National Film Awards: ऐसे चुने जाते हैं विजेता और चयन का यह है पैमाना
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सौंदर्य और तकनीकी उत्कृष्टता और सामाजिक प्रासंगिकता की फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है. पुरस्कारों का उद्देश्य पूरे भारत में विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को प्रोत्साहित करना है.
highlights
- राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2022 में रहा दक्षिण की फिल्मों का दबदबा
- बीते दो साल कोरोना संक्रमण की वजह से नहीं दिए गए थे अवार्ड
- इस कारण 2020 की फिल्मों को भी इस अवार्ड में किया गया शामिल
नई दिल्ली:
68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों (National Film Award) की घोषणा में इस बार दक्षिण भारतीय फिल्मों का दबदबा रहा. इस साल घोषित पुरस्कारों में 2020 में प्रदर्शित फिल्मों को भी शामिल किया गया, क्योंकि कोविड-19 (Covid-19) की वजह से नेशनल अवॉर्ड बीते दो सालों से आयोजित नहीं हो पा रहे थे. 'सूराराई पोट्टरु' (Soorarai Pottru) ने सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता, तो इसी फिल्म की नायिका अपर्णा बालामुरली (Aparna Balamurali) को बेस्ट एक्ट्रेस चुना गया. इस फिल्म के लिए साउथ के सुपरस्टार सूर्या (Suriya) को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड भी मिला. बॉलीवुड की बात करें तो 2020 में प्रदर्शित फिल्म 'तान्हाजी- द अनसंग वॉरियर' (Tanhaji: The Unsung Warrior) के लिए अजय देवगन (Ajay Devgn) को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता चुना गया है. इन फिल्म पुरस्कारों का आयोजन हर साल सूचना व प्रसारण मंत्रालय की ओर से किया जाता है. आइए जानते हैं राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पहली बार कब और किसे मिले थे. साथ ही विजेता का चयन कौन करता है...
राष्ट्रपति देते हैं विजेताओं को पुरस्कार
केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय के फिल्म समारोह निदेशालय के अनुसार, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार सौंदर्य और तकनीकी उत्कृष्टता और सामाजिक प्रासंगिकता की फिल्मों के निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है. पुरस्कारों का उद्देश्य पूरे भारत में विभिन्न संस्कृतियों और समुदायों को प्रोत्साहित करना है. एकता और अखंडता को बढ़ावा देना है. ये पिछले वर्ष की फिल्मों के लिए प्रत्येक वर्ष भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिए जाते हैं. सिनेमा की दुनिया में बेहतरीन काम करने वाले अभिनेता-अभिनेत्री और कलाकारों को ये अवॉर्ड दिए जाते हैं. इनका मकसद बेहतरीन काम करने वाले फिल्म जगत से जुड़े लोगों को प्रोत्साहन देने का है.
जूरी तय करती है विजेताओं के नाम
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भारत सरकार के डायरेक्टरेट ऑफ फिल्म फेस्टिवल द्वारा दिए जाते हैं. इस साल पुरस्कारों के चयन के लिए 10 सदस्यीय जूरी का नेतृत्व विपुल शाह ने किया. अन्य सदस्यों की बात करें तो इनमें निशिगंधा, एस थंगदुरई, धरम गुलाटी, श्रीलेखा मुखर्जी, जीएस भास्कर, एस कार्तिक, संजीव रतन, वीएन आदित्य और विजी तंपी शामिल रहे. हर बार फिल्म जगत के विजेताओं का चयन एक जूरी करती है. यह जूरी डायरेक्टरेट ऑफ फिल्म फेस्टिवल्स ही नियुक्त करता है. अवॉर्ड्स के लिए नियम भी तय हैं. इस नियमावली को नेशनल फिल्म अवॉर्ड रेगुलेशंस कहा जाता है. फीचर फिल्म सेक्शन की छह श्रेणियों में और नॉन-फीचर फिल्म की दो श्रेणियों में स्वर्ण कमल दिया जाता है. वहीं अन्य श्रेणियों में रजत कमल दिया जाता है.
कब हुई राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की शुरुआत और क्या मिलता है विजेताओं को
पहली बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 1954 में दिए गए थे. उस वक्त इन्हें स्टेट अवॉर्ड्स कहा जाता था. उस दौरान इन अवॉर्ड्स में सिर्फ दर्जन भर क्षेत्रीय भाषाओं की फिल्में शामिल होती थीं. पहले नेशनल फिल्म अवॉर्ड में बेस्ट फिल्म का अवॉर्ड मराठी फिल्म 'श्यामची आई' को दिया गया था. वहीं बेस्ट डॉक्यूमेंट्री का अवॉर्ड 'महाबलीपुरम' को मिला था. वहीं हिंदी फिल्म 'दो बीघा जमीन' को ऑल इंडिया सर्टिफिकेट ऑफ मेरिट दिया गया था. नेशनल अवॉर्ड पाने वाले सभी विजेताओं को मेडल, कैश प्राइज और एक मेरिट सर्टिफिकेट मिलता है.
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अब तक किसने कितनी बार जीता नेशनल अवार्ड
शबाना आज़मी ने 1982-84 तक 'अर्थ', 'खंधार' और 'पार' समेत पांच बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने का रिकॉर्ड बनाया है. बंगाली अभिनेत्री इंद्राणी हलदर और रितुपर्णा सेनगुप्ता दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुकी हैं. इन्हें 1997 में प्रदर्शित रितुपर्णो घोष की 'दहन' के लिए पुरस्कृत किया गया था. प्रसिद्ध निर्माता-निर्देशक सत्यजीत रे की छह फिल्मों पाथेर पांचाली' (1955), 'अपुर संसार' (1959), 'चारुलता' (1964), 'गूपी जाने बाघा बनने' (1968), 'सीमाबद्ध' (1971), और 'अगंतुक' (1991) ने चार अलग-अलग दशकों में सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का पुरस्कार जीता. शाहरुख खान अभिनीत सात फिल्मों ने सर्वश्रेष्ठ मनोरंजन प्रदान करने वाली सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय फिल्म का पुरस्कार जीता है, जो किसी भी अभिनेता के लिए सबसे अधिक है. यह अलग बात है कि शाहरुख को स्वयं कभी व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नहीं मिला है.
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