PM Modi Ajmer Visit: अजमेर से जनसंपर्क रैली की शुरुआत के पीछे 4 बड़ी वजह, समझें गणित
PM Narendra Modi Ajmer Visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज राजस्थान के अजमेर से जनसंपर्क रैली की शुरुआत कर रहे हैं. ये रैली यूं ही राजस्थान से शुरू नहीं की जा रही बल्कि इसके पीछे है पीएम मोदी की वन मूव में डबल टारगेट की पॉलिसी. यहां चार कारणों से पीए
highlights
- खास है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अजमेर दौरा
- अजमेर में जनसंपर्क रैली के साथ-साथ पुष्कर में करेंगे पूजा
- बीजेपी की दोहरी जीत की नींव रखेंगे पीएम मोदी
नई दिल्ली:
PM Narendra Modi Ajmer Visit: राजस्थान के लिए 31 मई का दिन काफी अहम है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यहां के अजमेर शहर से एक बड़ी शुरुआत करने जा रहे हैं. पीएम मोदी अजमेर में आज जनसंपर्क रैली की शुरुआत करेंगे. इस कार्यक्रम को लेकर बीते कई दिनों से तैयारियां की जा रही हैं. इसके साथ ही पीएम मोदी अजमेर से नजदीक पुष्कर स्थित ब्रह्मा के दुनिया में मौजूद इकलौते मंदिर में भी जाएंगे और यहां पूजा अर्चना करेंगे. पीएम मोदी का राजस्थान का ये दौरा साधारण दौरा नहीं है बल्कि इस दौरे के पीछे है उनकी वन मूव में डबल टारगेट की पॉलिसी. यानी एक ही चाल में दोहरे टारगेट को चित करना. आइए जानते हैं मई खत्म होने से पहले ही आखिर क्यों पीएम मोदी ने राजस्थान को चुनकर यहां से जनसंपर्क रैली का आगाज करने का मन बनाया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीति में कभी अपने विरोधियों को हल्के में नहीं लिया है फिर चाहे ये उनके मुख्यमंत्री कार्यकाल की बात की जाए या फिर प्रधानमंत्री बनने के बाद उनके दोहरे कार्यकाल की. अपनी जीत को सुनिश्चित करने के लिए बीजेपी और पीएम मोदी की नीतियां हमेशा विरोधियों से दो कदम आगे रहती हैं. एक चुनाव का परिणाम आने से पहले ही बीजेपी अगले टारगेट की रणनीति बनाने में जुट जाती है जो कमोबेश अन्य विरोधी दलों में कम ही देखने को मिलता है.
हालांकि सभी दल इन दिनों मिशन 2024 की तैयारी करते दिख रहे है, लेकिन बीजेपी और पीएम मोदी के मूव इन सभी तैयारियों पर अभी से भारी दिखाई दे रहे हैं. राजस्थान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनसंपर्क रैली एक बार फिर उनकी सोची समझी रणनीति की ओर से इशारा कर रही है.
इस चार वजहों से पीएम मोदी ने राजस्थान और अजमेर को चुना
राजस्थान में जनसंपर्क रैली के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास एक नहीं बल्कि दो बड़ी वजह हैं. पहली इस वर्ष राजस्थान के विधानसभा चुनाव होना है वहीं दूसरी वजह अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में राजस्थान के रण से ज्यादा से ज्यादा सीटों को बंटोरना. अब समझते हैं आखिर यहां से पीएम मोदी को क्या फायदा होगा.
1. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पटखनी
पीएम मोदी की राजस्थान में जनसंपर्क रैली की शुरुआत का मकसद प्रदेश में बीजेपी के लिए जमीन को मजबूत करना है. वैसे भी राजस्थान में अल्टरनेट यानी हर बार सरकार बदलने का ट्रेंड है. इस लिहाज से तो बीजेपी का पलड़ा भारी नजर आता है. लेकिन एक और वजह भी है और वो है कांग्रेस में चल रहा अंदरुनी कलह. सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच चल रही खींचतान किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में बीजेपी और खास तौर पर पीएम मोदी के लिए ये वक्त सबसे मुफीद है ताकि वे राजस्थान में कांग्रेस को लेकर उठे तूफान का फायदा उठा सकें और विधानसभा चुनाव में अपनी जीत को मजबूती के साथ सुनिश्चित कर सकें.
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2. कर्नाटक की हार का बदला
कर्नाटक में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, जिसे कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत के साथ हासिल कर लिया है. लिहाजा बीजेपी और पीएम मोदी चाहेंगे कि कांग्रेस के किले में सेंध लगाकर कर्नाटक की शिकस्त का बदला ले सकें. ऐसे में बीजेपी के सामने सबसे सॉफ्ट टारगेट राजस्थान ही है. कांग्रेस के दो किलों छत्तीसगढ़ और राजस्थान में से राजस्थान को ढहाना बीजेपी के लिए ज्यादा आसान लग रहा है.
3.लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर नजर
राजस्थान और अजमेर को चुनकर बीजेपी और पीएम मोदी ने ना सिर्फ विधानसभा बल्कि लोकसभा चुनाव की ज्यादा सीटों पर नजरें गढ़ाई हैं. अकेले अजमेर के आस-पास लोकसभा की 8 सीट आती हैं. इन सीटों को बीजेपी अपने कब्जे ले ले तो स्थिति मजबूत हो जाएगी जबकि कांग्रेस कमजोर. इन्हीं 8 लोकसभा सीटों में करीब 64 विधानसभा सीट भी हैं. इनमें से फिलहाल बीजेपी के पास 20 सीट है जबकि उसका टारगेट 45 सीटों पर कब्जा जमाना है. इसके लिए 25 और सीटें हासिल करने के लिए बीजेपी के पास पीएम मोदी से बड़ा कोई हथियार हो ही नहीं सकता.
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4.इन समुदायों पर है सीधा फोकस
राजस्थान के रण को हथियाना है तो जाट और मुस्लिम समुदाय में पकड़ होना बहुत जरूरी है. इन्हीं समुदायों में कमजोर पकड़ के चलते बीजेपी को बार-बार हार का मुंह देखना पड़ता है. इस बार बीजेपी ऐसी कोई गलती करने के मूड में नहीं है. यही वजह है कि बीते 8 महीनों में पीएम मोदी ने राजस्थान के इन समुदाय बहुल इलाकों में 6 दौरे किए हैं. इस बार भी अजमेर को चुनकर इन्हीं दो समुदायों को साधने की कोशिश की जा रही है. बता दें कि सचिन पायलट खुद जाट समुदाय से आते हैं और वो कांग्रेस में एक बागी तेवरों के साथ इन दिनों आगे बढ़ रहे हैं.
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