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Bihar Politics: बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र का तीसरा दिन, आज भी हंगामे के पूरे आसार

बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है. पिछले दो दिनों की तरह आज तीसके दिन भी मानसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं.

Updated on: 12 Jul 2023, 09:22 AM

highlights

  • बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन
  • मानसून सत्र के आज भी हंगामेदार होने के आसार
  • लैंड फॉर जॉब मामले में तेजस्वी को घेरेगी बीजेपी
  • शिक्षक नियमावली में संशोधन को लेकर विपक्ष करेगा विरोध

Patna:

बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र का आज तीसरा दिन है. पिछले दो दिनों की तरह आज तीसके दिन भी मानसून सत्र के हंगामेदार रहने के आसार हैं. माना जा रहा है कि आज भी बीजेपी लैंड फॉर जॉब मामले में तेजस्वी को घेरेगी. वहीं, शिक्षक नियमावली में संशोधन को लेकर भी विपक्ष विरोध करेगा. दो दिन से कानून व्यवस्था और बेरोजगारी के मुद्दे पर भी बीजेपी हंगामा कर रही है. आपको बता दें कि  बिहार विधानसभा में दूसरे दिन मंगलवार को भी जमकर बवाल हुआ था. सदन में कुर्सियां उछाली गई. बीजेपी ने तेजस्वी यादव के इस्तीफे की मांग करते हुए सदन से वॉकआउट कर किया. वहीं, RJD ने भी इस मुद्दे पर बीजेपी को जमकर लपेटा है. राबड़ी देवी ने तो पीएम मोदी का ही इस्तीफा मांग लिया. 

तेजस्वी के इस्तीफे की मांग पर अड़ी बीजेपी

विजय सिन्हा ने तीखे और सधे अंदाज में तेजस्वी से इस्तीफा मांगा है. बीजेपी ने इस बार एक तीर से दो जगहों पर निशाना लगाया है. पहला लैंड फॉर जॉब में तेजस्वी का इस्तीफा और दूसरा नीतीश कुमार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर. हालांकि तेजस्वी यादव ने भी सधे हुए अंदाज में ही बीजेपी को जवाब दिया है. वहीं, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नैतिकता का हवाला देते हुए तीखा तंज कसा है.

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आगे कैसे चलेगा सदन ?

हालांकि 5 दिन चलने वाला सदन पहले दो दिन नहीं चल पाया. बाकि के तीन दिन सदन कैसे चलेगा इस सवाल का जवाब स्पीकर और सीएम को सोचना होगा. क्योंकि बीजेपी तेजस्वी के इस्तीफे की मांग पर अड़ी है. इससे कम पर बीजेपी मानने को तैयार नहीं है. दूसरी तरफ सरकार भी इस बार आर-पार के मूड में नजर आ रही है. वहीं, इस मुद्दे पर RJD को जेडीयू का भी साथ मिला है. सरकार में मंत्री विजय चौधरी ने भी स्पष्ट कर दिया है कि सरकार किसी भी कीमत पर इस बार पीछे नहीं हटेगी.

झुकेगा विपक्ष या होगा इस्तीफा ?

हालांकि इस सियासी संग्राम के बीच स्पीकर के लिए सदन चलाना बड़ी चुनौती होगी. क्योंकि सत्ता पक्ष और विपक्ष में से कोई भी मुद्दे पर पीछे हटने को तैयार नहीं है. वहीं, आम जनता को भी उम्मीद रहती है कि सदन में उनके के लिए भी चर्चा होगी, लेकिन हर बार जनता को मायूसी ही हाथ लगती है.