भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा को बताया त्याग की मूर्ति, जदयू-कांग्रेस ने साधा निशाना
उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, जिसे विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने स्वीकार भी कर लिया.
highlights
- भाजपा ने उपेंद्र कुशवाहा को बताया त्याग की मूर्ति
- जदयू-कांग्रेस ने साधा निशाना
- कहा- 'सहूलियत और फायदे वाली राजनीति करते हैं'
- 'अगर इतने त्यागी हैं तो फिर राजनीति से संन्यास ले लें'
Patna:
उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, जिसे विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने स्वीकार भी कर लिया. इस्तीफे के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि उन्हें किसी पद प्रतिष्ठा की लालच नहीं है. लिहाजा उन्होंने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अब इस पर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप भी तेज हो चुका है. उपेंद्र कुशवाहा ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देते हुए कहा कि उन्हें किसी पद और प्रतिष्ठा की लालच नहीं है. इस्तीफा तो वह पहले ही दे चुके होते, लेकिन विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर पटना से बाहर थे. लिहाजा उन्हें 2 दिन इंतजार करना पड़ा.
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'मुझे सत्ता का लालच नहीं'
इस्तीफा देने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा है कि बार-बार जेडीयू के नेता यह कहते थे. मुख्यमंत्री कहते थे कि हमने उपेंद्र कुशवाहा को एमएलसी बनाया राज्यसभा भेजा बहुत कुछ देने का दावा करते थे, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा उसूलों की राजनीति करता है. मुझे किसी पद प्रतिष्ठा और सत्ता का लालच नहीं है. लिहाजा मैंने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है, ऐसा नहीं है कि पहली बार मैंने किसी पद से इस्तीफा दिया है. राज्यसभा सदस्यता से भी मैंने इस्तीफा दिया है. मंत्री पद को भी मैंने त्यागा है, मुझे सत्ता का लालच नहीं है.
इस्तीफे पर विधान परिषद के सभापति देवेश चंद्र ठाकुर ने कहा कि उपेंद्र कुशवाहा विधान परिषद पहुंचे, जहां पर प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद उन्होंने इस्तीफा दिया और उसे विधान परिषद के सभापति के तौर पर मैंने स्वीकार भी कर लिया है.
'जिस डाल पर बैठते हैं उसी डाल को काटने लगते हैं'
हालांकि उपेंद्र कुशवाहा के इस्तीफे पर जेडीयू का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा ने कोई त्याग नहीं किया है. उपेंद्र कुशवाहा त्याग की नहीं बल्कि स्वार्थ की राजनीति करते हैं. यह मानना है जेडीयू प्रवक्ता डॉ सुनील का, उनका कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को क्या कुछ नहीं दिया. उपेंद्र कुशवाहा महत्वकांक्षी व्यक्ति हैं और जिस डाल पर बैठते हैं उसी डाल को काटने लगते हैं, उपेंद्र कुशवाहा त्याग की नहीं बल्कि सत्ता के लिए राजनीति करते हैं. डॉक्टर सुनील ने तो यहां तक कह दिया है कि उपेंद्र कुशवाहा बीजेपी के एजेंडे पर जेडीयू को कमजोर कर रहे थे.
'अगर इतने त्यागी हैं तो फिर राजनीति से संन्यास ले लें'
इस्तीफे के बाद त्याग वाले बयान पर कांग्रेस तो उपेंद्र कुशवाहा को खूब खरी-खोटी सुना रही है. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर तो उपेंद्र कुशवाहा को सलाह दे रहे हैं कि अगर इतने त्यागी हैं तो फिर राजनीति से संन्यास ले लें. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर का तो यहां तक दावा है कि जिस आकांक्षा के साथ उपेंद्र कुशवाहा वापस एनडीए में गए हैं. महागठबंधन से भी बुरा हाल उनका इस बार एनडीए में होगा.
'सहूलियत और फायदे वाली राजनीति करते हैं'
हालिया दिनों में उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू से ज्यादा आरजेडी पर हमलावर दिख रहे हैं. लिहाजा आरजेडी कोई मौका छोड़ना नहीं चाहती है. आरजेडी उपेंद्र कुशवाहा के त्याग वाले बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए आरजेडी प्रवक्ता ऋषि मिश्रा का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा त्याग की नहीं बल्कि सहूलियत और फायदे वाली राजनीति करते हैं त्याग की बात करने वाले उपेंद्र कुशवाहा सिर्फ दिखावा करते हैं. उन्हें जहां फायदा होता है, वह उसी के साथ चल पड़ते हैं.
'कुशवाहा को किसी भी पद और प्रतिष्ठा का लालच नहीं'
उपेंद्र कुशवाहा पर उनके विरोधी ही खुलकर हमलावर हैं, लेकिन उपेंद्र कुशवाहा को एक बार फिर से बीजेपी का साथ मिला है. बीजेपी उपेंद्र कुशवाहा को त्याग की मूर्ति बता रही है. बीजेपी प्रवक्ता एमएलपी नवल किशोर यादव का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा हमेशा त्याग देते रहे हैं. इससे पहले भी वह राज्यसभा की सदस्यता को त्याग चुके हैं. उपेंद्र कुशवाहा को किसी भी पद और प्रतिष्ठा का लालच नहीं है.
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