Bihar News: चौथे कृषि रोड मैप का क्या है लक्ष्य? आत्मनिर्भर बनेगा बिहार?
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. प्रदेश के विकास की बुनियाद कृषि के विकास पर आधारित है और ये बात प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार भली-भांति जानते हैं.
highlights
- कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा बिहार
- किसानों के विकास के लिए लगातार काम कर रहे सीएम
- कृषि क्षेत्र के उत्थान पर सीएम नीतीश का फोकस
- चौथे कृषि रोड मैप से लाभांवित होंगे लाखों किसान
Patna:
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है. प्रदेश के विकास की बुनियाद कृषि के विकास पर आधारित है और ये बात प्रदेश के मुखिया नीतीश कुमार भली-भांति जानते हैं. यही वजह है कि सीएम नीतीश कुमार किसानों के विकास और उनके उत्थान के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं. फिर चाहे उनके लिए योजनाओं का निर्माण करना हो या सरकारी मदद मुहैया कराना. सीएम की इसी कोशिश का नतीजा है मुख्यमंत्री का वो ड्रीम प्रोजेक्ट जो प्रदेश के किसानों की नकदीर बदल कर रख देगा. हम बात कर रहे हैं कृषि रोड मैप की. बिहार में चौथे कृषि रोड मैप 2023 का शुभारंभ किया गया. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने योजना का आगाज़ किया.
चौथे कृषि रोड मैप का क्या है लक्ष्य?
- कृषि में लगे किसानों की आय बढ़ाना
- तेलहन दलहन फसलों का उत्पादन बढ़ाना
- किसानों को फसल की उचित मूल्य दिलाना
- गुणवत्ता युक्त बीज का उत्पादन करना
- कृषि को उद्योग से जोड़ना भी है लक्ष्य
- मत्स्य-दुग्ध के क्षेत्र में उत्पादन बढ़ान
अब बदलेगी बिहार के किसानों की तकदीर
प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चौथे कृषि रोड मैप के जरिए कृषि को टेक्नोलॉजी से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही योजना के जरिए किसानों के लिए जलवायु के हिसाब से कृषि, जैविक खेती, बाजार व्यवस्था में सुधार और अच्छे बीजों की उपलब्धता में राज्य को आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया गया है. कृषि क्षेत्र के विकास को लेकर सीएम नीतीश की दूरदर्षिता का अंदाजा इस बात से ही लगा सकते हैं कि सीएम ने चौथे कृषि रोड मैप के जरिए 2028 तक का लक्ष्य तय कर लिया है. योजना के तहत 2028 तक प्रदेश में अंडा उत्पादन बढ़ाकर 60 हजार 745 लाख कर दिया जाएगा. इसके लिए लेयर फर्मिंग को बढ़ावा दिया जाएगा. मछली उत्पादन 7.62 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 12.70 लाख मीट्रिक टन हो जायेगा. 2020-21 में जहां दूध का उत्पादन 11501.581 हजार मीट्रिक टन हुआ. वहीं, साल 2028 तक इसे बढ़ाकर 15 हजार 990 हजार मीट्रिक टन किया जाएगा. सरकार मुर्गी पालन, बकरी पालन, गाय पालन को बढ़ावा देने के लिए नई और पुरानी योजनाओं के जरिए किसानों को अनुदान देगी. लगभग सभी जिलों में आधुनिक पशु चिकित्सालय विकसित किए जायेंगे.
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सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट से बदलेगी कृषि की तस्वीर
बिहार के लगभग 93 लाख हेक्टेयर जमीन में से 79 लाख हेक्टेयर जमीन खेती के लायक है. राज्य में आज भी 74 प्रतिशत लोग आजीविका के लिए खेती पर ही निर्भर है और राज्य के जीडीपी में कृषि का योगदान भी 20 फीसदी के करीब है. ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का हमेशा से ही किसानों और कृषि पर के विकास पर फोकस रहा है और कृषि रोड मैप बिहार के किसानों के विकास के लिए मील का पत्थर साबित होगा. क्योंकि सीएम नीतीश के इस योजना को ना सिर्फ बिहार बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कई बाह सराहा गया है.
कृषि क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनेगा बिहार
दरअसल नीतीश सरकार के पहले ही कृषि रोड मैप को बिहार में काफी सफलता मिली थी. नीतीश सरकार के दूसरे किसी रोड मैप को तो कई पुरस्कार भी मिले. 2012 में चावल उत्पादन के लिए कृषि कर्मण पुरस्कार मिला. 2013 में गेहूं उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार मिला. 2016 में मक्का के उत्पादन के क्षेत्र में कृषि कर्मण पुरस्कार. बिहार में कृषि रोडमैप किसी क्रांति से कम नहीं. सीएम नीतीश कुमार का ये ड्रीम प्रोजेक्ट ना सिर्फ किसानों की तकदीर और कृषि की तस्वीर बदल रहा है. बल्कि इससे राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई मजबूती मिली है. यही वजह है कि चौथे कृषि रोडमैप को लेकर प्रदेश के किसानों में उत्साह है.
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