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Jharkhand News: बारिश के मौसम में सब्जियों के बढ़ते दाम, इस कारण फसल हुई खराब

इन दिनों हरी सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं. सब्जी महंगा होने के कारण बाजार से लेकर खेतों तक में इसका असर देखने को मिल रहा है. जहां सब्जी के खरीदार और विक्रेता पर महंगी सब्जी का मार पड़ रहा है.

Updated on: 08 Jul 2023, 03:00 PM

highlights

  • हरी सब्जी के दाम छू रहे हैं आसमान 
  • पानी की कमी के कारण खेतों में ही मर गई फसलें 
  • सब्जियों की फसल इस कारण हो गई है खराब 
  • सब्जियों के दाम और भी बढ़ते जा रहे हैं

 

Ranchi:

इन दिनों हरी सब्जी के दाम आसमान छू रहे हैं. सब्जी महंगा होने के कारण बाजार से लेकर खेतों तक में इसका असर देखने को मिल रहा है. जहां सब्जी के खरीदार और विक्रेता पर महंगी सब्जी का मार पड़ रहा है. वहीं, सब्जी उत्पादन करने वाले किसान भी इससे अछूते नहीं दिख रहे हैं. अभी तक के हुए अल्प वर्षा के कारण खेतों में सब्जी की फसल या तो उपज ही नहीं पाई है या फिर बहुत ही थोड़ी उपज हुई है या फिर पानी की कमी के कारण बहुत से खेतों में फसलें ही मर गई है. जिससे आम जनों के साथ-साथ किसानों को भी आर्थिक बोध का सामना करना पड़ रहा है.

सब्जियों की फसल इस कारण हो गई खराब 

सब्जी उत्पादन में लगे किसानों की माने तो अत्यधिक गर्मी पड़ने के कारण खेतों में सब्जियों की फसल खराब हो गई है. जिस कारण पर्याप्त मात्रा में सब्जी बाजारों में उपलब्ध नहीं हो पा रही है. वहीं, एक अन्य किसान का कहना है कि अभी बरसात के मौसम में भी वर्षा खेती के अनुरूप नहीं हो पा रहा है. साथ ही खेतों की उर्वरा शक्ति भी धीरे-धीरे कम हो रही है. जिस कारण सब्जी की पैदावार नहीं हो पा रही है.

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सब्जियों के दाम और भी बढ़ते जा रहे हैं

सब्जी की खेती नहीं होने की समस्या को बताते हुए एक किसान ने कहा कि सब्जी की उत्पादन नहीं होने से हम सबों को खुद बाजार से सब्जी खरीदना पड़ रहा है और हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण इसका असर हमारे भोजन पर भी पड़ रहा है. वहीं, सब्जी विक्रेता का कहना है कि वर्षा ऋतु के मौसम में सब्जी का दाम कम उपज के कारण अधिक होता है. इस बार बारिश की कमी के कारण सब्जियों के दाम और भी बढ़ते जा रहे हैं. साथ ही खरीदारों का भी कहना है की बारिश की कमी के कारण सब्जियों के दाम बढ़ते जा रहे है, लेकिन अब हम भी क्या करें सब्जियां खरीदना हमारी मजबूरी हो चुकी है.

रिपोर्ट - महक मिश्रा