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सरकारी स्कूल की खुली पोल, बिना किताब छात्र कर रहे पढ़ाई

दरभंगा जिले में प्राथमिक व मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं की नई सत्र की पढ़ाई स्कूलों में शुरू हो गई है.

Updated on: 28 Apr 2023, 01:44 PM

highlights

  • सरकारी स्कूल में नए सत्र शुरू
  • बिना किताब के छात्र कर रहे पढ़ाई
  • सरकारी स्कूल की खुली पोल

Darbhanga:

दरभंगा जिले में प्राथमिक व मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राओं की नई सत्र की पढ़ाई स्कूलों में शुरू हो गई है. बच्चे नियमित रूप से पढ़ाई करने के लिए विद्यालय भी पहुंच रहे हैं, लेकिन विद्यालय में अभी तक बच्चों को किताब नही मिले हैं. जिससे उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है. वहीं, दूसरी तरफ बच्चे होमवर्क भी नहीं कर पा रहे हैं. इसकी वजह है कि अब तक सरकार की ओर से कक्षा 4, 6, 7 और 8 की किताब उपलब्ध नहीं कराई गई है. वहीं, शहर के बीचों बीच स्थित है. प्राथमिक विद्यालय मिश्रटोला दिग्घी पश्चिम के छात्रों ने बताया कि इस बार अभी तक विद्यालय से किताब हम लोगों को नहीं मिला है. जिसके चलते पढ़ाई में काफी परेशानियां हो रही है. 

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बिना किताब के छात्र कर रहे पढ़ाई

मैडम को किताब के लिए बोलते हैं, तो मैडम कहती हैं कि किताब आने पर सभी बच्चों को मिल जाएगा. किताब नहीं होने के कारण पढ़ाई करने में काफी मुसीबत हो रही है. इस वजह से क्लास में पढ़ाई भी अच्छी तरह से नहीं हो पाती है. वहीं, उन्होंने सरकार से अपील की है कि हम लोगों की किताब जल्दी से मुहैया करवाया जाए ताकि हम लोगों का पढ़ाई सुचारू ढंग से हो सके. वहीं, स्कूल के प्राचार्य उमा कुमारी ने बताया कि हमारे स्कूल वर्ग 1 से 8 तक कि पढ़ाई होती है. 

नया सत्र शुरू होने के बाद भी नहीं मिली किताब

हमारे विद्यालय में 207 छात्र-छात्राएं का नाम अंकित है, जिसमें से कक्षा 1, 3 व 5 का किताब उपलब्ध है और कक्षा 4, 6, 7 व 8वीं की किताब फिलहाल उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते बच्चों को पढ़ाने में काफी परेशानी हो रही है. वहीं, उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में शिक्षा विभाग को सूचना दी गई है, लेकिन अभी तक हम लोगों को किताब नहीं मिला है. जैसे ही किताब हम लोगों को मिल जाएगा, वैसे ही छात्र-छात्राओं के बीच किताब का वितरण कर दिया जाएगा.

शिक्षा विभाग पर उठे सवाल

गौरतलब है कि सत्र 2018-19 से बच्चों को किताब खरीदने के लिए राशि खातों में दी जाती थी, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में शिक्षा विभाग ने राशि के बदले फिर से किताब देने का फैसला लिया है. पिछले चार सत्रों की बात करें तो अप्रैल से सत्र शुरू होता था, लेकिन राशि बच्चों के खाते में कभी अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक भेजी जाती थी. इस बीच शिक्षा विभाग ने इन खामियों को दूर करने के लिए किताब उपलब्ध कराना शुरू कर दिया है, लेकिन इसका भी यही हाल है.