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संसद सदस्य अब नहीं कर सकेंगे इन शब्दों का इस्तेमाल, कांग्रेस ने साधा निशाना

कुछ सालों के दौरान संसदीय कार्यवाही में कई बार माननीय विधायकों और सांसदों ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया है जिसे 'असंसदीय' या 'अमर्यादित' कहा जाएगा, और इसी को लेकर अब संसद में मौनसून सत्र के शुरुआत के पहले कई मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयार

Updated on: 14 Jul 2022, 04:38 PM

Patna:

कुछ सालों के दौरान संसदीय कार्यवाही में कई बार माननीय विधायकों और सांसदों ने ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया है जिसे 'असंसदीय' या 'अमर्यादित' कहा जाएगा, और इसी को लेकर अब संसद में मौनसून सत्र के शुरुआत के पहले कई मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गई हैं. उम्मीद ये की जा रही हैं कि इस बार का मानसून सत्र हंगामा भरा हो सकता हैं. इसी के मद्देनजर संसदीय प्रणाली में बहुत सारे शब्दों को बैन कर दिया गया हैं. 

संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान संसद सदस्य अब कुछ शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेगें. जुमलाजीवी और जयचंद जैसे कई शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण मामला जाएगा. ऐसे शब्द सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगें. लोकसभा सचिवालय ने असंसदीय शब्द 2021 शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों एवं वाक्यों का नया संकलन तैयार किया हैं. जिन्हें असंसदीय अभिव्यक्ति के श्रेणी में रखा गया हैं.

मानसून सत्र से पहले संसदय के उपयोग के लिए जारी इस संकलन में एसे शब्दों के शामिल किया गया है. जिन्हें लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा और विधान परिषद में 2021 में असंसदीय घोषित किया गया था. इस संकलन के अनुसार असंसदीय शब्द वाक्य या अमर्यादित अभिव्यक्ति को श्रेणी में रखे गए शब्दों को जुमलजीवी, बालबुद्धी, सांसद शकुनि, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाना, पिट्ठू कमीना, काला सत्र, दलाल, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते हैं जैसे शब्दों को शामिल किया गया हैं.

कांग्रेस ने ‘जुमलाजीवी’ और कई शब्दों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखे जाने को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा कि सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट कर लिखा कि ‘मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे. अब आगे क्या?’ कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने ट्वीट किया, ‘अगर आप अपनी आलोचना में रचनात्मक नहीं हो सकते तो संसद का क्या मतलब है? शब्दों पर प्रतिबंध लगाना अनुचित है!”

अब सांसदों एवं विधायकों को सत्र की कार्यवाही के दौरान ऐसे शब्दों से परहेज रखना पड़ेगा. अगर कोई सदस्य पीठ पर आक्षेप करते हुए यह कहते हैं, ‘जब आप इस तरह से चिल्ला कर वेल में जाते थे, उस वक्त को याद करूं या आज जब आप कुर्सी पर बैठें हैं तो इस वक्त को याद करूं', तब ऐसी अभिव्यक्त को असंसदीय मानते हुए इन्हें रिकार्ड का हिस्सा नहीं माना जाएगा. असंसदीय अभिव्यक्ति के संकलन में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कार्यवाही में शामिल नहीं किये गए.

कुछ शब्द या वाक्यों को भी रखा गया है, जिनमें बॉब कट हेयर, गरियाना, अंट-शंट, उच्चके, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे आदि शामिल हैं. इसमें राजस्थान विधानसभा में असंसदीय घोषित कुछ शब्दों को भी रखा गया है, जिसमें कांव कांव करना, तलवे चाटना, तड़ीपार, तुर्रम खां तथा झारखंड विधानसभा में अससंदीय घोषित ‘कई घाट का पानी पीना, ठेंगा दिखाने का कार्य आदि शामिल है. इस संकलन में अंग्रेजी के कुछ शब्दों एवं वाक्यों को भी शामिल किया गया है, जिनमें ‘आई विल कर्स यू', बिटेन विद शू', बिट्रेड, ब्लडशेड, चिटेड, शेडिंग क्रोकोडाइल टियर्स, डंकी, गून्स, माफिया, रबिश, स्नेक चार्मर, टाउट, ट्रेटर, विच डाक्टर आदि शमिल हैं. संसद के सदस्य कई बार सदन में ऐसे शब्दों, वाक्यों या अभिव्यक्ति का इस्तेमाल कर जाते हैं, जिन्हें बाद में सभापति या अध्यक्ष के आदेश से रिकॉर्ड या कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाता है.