कोसी और सीमांचल में स्मैक तस्करों का सिंडिकेट, नाबालिग भी हो रहे शिकार
बिहार में शराबबंदी है, लेकिन शराबबंदी के बावजूद आज पूर्णिया के युवा स्मैक की लत में पड़ गए हैं. पूर्णिया में लगातार स्मैक की खपत बढ़ गई है.
highlights
- नाबालिगों को शिकार बना रहे स्मैक तस्कर
- तेजी से फैल रहा स्मैक तस्करों का कारोबार
- जिले में नशे के खिलाफ कई बार चला अभियान
- कई बार स्मैक तस्करों को किया गया गिरफ्तार
Purnia:
बिहार में शराबबंदी है, लेकिन शराबबंदी के बावजूद आज पूर्णिया के युवा स्मैक की लत में पड़ गए हैं. पूर्णिया में लगातार स्मैक की खपत बढ़ गई है. इस लत में 15 साल के युवा से लेकर 25 साल तक के युवा अपनी जिंदगी खत्म कर रहे हैं. बिहार एक ऐसा राज्य है, जहां पूरी तरीके से शराबबंदी है. इसके बावजूद यहां के युवा लगातार स्मैक की लत में पड़ते जा रहे हैं. नशे की लत में पड़कर 15 साल से लेकर 25 साल तक के युवा अपनी जिंदगी को खत्म कर रहे हैं. पुलिस की लगातार कार्रवाई होती रहती है, लेकिन आजतक इस कारोबार के मेन सरगना तक पुलिस नहीं पहुंच पाई है.
तेजी से फैल रहा स्मैक तस्करों का कारोबार
पूर्णिया के कई ऐसे इलाके हैं, जहां आपको दिन हो या रात नशे का सेवन करने वाले खुलेआम दिख जाएंगे. नशे की तलब को पूरा करने के लिए नशेड़ी घर के सामान को भी बेचने से बाज नहीं आते. हाल के कुछ दिनों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं. जिनमें खाने-पीने के बर्तन, कपड़े और दूसरे सामान को भी नशे की लत को पूरा करने के लिए बेचा गया. नशे के धंधेबाज एक सिंडिकेट बनाकर नाबालिग बच्चों को इस दलदल में झोंकने का काम कर रहे हैं. हालांकि उनके नेंक्सस को तोड़ने के लिए पुलिस प्रशासन पैनी नजर बनाए हुए हैं.
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नशे के खिलाफ कई बार चला अभियान
ये सच है कि पुलिस ने धंधेबाजों की कई बार पोल खोली है. सरसी और कसबा थाना की पुलिस ने संयुक्त रूप से छापेमारी कर कई तस्करों को गिरफ्तार भी किया गया. जिन्होंने स्मैक की खेप को पूर्णिया के अलग-अलग जगहों पर खपाने की बात स्वीकार की थी. नशे से अपने बच्चों को बचाने के लिए सामाजिक जागरूकता काफी अहम पहलू है. इसकी सहायता से मासूमों को नशाखोरी से बचाया जा सकता है.
नहीं टूट रहा स्मैक तस्करों का सिंडिकेट
हालांकि देखा जाए तो स्मैक तस्कर शहरों के साथ-साथ अब गांव के युवाओं को भी टॉरगेट बनाने लगे हैं. उन्हें सुगमता से स्मैक उपलब्ध कराकर नशे का आदी बना रहे हैं. स्मैक तस्करों पर नकेल कसने के लिए बच्चों के अभिभावको से राय ली गई. जिसमें उनका कहना है कि पहले तो शौकिया तौर पर वे इस दलदल में आते हैं. फिर धीरे-धीरे उन्हें आदत लग जाती है. हालांकि पुलिस प्रशासन लगातार जागरूकता फैलाकर युवाओं को अपने करियर के प्रति ज्यादा से ज्यादा संजीदा होने की सीख दे रहा है ताकि वे अपने भविष्य को संवार सकें.
रिपोर्ट : प्रफुल्ल झा
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