अब कौन बनेगा टीम इंडिया का चयनकर्ता, एमएसके प्रसाद का कार्यकाल समाप्त
एमएसके प्रसाद का चयनसमिति के अध्यक्ष के रूप में घटना प्रधान कार्यकाल रविवार को समाप्त हो गया, क्योंकि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने स्पष्ट किया है कि आप अपने कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते.
मुंबई:
एमएसके प्रसाद का चयनसमिति के अध्यक्ष के रूप में घटना प्रधान कार्यकाल रविवार को समाप्त हो गया, क्योंकि बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने स्पष्ट किया है कि आप अपने कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते. प्रसाद का कार्यकाल समाप्त होने का मतलब है कि सौरव गांगुली की अगुवाई वाला बीसीसीआई पुराने संविधान के अनुसार चल रहा है, जिसमें चयनसमिति के लिए अधिकतम कार्यकाल चार साल का था. संशोधित संविधान में अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है. प्रसाद और गगन खोड़ा को 2015 में नियुक्त किया गया था और उनकी जगह अब नए सदस्य नियुक्त किए जाएंगे. अब बड़ा सवाल यही है कि टीम इंडिया का चयन करने के लिए अब कौन सी समिति गठित होगी.
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बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने बीसीसीआई की 88वीं वार्षिक आम बैठक के बाद कहा, कार्यकाल समाप्त हो गया है. आप कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते. उन्होंने अच्छा काम किया. जतिन परांजपे, शरणदीप सिंह और देवांग गांधी 2016 में चयनसमिति से जुड़े थे और उनके कार्यकाल का अभी एक साल बचा हुआ है. उन्होंने कहा, हम चयनकर्ताओं का कार्यकाल तय करेंगे. हर साल चयनकर्ताओं की नियुक्ति करना सही नहीं है. भारतीय टीम ने पांच सदस्यीय पैनल के कार्यकाल के दौरान अच्छी सफलताएं हासिल की, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम अनुभव के कारण उन्हें लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता था.
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उधर सौरव गांगुली का कहना है कि पूर्णकालिक क्रिकेट सलाहकार समिति की अब कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि इसकी भूमिका सिर्फ एक या दो बैठक तक सीमित है. सौरव गांगुली ने बोर्ड के एजीएम के बाद संवाददाताओं से कहा, सीएसी के पास अधिक काम नहीं है. हम सीएसी के बारे में बात करते रहते हैं लेकिन सीएसी का काम कोच और चयनकर्ता नियुक्त करना है. एक बार जब चयन समिति चार साल के लिए कोच तीन साल के लिए नियुक्त हो जाता है तो फिर पूर्णकालिक सीएसी की क्या जरूरत है.
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बीसीसीआई ने अब तक सीएसी की नियुक्ति नहीं की है और सौरव गांगुली का कहना है कि हितों के टकराव से जुड़े मामले इसकी राह में रोड़ा बन रहे हैं. गांगुली ने कहा, अब तक तो सीएसी मानद है. अगर आप इसके सदस्यों को वेतन देंगे तो फिर किस आधार पर देंगे. यहां नियमित काम नहीं है. सीएसी का हितों के टकराव के बीच नियुक्ति मेरी नजर में सही कदम नहीं होगा. यह सिर्फ बैठकों तक सीमित है. सौरव गांगुली, सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण को हितों के टकराव के कारण सीएसी से इस्तीफा देना पड़ा था. सौरव गांगुली ने एक और अहम बात कही. गांगुली ने कहा कि वह क्रिकेटरों के लिए बीसीसीआई के पेंशन स्कीम को नए सिरे से तैयार करना चाहते हैं. गांगुली ने कहा कि कई खिलाड़ियों के पास नौकरी है और वे तब भी पेंशन ले रहे हैं. ऐसे में यह सुनिश्चत किया जाएगा कि पेंशन उन्हीं को मिले, जिनको इसकी सबसे अधिक जरूरत है.
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