...तो क्या संन्यास लेने के लिए इसी लम्हे का इंतजार कर रहे थे S Sreesanth?
वो ऐसा समय था, जब जेनुइन फास्ट बॉलर की टीम इंडिया शिद्दत से तलाश कर रही थी. उस दौर में कई सारे मीडियम फास्ट बॉलर आए, अपनी चमक बिखेगी, और चले गए. मुनफ पटेल और एस श्रीसंत को जेनुइन फास्ट बॉलर...
highlights
- एस श्रीसंत की मैदानी आक्रामकता थी लाजवाब
- एंड्रयू सायमंड और मैथ्यू हेडेन जैसे दिग्गजों को वही चिढ़ा सकते थे
- आंद्रे नेल के बाउंसर के जवाब में छक्का मार कर जश्न मनाना कौन भूल सकता है?
नई दिल्ली:
एस श्रीसंत... एक ऐसा नाम. जो इंटरनेशनल क्रिकेट (International Cricket) में आया तो तूफान सा उठ गया. राइट हैंडर जेनुइन पेसर के तौर पर श्रीसंत ने अपनी ऐसी पहचान बनाई कि दुनिया के बड़े से बड़ा बल्लेबाज भी टीम इंडिया से खौफ खाने लगा. टीम इंडिया को जेनुइन फास्ट बॉलर की लंबे समय से तलाश थी. श्रीसंत जब साल 2005 में पहली बार टीम इंडिया के लिए खेले, तो वो समय टीम इंडिया के लिए बदलाव का समय था. वो ऐसा समय था, जब जेनुइन फास्ट बॉलर की टीम इंडिया शिद्दत से तलाश कर रही थी. उस दौर में कई सारे मीडियम फास्ट बॉलर आए, अपनी चमक बिखेगी, और चले गए. मुनफ पटेल और एस श्रीसंत (S Sreesanth) को जेनुइन फास्ट बॉलर (Genuine Fast Bowler) के तौर पर गिना जाता था. हालांकि बाद में मुनफ चोटों के शिकार रहे और कभी वैसा खतरा नहीं बन सके, जो श्रीसंत बन गए थे. उस समय टीम इंडिया में प्रवीण कुमार, आर पी सिंह, मुनफ पटेल, इरफान पठान, अजित अगरकर (हालांकि लंबे समय से खेल रहे थे), आशीष नेहरा (लगातार चोटों से जूझते रहे), टिन्नू योहान्नन, आविष्कार साल्वी, जोगिंदर शर्मा, वीआरवी सिंह जैसे गेंदबाज टीम इंडिया में आते-जाते रहे और धीरे धीरे अपनी चमक खोते रहे. एक तरफ से जहीर खान टिके रहे, लेकिन श्रीनाथ के जाने के बाद उनका साथ देने वाला जेनुइन पेसर दूसरा कोई न था. ऐसे समय में श्रीसंत नाम का जो तूफान आया, वो छा गया.
श्रीसंत को टेस्ट मैचों में पहली बार मार्च 2006 में इंग्लैंड के खिलाफ जहीर खान (Zaheer Khan) जैसे सीनियर पेसर की जगह टीम में शामिल किया गया था. उन्होंने इरफान के साथ बॉलिंग संभाली और पहली पारी में 4 विकेट हासिल किये. दूसरा टेस्ट मैच हैमिस्ट्रिंग की वजह से मिस किया और मुंबई के तीसरे टेस्ट मैच में पहली बार पांच विकेट भी हासिल किये. इसके बाद उन्होंने वेस्टइंडीज का दौरा किया और एक ही मैच खेल पाए, लेकिन किंगस्टन में खेले गए उस टेस्ट में उन्होंने 5 विकेट हासिल कर सनसनी मचा दी. फिर जोहानिसबर्ग में श्रीसंत ने साल 2006 में ऐसा प्रदर्शन किया कि साउथ अफ्रीकी टीम सकते में आ गई. श्रीसंत ने 40 रन देकर 5 विकेट हासिल किए और पूरी टीम को महज 84 रनों पर समेट दिया. उन्होंने उस टेस्ट में स्विंग और पेस बॉलिंग का ऐसा नमूना पेश किया कि बड़े-बड़े क्रिकेट पंडित भी हैरान रह गए. वो विवाद में भी फंसे, जब उन्होंने अमला को मैदान पर गलत इशारा किया. इसी दौरे पर आंद्रे नेल का वो ओवर कौन भूल सकता है, जिसमें नेल के बाउंसर की अगली ही गेंद पर श्रीसंत ने उनके सिर के ऊपर से छक्का मारा और मैदान पर ही डांस करके न सिर्फ इसका जश्न मनाया, बल्कि जमकर चिढ़ाया भी. उनकी आक्रामकता को देख लोगों को सौरव गांगुली जैसे धुरंधर की याद आ गई. हालांकि इसके लिए उन्हें 30 परसेंट मैच फीस गंवाना पड़ा, लेकिन श्रीसंत उस भारतीय आक्रामकता के पर्याय बन गए, जिसे सौरव गांगुली ने शुरू किया था. वो बाद में माइकल वॉन को चिढ़ाने और केविन पीटरसन को बीमर मारने के चलते भी विवादों में रहे. यहां तक कि उनकी आक्रामकता पर काबू पाने के लिए उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट से ही बैन करने की मांग तक की जाने लगी थी. मैदान पर श्रीसंत की आक्रामकता को मैदान के बाद भारतीय क्रिकेट प्रशंसक काफी पसंद करते थे. क्योंकि उन्हें वो खिलाड़ी मिल रहा था, जो ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीकी, इंग्लिश क्रिकेटरों की आक्रामकता का जवाब अपनी ही शैली में देता था.
