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मिशन 2024: नालंदा लोकसभा सीट का लेखा जोखा, NDA या INDIA? किसका बजेगा डंका

लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सियासी गलियारों में गर्माहट लगातार बढ़ती जा रही है. सभी दल और घटक अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन जीत किसकी होगी ये तो जनता ही तय करती है.

Updated on: 16 Oct 2023, 04:29 PM

highlights

  • 28 सालों तक एनडीए का कब्जा
  • चुनाव में स्थानीय मुद्दे हवा-हवाई
  • सीपीआई का भी रहा है दबदबा

Nalanda:

लोकसभा चुनाव 2024 जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है वैसे-वैसे सियासी गलियारों में गर्माहट लगातार बढ़ती जा रही है. सभी दल और घटक अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं, लेकिन जीत किसकी होगी ये तो जनता ही तय करती है. एनडीए और इंडिया दोनों ही गठबंधन आगामी चुनावों में अपनी-अपनी जीत का दावा कर रहे हैं. यहां की राजनीति में जाति अहम रोल निभाती है. जैसा की देशभर में देखने को मिलता है कि रोटी, बेटी और वोट जाति वालों को दिया जाता है. ऐसा ही हाल नालंदा का भी है. 

क्या कहता है जातीय गणित?

नालंदा की चुनावी बिसात को जाति के हिसाब से समझने की कोशिश करते हैं. यहां करीब 21 लाख वोटर हैं. जिसमें सबसे करीब 4 लाख 12 हजार वोटर कुर्मी समाज के हैं. जिन्हें परंपरागत तौर पर जदयू का वोटर माना जाता है. वहीं, इस इलाके में यादवों की संख्या करीब 3 लाख 8 हजार है. जिन्हें परंपरागत तौर पर राजद का वोटर माना जाता है. इसके बाद नालंदा संसदीय सीट पर 1 लाख 70 हजार मुस्लिम वोटर हैं, जो जदयू के सपोर्टर माने जाते हैं. एक समय पर ये लोग राजद और कांग्रेस का वोटबैंक माना जाते थे. इस बार राजद, जदयू और कांग्रेस एक साथ हैं तो इसका फायदा इंडिया गठबंधन को मिलेगा. इसके अलावा यहां करीब 1 लाख 60 हजार बनिया वोटर हैं. ये परंपरागत रुप से बीजेपी का वोटबैंक माने जाते हैं. वहीं, नालंदा संसदीय सीट पर करीब 1लाख 20 हजार पासवान वोटर हैं. ये रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा से खुद को जोड़ते हैं. इसका फायदा रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की पार्टी लोजपा(रामविलास) को मिलेगा. जोकि एनडीए का हिस्सा है. जो जदयू के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है.

वहीं, नालंदा लोकसभा सीट पर करीब 1 लाख कुशवाहा वोटर हैं. इस साल उपेंद्र कुशवाहा ने जदयू से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बना ली है और वो भी बीजेपी का समर्थन कर रहे हैं. जिसके चलते माना जा रहा है कि इसका फायदा एनडीए को मिलेगा. इसके अलावा यहां करीब 95 हजार बेलदार वोटर हैं. वहीं. यहां करीब 95 हजार राजपूत वोटर हैं, इनमें से कुछ बीजेपी तो कुछ राजद को समर्थन देते हैं, जिसके चलते माना जा रहा है कि राजपूत वोटों का बंटवारा हो सकता है. इसके अलावा यहां भूमिहार, कायस्थ और ब्राह्मण ये तीनों बीजेपी के वोट बैंक माने जाते हैं. ये तीनों मिलाकर करीब डेढ़ लाख वोटर हैं. 

विधानसभा क्षेत्र

वर्तमान में, नालंदा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र में निम्नलिखित सात विधानसभा (विधान सभा) क्षेत्र शामिल हैं:

अस्थावन

बिहारशरीफ

राजगीर

इस्लामपुर

हिलसा

नालंदा

हरनौत

संसद के सदस्य

इस निर्वाचन क्षेत्र से चुने गए संसद सदस्यों की सूची

1952: कैलाशपति सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1957: कैलाशपति सिन्हा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1962: सिद्धेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1967: सिद्धेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1971: सिद्धेश्वर प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1977: बीरेंद्र प्रसाद, भारतीय लोक दल

