Chandrayaan-3 Mission: चंदा मामा की गोद में आराम फरमा रहे लैंडर-रोवर, जानें चंद्रयान-3 ने क्या जानकारियां जुटाईं?
Chandrayaan-3 Mission : चंद्रमा पर अब रात हो गई है, ये पृथ्वी के 14 दिन के बराबर होती है. ऐसे में प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को सुला दिया गया है. अब ये गहरी नींद से फिर जाएंगे या नहीं, ये तो सूर्योदय होने के बाद ही पता चलेगा.
नई दिल्ली:
Chandrayaan-3 Mission : चंदामामा की गोद में अब विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर आराम फरमा रहे हैं. दोनों ने पिछले 10 दिनों तक चंद्रमा की रहस्यों को सुलझाने की कोशिश की है. चांद पर अब रात हो गई है, जोकि धरती के 14 दिन के बराबर होती है और वहां तापमान माइनस 200 डिग्री सेल्सियस रहता है. सौर ऊर्जा से चलने वाले रोवर और लैंडर का रात के वक्त कार्य करना मुमकिन नहीं है. ऐसे में प्रज्ञान और विक्रम को स्लीप मोड में सेट कर दिया गया, यानी पार्क कर दिया गया है. आइये जानते हैं कि चंद्रयान-3 ने ऐसी कौन-कौन जानकारियां जुटाई हैं, जिससे मानवता का भला होगा.
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आपको बता दें कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्च किया और करीब 40 दिन के बाद चंद्र के साउथ पोल की सतह पर लैंड कर गया था. इसके बाद विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर ने सूर्य की रोशनी में करीब 10 दिनों तक चांद की सतह पर अपना कार्य किया है. अब चांद पर अंधेरा हो गया है, जिसकी वजह से लैंडर और रोवर को शिवशक्ति प्वाइंट पर 100 मीटर की दूरी पर सुला दिया गया है. प्रज्ञान रोवर पर लगे दोनों पेलोड APSX और LIBS बंद कर दिए हैं और इसके द्वारा जुटाए गए डेटा लैंडर के जरिये इसरो को भेज दिए गए हैं.
जानें चांद पर कब होगा सूर्योदय
चंद्रमा पर 22 सितंबर को सूर्योदय होगा. तबतक के लिए रोवर-लैंडर की बैट्री पूरी तरह से चार्ज है. रोवर-लैंडर को चांद पर इस तरह पार्क किया गया है, ताकि सूर्योदय के बाद सूरज की किरणें सीधे दोनों के सोलर पैनल पर पड़ें. अगर ऐसा हुआ तो दोनों फिर से कार्य करना शुरू कर देंगे. सूर्य की रोशनी के बिना लैंडर-रोवर में लगे उपकरण बेकार हैं.
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जानें क्या जानकारियां जुटाई गई हैं?
प्रज्ञान रोवर ने पिछले 10 दिनों शिवशक्ति प्वाइंट से 100 मीटर की दूरी तय की है. इसकी रफ्तार एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड थी. रोवर और लैंडर ने चांद पर कई महत्वपूर्ण खोज किए हैं. कैमिकल मिश्रण, मिट्टी के प्रकार, तापमान में बदलाव, भूकंप से संबंधित जानकारियां जुटाई गई हैं. चांद पर 26 अगस्त को भूकंप आया था, जिसका पता विक्रम लैंडर के एक पेलोड ने लगाया है. साथ ही चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव की सतह पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी भी पाई गई है.
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