DEXA Test अब टीम इंडिया में चयन के लिए जरूरी, Cricketers को यह मिलेगा फायदा
यह मूल रूप से मांसपेशियों के विकास को समझने और विशिष्ट क्षेत्रों में फैट को मापने में मदद करता है. इस टेस्ट का एरर पर्सेंटेज भी महज 1-2 फीसदी है. इसके साथ ही यह आहार और व्यायाम से जुड़ी शारीरिक प्रतिक्रिया को भी ट्रैक करता है.
highlights
- बीसीसीआई ने यो-यो टेस्ट के साथ अब चयन के लिए डेक्सा भी जरूरी बनाया
- डेक्सा मांसपेशियों के विकास समेत शरीर में फैट प्रतिशत जानने में मददगार
- डेक्सा परिणाम खिलाड़ियों की फिटनेस और डाइट शिड्यूल बनाने में करेंगे मदद
नई दिल्ली:
बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया (BCCI) ने साल की शुरुआत में समीक्षा बैठक के बाद कहा कि अब भारतीय टीम में चयन के लिए यो-यो टेस्ट (Yo Yo Test) और डेक्सा (DEXA) मानदंड का हिस्सा होंगे. इसे खिलाड़ियों के केंद्रीय पूल के कस्टमाइज्ड रोडमैप में लागू किया जाएगा. यो-यो टेस्ट के बारे में तो लगभग सभी क्रिकेट प्रेमी जानते थे, लेकिन डेक्सा के बारे में और अधिक ज्ञान प्राप्त करने के लिए गूगल (Google) देवता की शरण में जाने के लिए मजबूर हो गए. फिटनेस (Fitness) के क्षेत्र में डेक्सा का इस्तेमाल लंबे समय से हो रहा है. डेक्सा खिलाड़ियों में आगे की फिटनेस संबंधी बेहतरी के लिए उनकी मौजूदा क्षमता और कंडीशनिंग सेट-अप को और सशक्त करेगा. भारत के पूर्व स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच रामजी श्रीनिवासन ने 2011 में बीसीसीआई को डेक्सा टेस्ट का सुझाव दिया था, जिसे अंततः अब चयन क्राइटेरिया (Selection) में शामिल कर लिया गया है.
डेक्सा यह होता है
यह मूल रूप से मांसपेशियों के विकास को समझने और विशिष्ट क्षेत्रों में फैट को मापने में मदद करता है. इस टेस्ट का एरर पर्सेंटेज भी महज 1-2 फीसदी है. इसके साथ ही यह आहार और व्यायाम से जुड़ी शारीरिक प्रतिक्रिया को भी ट्रैक करता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर किसी व्यक्ति के शरीर में फैट अधिक मात्रा में है, तो उसे जोड़ों पर पड़ने वाले भार की वजह से चोट लगने का खतरा अधिक होता है. खिलाड़ी के मैदान पर उतर सक्रिय होते ही शरीर का चार-पांच गुना भार जोड़ों पर पड़ता है. अतिरिक्त फैट की वजह से दौड़ने के पैटर्न और अन्य चीजों में बायो-मैकेनिकल बदलाव आते हैं. इसके साथ ही यह हड्डियों के स्वास्थ्य और घनत्व को भी दिखाता है. और तो और, यह लीन मसल मास के लिए शरीर में फैट के प्रतिशत को समझने में भी मदद करता है. शरीर में फैट जमा होने का स्थान महिला-पुरुष में अलग-अलग होता है. महिलाओं के लिए यह गाइनॉइड फैट है और पुरुषों के लिए एंड्रॉइड फैट है. पुरुषों में अतिरिक्त फैट ज्यादातर बॉडी के मिड-सेक्शन में होता है, तो महिलाओं में यह ज्यादातर कूल्हे और कमर में. डेक्सा टेस्ट से आंत के फैट प्रतिशत को समझने में भी मदद मिलती है. यह अंगों के आसपास की फैट होती है जो खिलाड़ियों की फिटनेस के लिए खासी महत्व रखती है. डेक्सा टेस्ट मांसपेशियों की सिमेट्री को समझने में भी मददगार है. डेक्सा टेस्ट से किसी के शरीर की चयापचय दर (Metabolic Rate) को समझने में भी मदद मिलती है. सरल शब्दों में कहें तो यह शरीर के वर्तमान द्रव्यमान को बनाए रखने के लिए जरूरी कैलोरी की मात्रा भी बताता है. इस तरह डेक्सा टेस्ट के बाद खिलाड़ी कैलोरी का सेवन कम कर शरीर में मौजूद अतिरिक्त फैट को कम कर सकता है.
