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परिवार से अलग राह पर चलने को तैयार शिवपाल सिंह यादव, समान नागरिक संहिता पहला कदम?

अब लगता है कि शिवपाल यादव पूरी तरह से सपा और अपने परिवार से अलग राह पकड़ने का मन बना चुके हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगा लें कि सपा ने अपने विधायक दल की मीटिंग तक में उन्हें नहीं बुलाया, जिसके लिए उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की.

Updated on: 15 Apr 2022, 01:00 PM

highlights

  • परिवार से राहें जुदा करने को तैयार हैं शिवपाल सिंह यादव
  • समान नागरिक संहिता पर किया लोहिया को याद
  • ट्विटर पर लिखा था-हैं तैयार हम

नई दिल्ली:

शिवपाल सिंह यादव... कभी उत्तर प्रदेश की राजनीति के सबसे अहम खिलाड़ी. समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में मुलायम सिंह यादव के बाद सबसे ज्यादा ताकतवर नेता. पहचान मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई की, लेकिन कैबिनेट मंत्री और पार्टी के अहम दायित्वों को निभाते हुए शिवपाल संगठन में बहुत मजबूत हुए. पार्टी की फंडिंग से लेकर टिकट किसे मिलेगा, ये भी शिवपाल के इशारे पर होने लगा. फिर आया साल 2016 और फिर 2017... शिवपाल पार्टी में होकर भी अकेले पड़ गए. मुलायम सिंह यादव का साथ तो मिला, लेकिन इतना भी नहीं कि वो बेटे को अपनी सत्ता से बेदखल कर दें. इन सब के बीच 5 साल गुजर चुके हैं. यूपी में 2 बार चुनाव हो चुके हैं. शिवपाल अब भी समाजवादी पार्टी को नहीं भुलाए और हर संभव कोशिश सपा को साथ लेकर चलने की करते रहे. हालांकि नुकसान सपा का होता रहा. अपनी पार्टी बनाई, फिर भी 2022 का चुनाव सपा के टिकट पर लड़े. हर बार वादा किया जाता रहा इज्जत देने का, लेकिन मिलती रही बेईज्जती. लेकिन अब लगता है कि शिवपाल यादव (Shivpal Singh Yadav) पूरी तरह से सपा और अपने परिवार से अलग राह पकड़ने का मन बना चुके हैं. इस बात का अंदाजा इसी से लगा लें कि सपा ने अपने विधायक दल की मीटिंग तक में उन्हें नहीं बुलाया, जिसके लिए उन्होंने नाराजगी भी जाहिर की. लेकिन बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर की जयंती पर उन्होंने सपा से उलट राह पकड़ ही ली. उन्होंने बीजेपी के मुद्दे-कॉमन सिविल कोड के सहारे लोहियाबाद की भी बात की और फिर कॉमन सिविल कोड का समर्थन भी कर दिया. ये उनके बीजेपी के साथ वैचारिक एकता की तरफ पहला कदम साबित हो सकता है. 

शिवपाल सिंह यादव यूं ही भावनाओं में बहकर कुछ भी नहीं कर जाते. उन्होंने बहुत कुछ झेला है, बीते सालों में. इसके बावजूद उन्होंने कॉमन सिविल कोड की वकालत भी की, तो समाजवादी राजनीति के पुरोधा डॉ राम मनोहर लोहिया का नाम लेकर किया. उन्होंने कहा, ये तो लोहिया जी का मुद्दा है. उन्होंने कहा कि अब समान नागरिक संहिता लागू करने का सही वक़्त आ गया है, बाबा साहेब ने भी संविधान में समान नागरिक संहिता की वकालत की थी. राम मनोहर लोहिया ने 1967 के चुनाव में इसे मुद्दा बनाया था. उन्होंने कहा कि कॉमन सिविल कोड से समरसता को बल मिलेगा. बताते चलें कि समान नागरिक संहिता बीजेपी के मूल एजेंडे में शामिल है. शिवपाल अपनी पार्टी के अध्यक्ष के अलावा सपा विधायक भी हैं. अखिलेश यादव से नाराजगी के चलते वह कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी में हैं. इसमें बीजेपी के साथ जाने की बात भी शामिल है, पर उन्होंने अपने पत्ते अभी तक नहीं खोले हैं.

