इन 10 बुराइयों से जन्मे थे रावण के 10 सिर, हर मस्तक देता था एक रहस्यमयी संकेत
इस साल दशहरा बेहद खास और दुर्लभ योग का संयोग लेकर आ रहा है, इसमें खरीदारी और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होगा और नकारात्मक ऊर्जा का विनाश होगा. ऐसे में चलिए जानते हैं दशहरे के अवसर पर रावण के 10 सिरों का रहस्य
नई दिल्ली:
Dussehra 2022 Ravan 10 Heads Rahasya: हिंदू पंचांग के अनुसार अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को हर साल दशहरा मनाया जाता है. त्रेता युग में इस दिन भगवान राम ने लंकापति रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत दर्ज की थी, इसलिए इसे विजयादशमी भी कहते हैं. इस साल दशहरा बेहद खास और दुर्लभ योग का संयोग लेकर आ रहा है, इसमें खरीदारी और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि का वास होगा और नकारात्मक ऊर्जा का विनाश होगा. ऐसे में चलिए जानते हैं दशहरे के अवसर पर रावण के 10 सिरों का रहस्य.
- हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक, रावण के दस शीश को बुराई का प्रतीक माना गया है. इनके अलग-अलग अर्थ भी हैं. काम, क्रोध, लोभ, मोह, द्वेष, घृणा, पक्षपात, अहंकार, व्यभिचार और धोखा, ये सब रावण के 10 सिर के अर्थ हैं. शास्त्रों में यह भी उल्लेख मिलता है कि रावण 9 मणियों की माला धारण करता था. इन्हीं मालाओं को वह सिर के रूप में दिखाता और भ्रम पैदा करता था.
- दशहरे के पर्व पर रावण का पुतला दहन की परंपरा है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया जाता है. रावण के 10 सिर 10 बुराइयों का प्रतीक हैं जिसे हर व्यक्ति को दूर रहना चाहिए. रावण प्रतीक है अहंकार का, अनैतिकता का, सत्ता और शक्ति के दुरुपयोग का.
- पौराणिक कथाओं में इसका भी उल्लेख है कि रावण भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था. भोलेनाथ को प्रसन्न करने उसने कई सालों तक तपत्या किया और कठोरता से उसे निभाया. लेकिन जब भगवान शिव प्रकट नहीं हुए तो उन्हें प्रसन्न करने उसने अपने सिर की बलि तक दे दी थी.
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