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Jharkhand: CM हेमंत सोरेन की बढ़ीं मुश्किलें, जमीन घोटाला मामले में ED ने भेजा समन

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन घोटाले के मामले में सीएम हेमंत सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया है.

Updated on: 08 Aug 2023, 08:54 PM

highlights

  • झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन की बढ़ी मुश्किलें.
  • प्रवर्तन निदेशालय सीएम सोरेन को पूछताछ के लिए बुलाया. 
  • ED पहले भी सीएम हेमंत सोरेन से कर चुकी है पूछताछ.

 

नई दिल्ली:

ED Summons Hemant Soren: झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ती हुई नजर आ रही हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने जमीन घोटाले के मामले में सीएम हेमंत सोरेन (Hemant Soren) को पूछताछ के लिए बुलाया है. सोरेन को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पूछताछ के लिए 14 अगस्त को बुलाया है. ये दूसरी बार है जब ED हेमंत सोरेन से पूछताछ करेगी. इससे पहले नवंबर 2022 में एजेंसी ने सीएम सोरेन से अवैध खनन (Illegal Mining) मामले में पूछताछ की थी. कुल मिलाकर अलग-अलग मामलों में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन एजेंसी की जांच के दायरे में हैं. 

इन लोगों की हो चुकी है गिरफ्तारी 

जमीन से इस मामले में ED एक IAS अधिकारी समेत 11 आरोपियों को अब तक गिरफ्तार कर चुकी है. गिरफ्तार आरोपियों के नाम छवि रंजन, अमित अग्रवाल, दिलीप घोष, विष्णु कुमार अग्रवाल, अफसर अली, इम्तियाज अहमद, प्रदीप बागची, मोहम्मद सद्दाम हुसैन, तल्हा खान, भानू प्रताप प्रसाद और फैयाज खान हैं. सभी गिरफ्तार आरोपी अधिकारी, व्यापारी, वकील और बिचौलिये हैं, जो  जमीनों पर कब्जा कर फर्जी दस्तावेज बनाकर बेच दिया करते थे. इस काम में इनकी मदद IAS छवि रंजन कर रहे थे.

ऐसे कब्जा की जाती थी जमीन 

सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि आरोपी साल 1932 के जमीनी दस्तावेज बनाकर लोगों की जमीनों को कब्जा करते थे. आरोपी पीड़ितों से कहते थे कि उनकी जमीनें तो उनके पिता या दादा बेच कर जा चुके हैं. इन आरोपियों ने सेना को लीज पर दी गई जमीन को भी धोखे से कब्जा कर दूसरी जगह बेच दिया था. एजेंसी ने इनके पास से सैकड़ों की तादाद में जमीन से जुड़े फर्जी कागजात बरामद किए हैं.

ऐसे सामने आई सच्चाई

जांच एजेंसी ने आरोपियों के पास से बरामद दस्तावेजों की जांच करवाई तो पता चला कि सभी दस्तावेज फर्जी हैं. जिन जिलों के नाम आजादी से पहले नहीं होते थे उस पते पर आजादी से पहले के दस्तावेज, पिन नंबर 1970 के दशक में आया लेकिन पुराने दस्तावेजों में पिन नंबर लिखा जाना. इस तरह की गलतियों के बाद इन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया और पूरे मामले का खुलासा हुआ.