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'गुलाम संस्कृति' से 'आजाद' नहीं होना चाहती कांग्रेस, 'नबी' के इस्तीफे की 10 बड़ी बातें

आजाद ने कांग्रेस पार्टी के 'सलाहकार तंत्र' को नष्ट करने के पीछे राहुल गांधी को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा 'सभी वरिष्ठ और अनुभवी कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार कर पार्टी को चलाने के लिए 'चापलूसों की नई मंडली' पर भरोसा जताया'.

Updated on: 26 Aug 2022, 06:22 PM

highlights

  • कांग्रेस अब ऐसा मुकाम पर आ पहुंची है, जहां से वापसी मुश्किल है
  • कांग्रेस को अब चापलूसों की मंडली चला महत्वपूर्ण निर्णय कर रही
  • गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में कांग्रेस जोड़ो की बात भी की 

नई दिल्ली:

कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े 'जी-23' के प्रमुख चेहरे और पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को लंबा-चौड़ा पत्र लिख प्राथमिक सदस्यता समेत पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को लिखे पत्र में आजाद ने दो टूक लिखा, 'ऑल इंडिया कांग्रेस समिति को चलाने वाली 'मंडली' के संरक्षण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Congress) ने देश के लिए जो सही है उसके लिए लड़ने की 'इच्छाशक्ति' और 'क्षमता' दोनों ही खो दी है.' कांग्रेस के साथ लंबे संबंधों का जिक्र करते हुए अपने इस्तीफे में गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने देश की सबसे पुरानी पार्टी और उसके नेतृत्व का 'बेहद क्रूर मूल्यांकन' (Brutal Analysis) किया. आजाद के इस्तीफे के बाद जम्मू कश्मीर (Jammu Kashmir) में पांच पूर्व विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. विगत समय में कांग्रेस छोडने वाले हेमंता बिस्व सरमा, जयवीर शेरगिल समेत तमाम अन्य नेताओं ने भी आजाद के इस्तीफे की आड़ में पार्टी समेत राहुल गांधी पर जमकर निशाना साधा है. जी-23 (G-23) समूह के नेताओं ने आजाद के इस्तीफे को अफसोसनाक करार दिया है. ऐसे में यह जानना अच्छा रहेगा कि पार्टी के 'क्रूर मूल्यांकन' वाले इस्तीफे (Resignation) में कांग्रेस से 'आजाद' होने वाले 'गुलाम' ने किन 10 बड़ी बातों को उठाया है. 

कांग्रेस में लंबी पारी 
गुलाम नबी आजाद ने अपने इस्तीफे में कांग्रेस में अपने कार्यकाल का विस्तार से उल्लेख किया. उन्होंने जोर देकर कहा कि 1970 के मध्य में स्वर्गीय संजय गांधी के आग्रह पर कांग्रेस में शामिल हुए थे. 1978-79 में युवा कांग्रेस के सदस्य के रूप में जेल जाने की बात लिखते हुए आजाद ने कहा कि 1982 से 2014 तक स्वर्गीय इंदिरा गांधी, स्वर्गीय राजीव गांधी, स्वर्गीय पीवी नरसिंहा राव और मनमोहन सिंह की सरकार में केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी रहा. गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस कार्य समिति के चार दशकों की सदस्यता का भी उल्लेख किया. उन्होंने लिखा, 'मैंने अपने परिवार और स्वास्थ्य की कीमत पर अपने वयस्क जीवन का प्रत्येक क्षण भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सेवा में लगा दिया' 

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राहुल गांधी की जमकर आलोचना
इस्तीफे में कांग्रेस पार्टी में सोनिया गांधी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी के बारे में अपना तीखा आकलन भी प्रस्तुत किया. आजाद ने कांग्रेस पार्टी के 'सलाहकार तंत्र' को नष्ट करने के पीछे राहुल गांधी को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा 'सभी वरिष्ठ और अनुभवी कांग्रेसी नेताओं को दरकिनार कर पार्टी को चलाने के लिए 'चापलूसों की नई मंडली' पर भरोसा जताया'. आजाद ने राहुल गांधी को 'बचकाना' और 'अपरिपक्व' करार देते हुए लिखा कि मीडिया के सामने सरकारी अध्यादेश को फाड़ प्रधानमंत्री की सत्ता को ही नकार दिया. राहुल गांधी की इस हरकत ने 2014 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की हार का मार्ग प्रशस्त किया. इसके साथ ही आजाद ने अपने पत्र में राहुल गांधी को 'गैर गंभीर व्यक्ति' करार दिया है.

रिमोट कंट्रोल संचालित
गुलाम नबीं आजाद ने बेहद कड़वे अंदाज में अपने इस्तीफे में लिखा कि संप्रग सरकार की 'संस्थागत अखंडता' को तहस-नहस करने वाले 'रिमोट कंट्रोल' मॉडल से अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को चलाया जा रहा है. आजाद ने सोनिया गांधी को संबोधित करते हुए यह लिखने से भी गुरेज नहीं किया कि 'आप (सोनिया गांधी) पार्टी में महज नाममात्र की शख्सियत रह गई हैं. सारे महत्वपूर्ण निर्णय राहुल गांधी और उससे भी बद्तर उनके सुरक्षा गार्ड और निजी सहायकों द्वारा लिए जा रहे हैं.'

