हजार रुपये से अधिक खर्च आ सकते हैं. ऐसे में वीडियो हटाने पर ही करोड़ों रुपये से अधिक का बोझ राज्य सरकार पर पड़ सकता है. सूत्रों का दावा है कि एक टैब लगभग 13 हजार रुपये की दर से खरीदे गए थे और अब वीडियो हटाने पर प्रत्येक पर चार हजार रुपये से अधिक खर्च हो जाएंगे.

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विभागीय मंत्री कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में हमेशा नहीं रह सकता, ऐसे में मुख्यमंत्री का वीडियो टैब में शामिल नहीं किया जाना चाहिए था. उन्होंने यह भी कहा कि जिस पदाधिकारी के लिखित या मौखिक आदेश से ऐसा किया गया, तथा जो इसके लिए जिम्मेदार होंगे, उनके विरुद्ध भी कार्रवाई होगी.

सूत्रों की माने तो टैब आपूर्ति करनेवाली एचपी कंपनी से जब वीडियो हटाने को लेकर मंतव्य मांगा गया तो कंपनी ने इसमें बड़ी राशि खर्च होने की बात कही है. हालांकि, यह राशि कितनी होगी यह स्पष्ट नहीं बताया गया है. कंपनी ने इसे टाइम टेकिंग भी बताया है. ऐसे में अब तय माना जा रहा है कि तत्कालीन सरकार में जो भी अधिकारी इस टैब की खरीदारी में शामिल होंगे, उन पर गाज गिरनी तय है.