logo-image

Rampur में आजादी बाद पहली बार मुस्लिम MLA नहीं, यूपी में बीजेपी के लिए इसलिए बना ऐतिहासिक क्षण

1995 से लगातार आजम खान को चुनते आ रहे रामपुर में भारतीय जनता पार्टी के आकाश सक्सेना की जीत ने उत्तर प्रदेश में ब्रांड योगी के दबदबे को और मजबूत किया है.

Updated on: 09 Dec 2022, 08:11 PM

highlights

  • रामपुर सीट पर अब तक हुए 20 चुनाव में से 11 बार आजम और उनका परिवार जीता
  • आजादी के बाद पहली बार रामपुर विधानसभा सीट को नहीं मिला मुस्लिम विधायक
  • इस ऐतिहासिक जीत से उत्तर प्रदेश में ब्रांड योगी छवि और प्रभुत्व हुआ और मजबूत

नई दिल्ली:

रामपुर (Rampur) विधानसभा सीट पर आजादी के बाद बीजेपी की पहली जीत ने उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में ब्रांड योगी के प्रभुत्व को और मजबूत करने का काम किया है. यह ऐतिहासिक जीत इस बात का संकेत भी है कि गुजरात (Gujarat) के बाद उत्तर प्रदेश अब भगवा पार्टी का दूसरा सबसे बड़ा किला है. यह जीत इसलिए भी मायने रखती है, क्योंकि रामपुर सीट पर 50 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम (Muslims) आबादी है. बीजेपी ने यह उपलब्धि इस साल की शुरुआत में समाजवादी पार्टी (SP) के गढ़ आजमगढ़ और रामपुर में लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद हासिल की है. आजादी के बाद से रामपुर विधानसभा सीट बीजेपी ने कभी नहीं जीती थी. समाजवादी पार्टी के लिए पिछले दो दशक से आजम खान (Azam Khan) और उनका परिवार यहां से जीतता आ रहा था. यही नहीं, आजादी के बाद से इस सीट पर हमेशा एक मुस्लिम विधायक ही निर्वाचित हुआ है. 

बीजेपी के आकाश सक्सेना ने रचा रामपुर में इतिहास
इस बार बीजेपी के आकाश सक्सेना  62 फीसदी वोट हासिल कर यहां से जीते हैं. इससे यह भी संकेत मिलता है कि कुछ मुस्लिम मतदाताओं ने भी रामपुर विधानसभा सीट पर बीजेपी को वोट दिया. हालांकि यह परिणाम इस साल मार्च में रामपुर में हुए विधानसभा चुनाव से पूरी तरह उलट था. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में आजम खान ने आकाश सक्सेना को 60 फीसदी वोट पाकर हराया था. एक मामले में दोषी पाए जाने पर आजम खान अयोग्य करार दे दिए गए, जिसके बाद रामपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुआ. रामपुर विधानसभा सीट पर आजम खान और उनके परिवार की पकड़ का अंदाजा ऐसे लगाया जा सकता है कि अब तक इस सीट पर हुए कुल 20 चुनावों में से 11 बार उनके खाते में जीत आई. आजम खान 1980 से 1995 और फिर 2002 से 2022 तक रामपुर से विधायक चुने जाते रहे. इस बार भी उनके एक विश्वस्त को सपा ने उपचुनाव में टिकट दिया था, लेकिन उनके हिस्से में हार आई.

यह भी पढ़ेंः  Delhi MCD Mayor: AAP और हुई मजबूत, कांग्रेस के दो पार्षदों ने थामी झाड़ू

मार्च में हुए चुनाव में आजम खान से हार गए थे आकाश 
रामपुर से भाजपा के विजयी उम्मीदवार आकाश सक्सेना पूर्व मंत्री शिव बहादुर सक्सेना के बेटे हैं. उनका कहना कि आजम खान के शासनकाल में रामपुर के मुसलमानों को कभी सम्मान नहीं दिया गया. उन्होंने ऐतिहासिक जीत के बाद कहा, 'मुसलमानों को हमेशा यहां अधीन रखा गया था और उनके प्यार को गुलामी माना गया था. इस उपचुनाव में मेरा समर्थन करने के लिए मुसलमानों ने गुलामी के बंधन तोड़ दिए.' गौरतलब है कि आकाश के पिता शिव बहादुर सक्सेना 2017 के विधानसभा चुनाव में आजम खान से हार गए थे. आकाश भी इसी साल मार्च में आजम खान से भी हार गए थे. हालांकि बीजेपी मैनपुरी लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव और खतौली विधानसभा उपचुनाव में हार गई. खतौली सीट बीजेपी के लिए एक झटका है, क्योंकि नए बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी पश्चिम यूपी के इसी इलाके से आते हैं. 

यह भी पढ़ेंः गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 डॉक्टर, बिजनेसमैन समेत 105 चेहरे पहली बार पहुंचे सदन

महज 12वीं पास हैं आकाश
आकाश सक्सेना ने कोई उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं की है. 1996 में उन्होंने 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की थी. रिपोर्टों के अनुसार उनके पास 5 करोड़ रुपये की संपत्ति और कई व्यवसाय हैं. आकाश सक्सेना पर अपने पूर्ववर्ती आजम खान की तरह कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. हालांकि उनकी जीत पर विवादों का साया भी पड़ गया है. शुरुआती रुझानों में सपा के असीम रजा 10 हजार से अधिक मतों से आगे चलर हे थे, बाद में आकाश ने बढ़त बनानी शुरू की और आखिरी राउंड की मतगणना में जीत गए. रजा ने आरोप लगाया कि स्थानीय प्रशासन ने मुसलमान मतदाताओं को वोट नहीं डालने दिया, इसलिए अंतिम चरणों में मतगणना के परिणाम आकाश के पक्ष में आए.