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फीडबैक को किया नजरअंदाज
जम्मू-कश्मीर के इस दिग्गज नेता के आकलन के मुताबिक सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद पार्टी नेतृत्व अक्टूबर 1998 में पंचमढ़ी में ब्रेनस्टॉर्मिंग सत्र के लिए एकत्र हुआ था. फिर 2003 में शिमला और जनवरी 2013 में जयपुर में ऐसे ही सत्र का आयोजन किया गया. कांग्रेस के इन आयोजनों में दिए गए एक भी सुझाव पर कायदे से अमल नहीं किया गया.

चुनाव दर चुनाव करारी हार
गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे में लिखा 2014 से कांग्रेस दो लोकसभा चुनाव बेहद 'अपमानजनक तरीके' से हारी. आजाद ने कांग्रेस की हार का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा, '2014 से 2022 के बीच हुए 49 विधानसभा चुनावों में से कांग्रेस 39 चुनाव हारी. कांग्रेस महज चार विधानसभा चुनाव ही जीत सकी और आधा दर्जन बार उसने गठबंधन सरकार बनाई. दुर्भाग्य से आज भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का शासन महज दो राज्यों तक सीमित रह गया है. दो अन्य राज्यों में कांग्रेस गठबंधन सरकार का मामूली सा हिस्सा है.'

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पार्टी हित चाहने वालों को बनाया निशाना
इस्तीफे में कांग्रेस के असंतुष्ट धड़े जी-23 का जिक्र करते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जब 'आत्मनिरीक्षण' की कड़ी में पार्टी में 'जबर्दस्त भटकाव' की बात की गई तो 'नई मंडली ने अपने-अपने चापलूसों को इन नेताओं पर हमला-आलोचना और हद दर्जे तक नीचे जाकर अपमानित करने के लिए उतार दिया'. आजाद ने बेहद दुखी अंदाज में लिखा, 'जम्मू में मेरे विरोध में मेरी अर्थी निकाली गई. दुर्भाग्य की बात यह थी कि ऐसी अनुशासनहीनता करने वालों को दिल्ली में एआईसीसी के महासचिवों और राहुल गांधी ने निजी स्तर पर सम्मानित किया.'

कठपुतलियों को बढ़ावा
गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस अब ऐसे मुकाम पर आ पहुंची है, जहां पार्टी नेतृत्व की कमान हाथ में लेने के लिए कठपुतलियों को आगे बढ़ाया जा रहा है. कांग्रेस के लिए यहां से वापसी करना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, 'कांग्रेस का यह प्रयोग भी असफल रहेगा, क्योंकि हालिया दौर में पार्टी इस कदर खत्म हो चुकी है कि अब उसकी वापसी कतई संभव नहीं लगती.' आजाद ने आगे कहते हैं कि 'चुना गया शख्स' भी वास्तव में धागे से संचालित की जा रही एक कठपुतली से ज्यादा और कुछ नहीं है.

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सिकुड़ता राजनीतिक आधार
गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफे में कहा कि कांग्रेस राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी और राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों के मुकाबले अपना राजनीतिक आधार खो चुकी है. यह नौबत महज इस कारण आई कि बीते आठ सालों में पार्टी नेतृत्व की कमान एक 'गैर गंभीर शख्स' के हाथों में रही. हर चुनाव के साथ कांग्रेस का राजनीतिक आधार सिकुड़ता गया.

संगठनात्मक चुनाव महज दिखावा
कांग्रेस की संगठनात्मक चुनाव प्रक्रिया को 'तमाशा और दिखावा' करार देते हुए गुलाम नबी आजाद ने कहा कि कांग्रेस में संगठन के नाम पर देश के किसी भी हिस्से में किसी भी स्तर पर कोई चुनाव नहीं होता है. उन्होंने कहा कि पार्टी में हो रहे इस भयानक घोटाले के लिए एआईसीसी नेतृत्व ही जिम्मेदार है. कांग्रेस ने एक समय आजादी की अलख जगा राष्ट्रीय आंदोलन खड़ा कर देश को स्वतंत्रता दिलाने में महती भूमिका निभाई थी. आज उस विरासत को गौरवान्वित करने के बजाय पार्टी पर महज अपनी पकड़ और एकाधिकार बनाए रखने के लिए संगठनात्मक चुनाव के नाम पर 'घोटाला' किया जा रहा है. 

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चापलूस मंडली संस्कृति 
गुलाम नबी आजाद ने कहा, ऑल इंडिया कांग्रेस समिति को चलाने वाली चापलूस 'मंडली' के संरक्षण में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने देश के लिए जो सही है उसके लिए लड़ने की 'इच्छाशक्ति' और 'क्षमता' दोनों ही खो दी है.' यही नहीं, आजाद इस्तीफे में यह सलाह भी देना नहीं भूले, 'सच तो यह है कि भारत जोड़ो यात्रा से पहले पार्टी नेतृत्व को देश भर में कांग्रेस जोड़ो अभियान चलाना चाहिए'.