कुव्यवस्था के शिकार हो रहे इस मेडिकल कॉलेज के छात्र, बाइक की लाइट से खाना बनाने को हैं मजबूर
पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित पोखराहा खुर्द में बने मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के होस्टल में रह रहे छात्र-छात्राएं इन दिनों बिजली - पानी की समस्या से काफी जूझ रहे हैं.
highlights
- 2017 में रघुवर दास ने मेडिकल कॉलेज की रखी थी नींव
- 292.72 करोड़ की लागत से बना है अस्पताल
- बाइक की लाइट से खाना बनाते हैं छात्र
Palamu:
पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय स्थित पोखराहा खुर्द में बने मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल के होस्टल में रह रहे छात्र-छात्राएं इन दिनों बिजली - पानी की समस्या से काफी जूझ रहे हैं. एमएमसीएच में पढ़ने वाले एवं हॉस्टल में रहने वाले छात्र एवं छात्राएं अपनी दिनचर्या भी पूरी नहीं कर पा रहे हैं. बात दें कि 23 फरवरी 2017 को झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मेडिकल कॉलेज की नींव रखी थी, जबकि बनकर तैयार होने के बाद इसका ऑनलाइन उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
292.72 करोड़ की लागत से बना है अस्पताल
292.72 करोड़ की लागत से बने मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में पढ़ने और हॉस्टल में रहने वाले छात्र इन दिनों अस्पताल प्रबंधन की कुव्यवस्था का शिकार हो रहे हैं. एमएचसीएच के छात्रों ने बताया कि जब से उन्होंने एमएमसीएच में नामांकन किया है. तब से हॉस्टल में सही तरीके से बिजली उपलब्ध नहीं हो रही है और ना ही पानी मिल पा रहा है. किसी तरह छात्र यहां पढ़ने और रहने को लेकर विवस हैं.
बाइक की लाइट से खाना बनाते है छात्र
वहीं, अगर बात की जाए तो इन दिनों पलामू का पारा भी 43 डिग्री से ऊपर पहुंच चुका है. ऐसे में बिजली नहीं रहने से हॉस्टल में रह रहे छात्रों का क्या हाल होता होगा ये तो सोचने वाली बात है. मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में रह रहे छात्रों का कहना है कि कई बार बिजली नहीं रहने से छात्र अपने बाइक की लाइट के द्वारा अपना भोजन बनाते हैं और खाते हैं. इस परिस्थिति को लेकर कई बार अस्पताल प्रबंधन को भी जानकारी दी गई पर इन समस्याओं को सुनने वाला कोई नहीं है.
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300 छात्र छात्राओं का हुआ है नामांकन
आपको बताते चले की एमएमसीएच में लगभग सभी सेमेस्टर मिलाकर 300 छात्र छात्राओं का नामांकन है. ऐसे में आप कल्पना कर सकते है कि अस्पताल प्रबंधन की कुव्यवस्था का छात्र कैसे शिकार हो रहे हैं. हालांकि कई दिनों से एमएमसीएच में प्रिंसिपल का पद भी खाली है. मगर नए प्रिंसिपल के रूप में डॉ. कामेंद्र प्रसाद ने आज अपना योगदान दिया है. योगदान देने के बाद प्रिंसिपल का कहना है कि एमएमसीएच में रह रहे छात्र-छात्राओं को जो भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा उसे बहुत जल्द खत्म की जाएगी.
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