संन्यास के लिए किस लम्हे का इंतजार कर रहे थे श्रीसंत?
श्रीसंत का नाम आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग में आया. उनपर बैन लगा. उन्होंने लड़ाई लड़ी. लंबी लड़ाई लड़ी और अकेले लड़ी. पूरी दुनिया उनके खिलाफ हो चुकी थी, लेकिन श्रीसंत ने कभी हार नहीं मानी. हर चीज का डटकर सामना किया. डांस किया, एक्टिंग की और फिर जब बैन हटा तो प्रोफेशनल क्रिकेट सर्किट में वापसी भी की. लिस्ट ए मैचों में जोरदार वापसी के बाद प्रशंसकों को लगने लगा था कि ये खिलाड़ी और बड़ी खुरापात करेगा. हालांकि श्रीसंत लगातार बड़े मंच पर वापसी की कोशिशों में लगे रहे. उन्होंने अपनी मैच फिटनेस भी साबित की. उनका दुर्भाग्य रहा कि जब वो वापसी कर रहे थे, जब कोरोना का साया पूरी दुनिया पर था. हालांकि 9 साल बाद इस साल फरवरी में वो जब पहली बार फर्स्ट क्लास मैच के लिए मैदान पर उतरे, तो उन्होंने वही प्रतिबद्धता दिखाई, जिसके लिए वो जाने जाते थे. 6 फरवरी को अपने जीवन के 39 बसंत पूरे करने वाले श्रीसंत ने पूरे 9 साल बाद 17 फरवरी 2022 को मेघालय के खिलाफ फर्स्ट क्लास मैच यानि रणजी मैच खेला. ये उनका आखिरी मैच साबित हुआ. श्रीसंत ने इस मैच में 2 विकेट हासिल किये और टीम जीत गई. उन्होंने 9 साल बाद जब पहला विकेट लिया, तो पिच पर ही ईश्वर के चरणों में शरणागत हो गए. उन्होंने पिच को चूमा और ईश्वर को धन्यवाद दिया कि वो फिर से मैदान पर खुद को साबित कर सके. उन्होंने ट्विटर पर भी इस लम्हे को शेयर किया. और लिखा, 'अब जाकर 9 साल पहला पहला फर्स्ट क्लास विकेट मिला. मैंने ईश्वर को और पिच को प्रणाम किया'. यही वो लम्हा था जिसका श्रीसंत इंतजार कर रहे थे. यही वो मैच था, जिसके बाद श्रीसंत ने तय कर लिया कि 'अब बस, बहुत हुआ. उन्हें किसी को कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं'.
श्रीसंत ने भारत के लिए खेले 90 अंतरराष्ट्रीय मैच
बता दें कि श्रीसंत ने 25 अक्टूबर 2005 को नागपुर में श्रीलंका के खिलाफ वनडे डेब्यू किया था. इसके बाद एक मार्च 2006 को इंग्लैंड के खिलाफ नागपुर में ही पहला टेस्ट खेला था. एक दिसंबर 2006 को उन्हें जोहानिसबर्ग में दक्षिण अफ्रीका (India Vs South Africa) के खिलाफ पहला टी20 खेलने का अवसर मिला था. श्रीसंत ने 27 टेस्ट में 87 विकेट लिए. तीन बार पारी में पांच विकेट लिए थे. वनडे में श्रीसंत के रिकॉर्ड को देखें तो उन्होंने 53 मुकाबलों में 75 विकेट झटके थे. एक बार मैच में पांच विकेट लिया था. वहीं, 10 टी20 मैचों में श्रीसंत ने सात विकेट लिए थे. 44 आईपीएल मैचों में उनके नाम 40 विकेट हैं. उन्होंने राजस्थान रॉयल्स, किंग्स 11 पंजाब और कोच्चि टस्कर्स जैसी टीमों के लिए आईपीएल खेला.
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