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मोतिहारी के किसान ने की मैजिक चावल की खेती, दूर-दूर से देखने पहुंच रहे लोग

पूर्वी चंपारण के किसान आर्गेनिक खेती कर रंग-बिरंगे चावल और गेहूं उपजा रहे हैं. यहां के किसान आर्गेनिक कंपोस्ट से अब रंग बिरंगे धान की खेती कर रहे हैं. वो भी उनके ही खुद के बनाए जैविक खाद से ही वो खेती कर रहें हैं.

Updated on: 10 Jan 2023, 10:55 AM

highlights

  • किसान ने आर्गेनिक कंपोस्ट से रंग बिरंगे धान की खेती की
  • खुद के बनाए जैविक खाद से ही किसान कर रहें हैं खेती 
  • दूर-दूर से देखने के लिए आ रहे हैं किसान 

Motihari:

पूर्वी चंपारण के किसान आर्गेनिक खेती कर रंग-बिरंगे चावल और गेहूं उपजा रहे हैं. यहां के किसान आर्गेनिक कंपोस्ट से अब रंग बिरंगे धान की खेती कर रहे हैं. वो भी उनके ही खुद के बनाए जैविक खाद से ही वो खेती कर रहें हैं. आपकों बता दें कि, जिस तरह से शरीर के लिए हरी सब्जी और रंग बिरंगे फल फायदेमंद होतें है, उसी तरह से रंगीन अनाज भी शरीर के लिए जरूरी होता है. इसमें पिगमेंट, एंटीऑक्सीडेंट, मैग्निशियम नामक तत्व पाया जाता है. जो रोग निरोधी क्षमता को विकसित करता है. जिससे कैंसर तक के रोगों से लड़ने में सहायता मिलती है.

किसान ने रंग बिरंगे धान की खेती की 
पूर्वी चम्पारण जिलें के कोटवा प्रखंड के गोपी छापरा सागर चुरामन गांव निवासी किसान प्रयागदेव सिंह ने विभिन्न तरह के करीब 4 प्रजातियों के धान की खेती कर रहे हैं. आज इनके तैयार फसल को देखने के लिए दूर-दूर से किसान आ रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि किसान इन सभी धान की प्रजाति को आर्गेनिक तरीके से अपने खेतों में लगाते हैं. इसके अलावा इनके पास सिर्फ धान ही नहीं बल्कि इनके पास कम लागत में अच्छी पैदावार वाली गेहूं की भी कई प्रजातियां हैं. जिनका अपने भोजन में इस्तेमाल कर कई तरह के रोगों से बचा जा सकता है.

इस खेती में खर्च और समय की होती है बचत 

किसान से बताया कि जीरोर टिलेज विधि यानी बिना जुताई वाली विधि धान कटने के बाद बिना जुताई के गेहूं की बुआई किया है. जो जुताई के साथ अन्य कई खर्च और समय बचा देती है. जीरो टिलेज तकनीक की मुख्य विशेषता यह है कि धान कटने के बाद बिना सिंचाई, बिना जुताई के ससमय सीधे खेत में उर्वरक एवं गेहूं के बीज का एक साथ इस्तेमाल किए जाते हैं. इस विधि से पारंपरिक विधि की तुलना में 10 से 15 फीसदी अधिक उत्पादन हो जाता है.

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ठंडे पानी में पकने वाला मैजिक चावल की खेती की 

वहीं, किसान प्रयागदेव सिंह ने बताया कि ठंडे पानी में पकने वाला मैजिक चावल, मैजिक धान दो अगहनी बोरा, लाल चावल निभिया, कस्तूरी हरा चावल, अंबा महोर, विष्णु भोग, काला चावल आदि रंग बिरंगे धान की खेती में प्रमुख हैं. जिसको हमने तैयार किया है साथ ही उन्होंने कहा कि गोबर का इस्तेमाल कर अच्छी खाद को तैयार किया जाता है. वहीं, टांके भरने के लिये गोबर, कचरा और बारीक छनी हुई मिट्टी की जरूरत होती है.

रिपोर्ट - रंजीत कुमार