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बोकारो में तालाब जीर्णोद्धार में भारी भ्रष्टाचार, पूछताछ करने पर धमकी देता है ठेकेदार

राज्य की सरकारें आम जनता के लिए कितनी भी योजनाएं क्यों न बना दें और कितने भी ऐलान क्यों न कर दें, जब तक प्रशासन के स्तर पर उस योजना पर काम नहीं होता और जनता तक उसका लाभ नहीं पहुंच पाता है.

Updated on: 20 Sep 2022, 04:16 PM

Bokaro:

राज्य की सरकारें आम जनता के लिए कितनी भी योजनाएं क्यों न बना दें और कितने भी ऐलान क्यों न कर दें, जब तक प्रशासन के स्तर पर उस योजना पर काम नहीं होता और जनता तक उसका लाभ नहीं पहुंच पाता है. प्रशासनिक अधिकारी और बिचौलिये योजनाओं के नाम पर अपनी जेबें भरने में लगे रहते हैं. ऐसा ही मामला बोकारो जिले से सामने आया है, जहां करोड़ों की लागत से बने तालाब में गड़बड़ियों का अंबार लगा है, लेकिन अधिकारी हैं कि सुनने का नाम नहीं ले रहे. 

दरअसल चास प्रखंड में तलाब का जीर्णोद्धार होना था. ये तालाब लगभग 30 एकड़ में फैला है. इसके जीर्णोद्धार के लिए करीब 1 करोड़ 48 लाख रुपये का टेंडर भी निकाला गया, लेकिन ये राशि कहां गई... किसी को ख़बर नहीं. तालाब के जीर्णोद्धार के नाम पर सिर्फ मेड़ की खुदाई की गई है. सिर्फ मेड़ की खुदाई में 1 करोड़ 48 लाख की राशि खर्च हुई है

हैरत की बात है कि इस तालाब के जीर्णोद्धार के लिए बोकारो के बीजेपी विधायक बीरांची नारायण ने 9 अप्रैल 2022 को खुद शिलान्यास किया था, लेकिन शिलान्यास के बाद न तो विधायक ने तालाब की सुध ली और न ही संबंधित विभाग के अधिकारियों ने. ग्रामीणों का कहना है कि ठेकेदार ने बिना गांव वालों को बताए तालाब के किनारे की जमीन की कटाई कर दी. जिसके चलते मछली पालन करने वाले लोगों की मछलियां बह गई. इतना ही नहीं तालाब की कटाई से आस-पास की उपजाऊ जमीन भी प्रभावित हुई है.

तालाब जीर्णोद्धार में हुए भ्रष्टाचार से ग्रामीण आक्रोशित है. उनका कहना है कि बिना नापी किए ही तालाब के किनारों को काट दिया गया, लेकिन जो असली परेशानी थी उसपर काम ही नहीं हुआ. दरअसल तालाब के बीच में कचरा है. इसी को साफ करने की जिम्मेदारी ठेकेदार के पास थी,लेकिन इस पर कोई काम ही नहीं हुआ. खानापूर्ति के लिए सिर्फ किनारे की कटाई कर दी गई. ग्रामीणों के मुताबिक जब ठेकेदार से इस बारे में पूछताछ की जाती है तो वो धमकी देकर बातों को टाल जाता है. अब गुस्साए ग्रामीणों ने मामले को सीएम से जांच की मांग की है.

ग्रामीणों ने कई बार मामले की शिकायत संबंधित विभागों से की है, लेकिन अधिकारियों ने सुनवाई तो दूर आश्वासन तक नहीं दिया और मामले से पल्ला झाड़ लिया. ऐसे में अब देखना होगा कि गांववालों की मांग पर कब तक सुनवाई की जाती है और भ्रष्टाचार करने वाले अधिकारियों पर कब कार्रवाई की जाती है. 

रिपोर्ट : संजीव कुमार