Turkiye में NDRF: आपदा में जिंदगियां बचाने निकल पड़ते हैं खास देवदूत
National Disaster Response Force is in Turkey : तुर्किये कल तक हर मंच पर भारत का विरोध करता रहा. वो भारत के कट्टर दुश्मन पाकिस्तान को बचाता रहा. पाकिस्तान का साथ हर जगह देता रहा. लेकिन अब जब भूकंप ने तुर्किये की कमर तोड़ दी है, तो उसकी...
highlights
- आपदा प्रभावित तुर्किये पहुंची एनडीआरएफ की टीमें
- लोगों को निकालने में कर रही हैं मदद
- जापान, भूटान, नेपाल के बाद चौथी बार विदेश पहुंची NDRF
नई दिल्ली:
National Disaster Response Force is in Turkey : तुर्किये कल तक हर मंच पर भारत का विरोध करता रहा. वो भारत के कट्टर दुश्मन पाकिस्तान को बचाता रहा. पाकिस्तान का साथ हर जगह देता रहा. लेकिन अब जब भूकंप ने तुर्किये की कमर तोड़ दी है, तो उसकी सहायता के लिए आगे आने वाला पहला देश भारत बना. भारत ने अपने सबसे एलीट राहत एवं बचाव दल को तुर्किये के लिए रवाना कर दिया. इस दल का नाम है एनडीआरएफ. एनडीआरएफ मतलब देश का ऐसा एलीट फोर्स, जो देश में किसी भी आपदा के समय लोगों की जान बचाने के लिए तत्पर रहता है. और देवदूत बनकर अब तक लाखों लोगों की जिंदगियों को बचा चुका है. हम आपको बताते हैं कि एनडीआरएफ आखिर है क्या, और किस तरह से ये लोगों की जान बचाता है.
देवदूत यानि एनडीआरएफ
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल ( National Disaster Response Force ) का गठन साल 2006 में हुआ था. इसे डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 ( Disaster Management Act, 2005 ) के तहत बनाया गया. देश में किसी भी आपका के समय केंद्र सरकार की तरफ से राहत एवं बचाव के लिए ये सबसे बड़ी नोडल एजेंसी है. एनडीआरएफ में 16 बटालियन है और ये देश के अलग-अलग हिस्सों में तैनात है. देश की राजधानी दिल्ली के पास गाजियाबाद में भी एनडीआरएफ का बेस है. यहां आईटीबीपी के जवान तैनात रहते हैं. यूं तो एनडीआरएफ के लिए कोई अलग से फोर्स नहीं है, क्योंकि देश के अर्धसैनिकों बलों की बटालियनें ही एनडीआरएफ में सेवा देती हैं. लेकिन इनकी ट्रेनिंग बेहद खास होती है. ये बेहद कम समय में राहत और बचाव कार्यों को अंजाम देते हैं, ताकि आपदा प्रभावित इलाकों में नुकसान को कम से कम किया जा सके.
ऐसा है सांगठनिक ढांचा
एनडीआरएफ का मुख्यालय दिल्ली के अंत्योदय भवन में है. ये सीधे गृह मंत्रालय के अंदर आता है. इसके मुखिया डीजी स्तर के आईपीएस अधिकारी होते हैं. लेकिन देश के प्रधानमंत्री इसके संरक्षक होते हैं. एनडीआरएफ में कुल 16 बटालियन के जवान होते हैं. जिसमें से बीएसएफ और सीआरपीएफ की 3-3 बटालियन होती है. दो बटालियन सीआईएसएफ की होती हैं, तो 2 बटालियन आईटीबीपी की होती हैं. वहीं, सशस्त्र सीमा बल की भी दो बटालियन एनडीआरएफ में शामिल रहती हैं, तो असम राइफल्स की एक बटालियन एनडीआरएफ में शामिल रहती है. एनडीआरएफ की एक बटालियन में 1149 जवान और अधिकारी होते हैं. हर बटालियन के पास 45 सदस्यों की कम से कम 18 टीमें होती हैं. जिसमें डॉक्टर, इंजीनियर से लेकर खोजी कुत्तों का दल भी शामिल होता है.
इन जगहों पर एनडीआरएफ की स्थाई मौजूदगी
एनडीआरएफ की पहली बटालियन गुवाहाटी में तैनात है. यहां बीएसएफ के जवान हमेशा मुस्तैद रहते हैं. दूसरी बटालियन की तैनाती पश्चिम बंगाल के नादिया में है. यहां भी बीएसएफ की एक बटालियन तैनात है. तीसरी बटालियन सीआईएसएफ की है, जिसकी तैनाती ओडिशा के कटक में है. चौथी बटायिल भी सीआईएसएफ की है, जिसकी तैनाती तमिल नाडु के वेल्लोर में है. पांचवीं बटालियन पुणे (सीआरपीएफ), छठीं बटालियन वडोदरा (सीआरपीएफ), सातवीं बटालियन भटिंडा (आईटीबीपी), आठवीं बटालियन गाजियाबाद (आईटीबीपी), नौंवी बटालियन पटना (बीएसएफ), दसवीं बटालियन आंध्र प्रदेश के गुंटूर (सीआरपीएफ), ग्यारहवीं बटालियन यूपी के वाराणसी (एसएसबी), बारहवीं बटालियन अरुणाचल प्रदेश के इटानगर (एसएसबी) में तैनात है. इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में 13वीं बटालियन के साथ अन्य महत्वपूर्ण जगहों पर एनडीआरएफ के सेंटर स्थापित हैं.
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एनडीआरएफ का चौथा विदेशी मिशन
एनडीआरएफ ने अपनी स्थापना से लेकर अब तक तीन बार विदेशों में सहायता कार्यों को अंजाम दिया था. जिसमें साल 2011 में जापान, 2014 में भूटान और 2015 में नेपाल में भूकंप आपदा जैसी बड़ी त्रासदियां शामिल हैं. एनडीआरएफ के कामों की हर बात तारीफ की गई है. इसके अलावा एनडीआरएफ नागरिकों को भी ट्रेनिंग देता है, ताकि किसी भी आपदा की सूरत में नागरिक तुरंत स्वयंसेवक के तौर पर राहत और बचाव कार्यों में शामिल हो सकें. अब तक हिंदुस्तान के 40 लाख लोगों को एनडीआरएफ आपदा के वक्त राहत-बचाव कार्यों को अंजाम देने की ट्रेनिंग दे चुका है.
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