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Bokaro News: 5 साल से अधर में पेयजल योजना, भ्रष्टाचार और लापरवाही का दंश झेल रहे लोग

बोकारो में करीब 126 करोड़ की लागत से पेयजल योजना फेज 2 का काम शुरू किया गया, लेकिन काम शुरू होने के 5 साल बाद भी लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पाया है.

Updated on: 03 Jun 2023, 08:42 AM

highlights

  • करोड़ों की राशि खर्च... नहीं मिल रहा पानी
  • 2018 में ही हुआ था योजना का शिलान्यास
  • 3 साल की समय सीमा... काम अभी भी अधूरा
  • भ्रष्टाचार और लापरवाही का दंश झेल रहे लोग

Bokaro:

बोकारो में करीब 126 करोड़ की लागत से पेयजल योजना फेज 2 का काम शुरू किया गया, लेकिन काम शुरू होने के 5 साल बाद भी लोगों के घरों तक पानी नहीं पहुंच पाया है. काम में देरी भले हो रही है, लेकिन लागत राशि खर्च हो चुकी है. सरकार योजनाएं बनाती है, अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी जाती है. करोड़ों की राशि भी खर्ज हो जाती है लेकिन जनता के लिए ये सब ढाक के तीन पात. क्योंकि जो जनता पहले परेशानियों को झेल रही होती है वो सरकार के करोड़ों रुपए खर्च हो जाते के बाद भी उन्हीं समस्याओं से दो-चार होती है. कुछ ऐसा ही हो रहा है बोकारो में जहां अमृत योजना के तहत जलमीनार का काम बीते 5 सालों से अधर में लटका है.

2018 में ही हुआ था योजना का शिलान्यास

चास नगर निगम में पानी की समस्या सालों से रही है. ऐसे में समस्या के निदान के लिए अमृत योजना के तहत लगभग 126 करोड़ की लागत से चास नगर निगम में पेयजल योजना फेज 2 के कार्य का शिलान्यास किया गया, लेकिन 2018 में हुए शिलान्यास के 5 साल बीत जाने के बाद भी काम पूरा नहीं हो सका है. इस योजना की जिम्मेदारी टाटा की कंपनी जूसको को दी गई है. इसके तहत नगर निगम क्षेत्र के वार्डों में पाइप लाइन, पानी टंकी का निर्माण और वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण होना था. इस  योजना के लिए 3 साल की समय सीमा तय की गई थी, लेकिन आज तक ये काम अधर में लटका है.

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काम अभी भी अधूरा

फिलहाल दो टंकियों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है बाकी चार टंकी का निर्माण कार्य भी अधूरा पड़ा हुआ है. यहां राज्य के नगर विकास विभाग की भी लापरवाही सामने आई है. दरअसल योजना में देरी हो रही है को लेकर विभाग ने कोई मॉनिटरिंग नहीं की है और विभाग की लापरवाही का दंश आम जनता झेल रही है. इस चास नगर निगम के पूर्व मेयर ने भी पानी टंकी निर्माण पूरा ना होने को लेकर नाराजगी जताई है. उनका कहना है कि करोड़ों के भुगतान के बाद भी काम पूरा नहीं होना जांच का विषय है.

5 साल में करोड़ों की राशि को पानी की तरह बहा दिया गया, लेकिन धरातल पर लोगों को बूंद बूंद पानी के लिए जद्दोजहद करना पड़ रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कब तक सरकारी पैसों की चपत लगाई जाएगी. कब तक आम जनता के हक पर सेंधमारी होगी और कब जाकर लापरवाह और भ्रष्ट अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई होगी.

रिपोर्ट : संजीव कुमार