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बिहार का एक ऐसा मंदिर जहां नवरात्रि के दौरान पुरुषों-महिलाओं को नहीं मिलता प्रवेश, दिलचस्प है इसकी कहानी

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है, इस बीच नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही पूरा देश मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में लगा हुआ है, लेकिन बिहार के नालंदा में एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में आप जानकर हैरान हो जाएंगे.

Updated on: 18 Oct 2023, 03:54 PM

highlights

  • बिहार के इस मंदिर का दिलचस्प है कहानी 
  • नवरात्रि के दौरान प्रवेश पर है प्रतिबंध
  • महिला-पुरुषों को नहीं मिलता गर्भगृह में एंट्री 

Nalanda:

नवरात्रि का पवित्र महीना चल रहा है, इस बीच नवरात्रि की शुरुआत के साथ ही पूरा देश मां दुर्गा की पूजा-अर्चना में लगा हुआ है, लेकिन बिहार के नालंदा में एक ऐसा मंदिर है, जिसके बारे में आप जानकर हैरान हो जाएंगे. इस मंदिर में नवरात्रि के 9 दिनों तक किसी भी व्यक्ति के मंदिर में प्रवेश पर प्रतिबंध रहता है. अब इस मंदिर के बारे में यह जानकारी आपको अजीब लग रही होगी और आप चौंक भी गए होंगे कि आखिर ऐसा कौन सा मंदिर है, जहां आप नवरात्रि के दौरान पूजा नहीं कर सकते हैं. बता दें कि इस मंदिर की बहुत पुरानी मान्यता है, जिसका वहां रहने वाले लोग बहुत सम्मान करते हैं.

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ये है इस मंदिर की खासियत

आपको बता दें कि नालंदा जिले के गिरियक प्रखंड के घोषरवा गांव में मां आशापुरी मंदिर है, यहां नवरात्रि के पूरे 9 दिनों तक मंदिर में महिलाओं और पुरुषों के प्रवेश पर प्रतिबंध रहता है. इन 9 दिनों के दौरान महिलाएं मंदिर परिसर और गर्भगृह में प्रवेश नहीं करती हैं, जबकि पुरुषों को केवल मंदिर परिसर में पूजा करने की अनुमति होती है. बता दें कि यहां नवरात्रि के 9 दिनों तक नौ देवियों की पूजा की जाती है. नवमी के दिन पूजा-हवन किया जाता है. इस दौरान गर्भगृह में पुरुषों और महिलाओं दोनों का प्रवेश वर्जित होता है. नवरात्र शुरू होने के साथ ही रविवार से महिलाओं को मंदिर में प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.

ये है मंदिर का इतिहास

इसके साथ ही आपको बता दें कि मां आशापुरी मंदिर एक बहुत ही प्राचीन मंदिर है, जो पावापुरी मोड़ से करीब 5 किलोमीटर दूर घोषरावा गांव में स्थित है. इस मंदिर का निर्माण मगध साम्राज्य के दौरान किया गया था. यहां मां दुर्गा की अष्टभुजा वाली मूर्ति स्थापित है. कहा जाता है कि, मां आशापुरी मंदिर में तंत्र विद्या के तहत पूजा की जाती है और मां दुर्गा की आराधना की जाती है और यही कारण है कि यहां 9 दिनों तक महिलाओं का प्रवेश वर्जित है.

वहीं हम आपको बता दें कि इस प्राचीन मंदिर की खासियत यह है कि, यहां सच्ची भावना से प्रार्थना करने वालों की हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं, इसीलिए इस मंदिर का नाम आशापुरी भी रखा गया है. यहां बंगाल, झारख, ओडिशा, बिहार समेत कई राज्यों के लोग श्रद्धा भाव से दर्शन करने आते हैं, जिनकी मां सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.