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Durga Puja 2023: 60 साल पुराना है मां दुर्गा का यह मंदिर, यहां पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना; जानें

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है, इसी बीच भागलपुर से माता के भक्तों के लिए एक अच्छी खबर आई है. बता दें कि अकबरनगर बाजार स्थित मां दुर्गा मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है, यहां हर साल मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है.

Updated on: 16 Oct 2023, 05:30 PM

highlights

  • 60 साल पुराना है मां दुर्गा का यह मंदिर
  • यहां पूरी होती है भक्तों की हर मनोकामना
  • बहुत ख़ास है इस मंदिर का रहस्य 

 

 

 

 

Bhagalpur:

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है, इसी बीच भागलपुर से माता के भक्तों के लिए एक अच्छी खबर आई है. बता दें कि अकबरनगर बाजार स्थित मां दुर्गा मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है, यहां हर साल मां की प्रतिमा स्थापित कर पूजा-अर्चना की जाती है. इसके संबंध में मान्यता है कि जो भी भक्त देवी मां के दरबार में सच्चे मन से पूजा करता है, मां उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं. लोगों का यहां तक ये भी कहना है कि पहले यहां पूजा नहीं होती थी, लेकिन मन्नत पूरी होने और आस्था के साथ यहां पूजा होने लगी, जिसके बाद पुजारी और लोगों के साथ मां की मूर्ति स्थापित की गई. बता दें कि अकबरनगर बाजार में 1952 से मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई थी और तब से लेकर अब तक पूजा जारी है.

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मंदिर में है डलिया चढ़ाने की खास परंपरा

आपको बता दें कि जिस समय प्रतिमा स्थापित की गई थी, उस समय मां दुर्गा का मंदिर नहीं बन सका था, जिसके बाद समाज के बुद्धिजीवियों के अथक प्रयास से 1962 में मंदिर का निर्माण कराया गया. लोगों का मानना ​​था कि दुर्गा स्थान में मंदिर निर्माण में भक्त छेदी झा का अहम योगदान था और उन्हीं के अथक प्रयास से मंदिर की नींव रखी जा सकी. इस मंदिर में साल में दो बार मूर्ति स्थापित की जाती है. साथ ही भक्तों के लिए आकर्षक दृश्य भी तैयार किये जाते हैं, खासकर नवमी और दशमी के दिन अकबरनगर में भक्तों की भारी भीड़ होती है. देवी मां के दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं. मंदिर में दलिया चढ़ाने की परंपरा है.

चंदा इकट्ठा कर लोगों ने मंदिर बनाने का उठाया बीड़ा

इसके साथ ही आपको बता दें कि अकबरनगर बाजार स्थित दुर्गा मंदिर 70 साल पुराना था, जिसके कारण भक्तों को छोटी-छोटी जगहों पर पूजा करने में दिक्कत होती थी. मंदिर काफी पुराना होने के कारण आसपास के कई गांवों के लोगों ने भव्य दुर्गा मंदिर के निर्माण का बीड़ा उठाया और नये मंदिर के निर्माण की नींव रखी, जिसके एक साल बाद बुद्धिजीवियों के सहयोग से मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ. फिलहाल, मंदिर का काम पूरा हो चुका है और इस मंदिर के निर्माण के प्रयास ने एकता और भाईचारे की मिसाल कायम की है.

साथ ही मंदिर के निर्माण के बाद कोलकाता से संगमरमर की दुर्गा प्रतिमा मंगवाकर स्थापित की गई थी। यह सार्वजनिक दुर्गा मंदिर अपनी उत्कृष्ट सजावट के लिए जाना जाता है. वहीं जगह-जगह दूर-दूर तक रंग-बिरंगे बल्ब, आकर्षक पंडाल और तोरणद्वार बनाये जाते हैं. पहली पूजा से लेकर दसवीं पूजा तक शाम के समय दीपक जलाने के लिए विशेषकर महिलाओं की भारी भीड़ जुटती है. बता दें कि नवमी और दशमी को यहां भव्य मेला लगता है और मूर्ति बनाने के लिए कल्याणपुर से मूर्तिकारों को बुलाया जाता है.