1980: विजय कुमार यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1984: विजय कुमार यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1989: रामस्वरूप प्रसाद, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस

1991: विजय कुमार यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी

1996: जॉर्ज फ़र्नान्डिस, समता पार्टी

1998: जॉर्ज फ़र्नान्डिस, समता पार्टी

1999: जॉर्ज फ़र्नान्डिस, जनता दल (यूनाइटेड)

2004: नीतीश कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)

2006: रामस्वरूप प्रसाद, जनता दल (यूनाइटेड) (पोल द्वारा)

2009: कौशलेंद्र कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)

2014: कौशलेंद्र कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)

2019: कौशलेंद्र कुमार, जनता दल (यूनाइटेड)

जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार ने लहराया परचम

साल 2009 में पहली बार कौशलेंद्र कुमार ने जीत का परचम लहराया था. साल 2014 के चुनाव में जदयू के कौशलेन्द्र कुमार को यहां 3,21,982 वोट मिले, तो वहीं लोजपा के उम्मीदवार सत्यानन्द शर्मा को 3,12,355 वोट मिले थे. उस चुनाव में इस सीट पर नंबर दो पर लोजपा, नंबर 3 पर कांग्रेस थी. उस साल यहां पर मतदाताओं कीं संख्या 19,51,967 थी, जिसमें से मात्र 9,21,761 लोगों ने अपने मतों का प्रयोग किया था. यहां की जनसंख्या 28,73,415 है, जिसमें 84 प्रतिशत जनसंख्या ग्रामीण इलाकों में और 15 प्रतिशत जनसंख्या शहरों में रहती है. यहां की 92 प्रतिशत आबादी हिंदू धर्म में आस्था रखती है. वहीं, 2019 में नालंदा लोकसभा क्षेत्र से फिर एक बार जेडीयू के कौशलेंद्र कुमार ने अपना परचम लहराया था. कौशलेंद्र को 540888 वोट मिले थे. जबकि एचएएमएस के अशोक कुमार आजाद को 284751 तो बीएसपी के शशि कुमार 12675 मत मिले थे. आपको बता दें कि कौशलेंद्र कुमार कुर्मी समाज से आते हैं और तीन बार नालंदा सीट से सांसद रह चुके हैं. मोदी लहर के बावजूद अपनी सीट बचाने में सफल रहे थे. जॉर्ज फर्नाडिस के सांसद प्रतिनिधि रहे हैं.

सीपीआई का भी रहा है दबदबा

नालंदा संसदीय क्षेत्र में कभी वामपंथियों का भी दबदबा रहा है. इस सीट से तीन बार सीपीआई ने जीत दर्ज की है. 1980, 1984 और 1991 में विजय कुमार यादव इस सीट से चुने गए. 1977, 1989 और 1996 में विजय को हार का भी सामना करना पड़ा था.

ग्राउंड रिपोर्ट

इस सीट पर एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच ही सीधा मुकाबला है. बाकी पार्टियां यहां सिर्फ वोट कटर के रूप में दिखाई देती हैं. नालंदा लोकसभा क्षेत्र में नीतीश का दबदबा है और यही वजह है कि जदयू पिछली बार भी यह सीट बचाने में कामयाब हो गई थी.यहा सभी पार्टियां अतिपिछड़ी जातियों को गोलबंद करने में जुटी हैं.

28 सालों से एनडीए का कब्जा

नालंदा लोकसभा सीट पर पिछले 28 सालों से एनडीए का कब्जा रहा है. 1996 और 1998 में समता पार्टी के टिकट पर और 1999 में जदयू के टिकट पर जॉर्ज फर्नाडिस यहां से चुनाव जीते. 2004 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस सीट से दिल्ली पहुंचे. हालांकि 2005 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. 2009, 2014 और 2019 में जदयू से कौशलेंद्र कुमार चुने गए. लेकिन अब जदयू एनडीए से अलग होकर इंडिया गठबंधन के साथ है.

चुनाव में स्थानीय मुद्दे हवा-हवाई

नालंदा में मुद्दे की जगह जातीय गोलबंदी ही हावी दिखाई देती आई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नालंदा में काफी विकास किया है, लेकिन एख बार फिर यहां सारे मुद्दे हवा-हवाई होते दिखाई दे रहे हैं. सभी पार्टियां जातियों को गोलबंद करने में जुटी हुई हैं.