मुलायम सिंह यादव से पहली बार दिखाई नाराजगी

बता दें कि कुछ दिनों पहले शिवपाल सिंह यादव ने मुलायम सिंह यादव को लेकर पहली बार सार्वजनिक तौर पर नाराजगी दिखाई थी. एमएलसी चुनाव के समय इटावा में वोटिंग के बाद कुछ पत्रकारों ने जब शिवपाल यादव से सवाल किया कि मुलायम सिंह यादव भी आए हुए हैं, क्या आप उनसे मिलेंगे? शिवपाल ने सबको चौंकाते हुए तपाक से कहा, ''आप जाकर मिल लो.'' अखिलेश से पहले भी शिवपाल का झगड़ा हुआ है, लेकिन उस दौर में भी शिवपाल और मुलायम के बीच प्यार और सम्मान कम नहीं हुआ. शिवपाल यादव हमेशा मुलायम को पिता तुल्य बड़ा भाई बताते रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि पहली बार शिवपाल सिंह यादव ने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से नाराजगी जाहिर की है. इस बीच सपा के निशान पर विधायक बने शिवपाल यादव ने एक बार फिर कहा कि उचित समय आने वाला है और वह जल्द अपने अगले कदम का खुलासा करेंगे.

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ये हो सकती है मुलायम से नाराजगी की वजह

प्रसपा अध्यक्ष 2022 विधानसभा चुनाव में अपना दमखम दिखाने को पूरी तरह तैयार थे. उन्होंने करीब 100 सीटों पर उम्मीदवार भी तय कर लिए थे. लेकिन मुलायम सिंह यादव ने उन्हें अखिलेश का साथ देने को कहा. अखिलेश को सीएम बनवाने के लिए उन्होंने सपा से गठबंधन पर राजी किया. लेकिन अखिलेश ने चाचा को महज एक सीट दी और सपा के चुनाव चिह्न पर ही लड़ने को मजबूर किया. चुनाव प्रचार के दौरान ही कई बार शिवपाल का यह दर्द जुबान पर आ गया था. उन्होंने कहा था कि बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के कहने पर उन्होंने अपनी पार्टी कुर्बान की, लेकिन महज एक सीट दी गई. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि शिवपाल यादव इस बात को लेकर खफा हैं कि उनका जब भी भतीजे से टकराव हुआ है, मुलायम पुत्र मोह से ही बंधे दिखे हैं, जबकि शिवपाल ने दशकों तक मुलायम के साथ मिलकर जमीन पर मेहनत करके सपा को मजबूती दी थी. लेकिन अब हालात बदल चुके हैं.

मोदी-योगी को ट्विटर पर फॉलो करने लगे शिवपाल

शिवपाल सिंह ने पिछले दिनों ट्विटर पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ को फॉलो करना शुरू कर एक नया संदेश दिया है. यह बीजेपी के प्रति उनकी बढ़ती नजदीकियों के स्पष्ट करता है. फिलहाल यह चर्चा शुरू होने लग गई है कि छह बार के विधायक शिवपाल यादव को बीजेपी विधानसभा उपाध्यक्ष बना सकती है. जिस तरह सपा खेमे में सेंध लगाते हुए विधायक नितिन अग्रवाल को उपाध्यक्ष बनाया था, उसी तरह से सपा विधायक शिवपाल को भी विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाकर अखिलेश यादव को झटका दिया जा सकता है.

ट्विटर पर लिखा- हैं तैयार हम

बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच शिवपाल यादव ने कहा कि जल्द ही उचित समय आने वाला है. वह अगले कदम का ऐलान करेंगे. इस बीच उन्होंने ट्विटर पर नया पोस्टर लगाते हुए लिखा, 'हैं तैयार हम.' माना जा रहा है कि जल्द शिवपाल यादव भतीजे अखिलेश यादव को बड़ा झटका दे सकते हैं. वहीं, बीजेपी के कई नेता ऐसा संकेत दे चुके हैं कि उन्हें शिवपाल सिंह यादव (Shivpal Singh Yadav) से कोई परेशानी नहीं. बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव की बहू को भी स्वीकार किया है. शिवपाल को भी कर ही लेगी. इस मामले पर केंद्रीय राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि यह हाइकमान का मामला है. मैं किसी के आने का न स्वागत करता हूं और न जाने की आलोचना. बता दें कि यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में बघेल ने मैनपुरी की करहल सीट पर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को कड़ी चुनौती दी थी. लेकिन वो हार गए थे.