logo-image

G20 Summit 2023: कैसे पड़ी जी-20 की नींव, जानें इसका इतिहास और उद्देश्य

G20 Summit 2023: जी20 बैठक की अध्यक्षता इस साल भारत कर रहा है. ये दुनिया की सबसे पावरफुल संगठन है.

Updated on: 08 Sep 2023, 12:22 PM

नई दिल्ली:

G20 Summit 2023: दुनिया के सबसे पावरफुल देशों के राष्ट्राध्यक्षों का आना शुरू हो गया है. G20 का कार्यक्रम 9 और 10 सितंबर को दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में होगा. इसके लिए दिल्ली को अभेद किले के रूप में बदल दिया गया है. इसके आसपास किसी भी तरह के ऑबजेक्ट के उड़ान पर पूरी तरह से बैन लगा दिया गया है. इसके साथ ही दिल्ली के सभी स्कूलों और सरकारी ऑफिस को बंद कर दिया गया है. आखिर ये जी20 संगठन क्या है, ये कैसे काम करता है और इसके क्या प्रोसेस हैं इन सभी सवालों की जानकारी देंगे इस आर्टिकल के जरिए. 

 G20 का क्या है उद्देश्य

जी20(G20) एक 20 सदस्यों का संगठन है जिसमें 19 सदस्य देश और यूरोपियन युनियन है. इसमें अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय युनियन शामिल है. ये संगठन दुनिया की 85 प्रतिशत जीडीपी, 75 प्रतिशत से ज्यादा विश्व व्यापार और दुनिया की दो तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है. ये संगठन विश्व आर्थिक सहयोग को मजबूत करने में, ग्लोबल बनाने में महत्तवपूर्ण भूमिका निभाता है. विश्व में आर्थिक स्थिरता, सतत विकास और सदस्य देशों में नीति बनाने का काम करता है.  

स्थापना कैसे हुई

1991 में सोवियत संघ टूटने के बाद कोल्ड वार समाप्त हो गया. उसी समय दुनिया के कुछ देश जैसे ब्राजील, चीन और भारत आर्थिक रूप से उभर रहे थे. विश्व में जी8 और विश्व बैंक जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन आर्थिक अस्थिरता को रोक पाने में नाकामयाब साबित हो रहे थे. साल 1997 में एशिया में वित्तीय संकट ने पूर्वी एशिया के कुछ देशों की बढ़ती अर्थव्यवस्थो पूरी तरह से खराब कर दिया था. इसका असर लेटिन अमेरिका तक फैल गया था. 1999 के अंत तक इस वर्तमान स्वरूप की स्थापना हुई. इससे पहले 2 राउंड की बैठक हो चुकी थी. 

सलाना बैठक की शुरूआत

इस संगठन की बैठक 1999 से लेकर 2008 के बीच लोगों की नजरों से दूर हुई. सलाना बैठक की शुरुआत 2008 के आर्थिक मंदी के बाद हुई. उस समय फ्रांस जो यूरोपियन युनियन का अध्यक्ष था उसने इस क्राइसिस से बाहर निकलने के लिए बैठक की मांग की. लेकिन जी8 या किसी संगठन के पास इसका समाधान नहीं था. जिसके बाद कई दौर की बातचीत के बाद ये तय हुआ कि जी20 ही इस आपातकाल से निकाल सकता है और इसकी सलाना बैठक होनी चाहिए.