यह भी पढ़ेंः Sania Mirza Retirement : सानिया मिर्जा का बड़ा ऐलान, कर लिया संन्यास का फैसला
डेक्सा क्या दिखाता है?
डेक्सा टेस्ट के परिणामों में सब कुछ दिखता है. स्केलेटन मास से लेकर लीन मसल मास, तो फैट प्रतिशत और शरीर के भीतरी अंगों के इर्द-गिर्द जमा फैट. इसका वर्कआउट शेड्यूल और डाइट पैटर्न पर सीधा प्रभाव पड़ता है, जिसे फैट प्रतिशत के अनुसार खिलाड़ियों के लिए खास उनके लिए तैयार करने की जरूरत होती है. यदि किसी के शरीर में फैट प्रतिशत अधिक है, तो उन्हें इसे कम करने की आवश्यकता होती है. फैट प्रतिशत को कम करने और दुबली-पतली मांसपेशियों के मास को बढ़ाने में उचित व्यायाम और खानपान की महती भूमिका है. फैट प्रतिशत कम करना स्ट्रैंथ और कंडीशनिंग से जुड़ा सिर्फ एक पहलू है. अगला पहलू उनका सर्वोत्कृष्ट प्रदर्शन है. यह पूरी तरह से एक अलग मसला है. 10-12 फीसदी अधिकतम फैट प्रतिशत का आदर्श पैमाना है. पेशेवर फुटबॉल खिलाड़ियों के लिए 5-6 फीसदी फैट प्रतिशत होना चाहिए, तो भारतीय क्रिकेटर इसे अधिकतम 10-12 फीसदी तक बढ़ा सकते हैं. यह स्तर खिलाड़ियों को चोट मुक्त रहने में भी मदद करता है. इस लिहाज से डेक्सा किसी समस्या को समझने और उसके समाधान को हल करने में मददगार है. हालांकि महज डेक्सा टेस्ट के जरिये भी आप चमत्कार की उम्मीद नहीं कर सकते हैं. ना ही यह उम्मीद कर सकते हैं कि इसके बाद आप सुपर एथलीट बन जाएंगे.
यह भी पढ़ेंः IND vs SL : करो या मरो मुकाबले में आज ये हो सकती है टीमों की प्लेइंग XI
क्या डेक्सा से भविष्य की चोटों का अनुमान लगाने में मदद मिलेगी
ऐसा कतई जरूरी नहीं. इसकी वजह यह है कि शरीर के अतिरिक्त फैट का सरल अर्थ यह भी है कि आप अतिरिक्त भार उठा रहे होते हैं, जिसकी वजह से जोड़ों और लिगमेंट्स पर अधिक जोर पड़ता है. चोट लगने की संभावनाएं होती हैं लेकिन यह 100 प्रतिशत फुलप्रूफ नहीं है. ऐसे भी खिलाड़ी हैं जो डील-डौल में अधिक मजबूत हैं, लेकिन बगैर किसी समस्या या चोट के तेज दौड़-भाग सकते हैं. ऐसे तेज गेंदबाज भी हैं जो पिछले 10 साल से जिम के पास भी नहीं फटके हैं और चोट से मुक्त हैं.
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव के 108 नाम करेंगे कल्याण, प्रदोष व्रत पर इन नामों का जरूर करें जाप
-
Pradosh Vrat 2024: वैशाख मास का प्रदोष व्रत कब? इस मुहूर्त में करें पूजा, चमक उठेगी किस्मत
-
Chanakya Niti: इन 7 लोगों को अपना पैर कभी भी न छूने दें, वरना रोना पड़ेगा पूरी जिंदगी!
-
Mohini Ekadashi 2024: मोहिनी एकादशी के दिन इस तरह करें पीपल के पड़े की पूजा, सभी ग्रह दोष होंगे दूर