Kirpan: सिक्ख धर्म के लोग क्यों रखते है कृपाण, जानिए धार्मिक और व्यावहारिक महत्व
Kirpan: कृपाण को सिख धर्म के पांच ककारों में से एक माना जाता है. गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना करते समय इन पांच ककारों को अनिवार्य बनाया था.
नई दिल्ली:
Kirpan: सिक्ख धर्म के लोग क्यों रखते है कृपाण सिख धर्म एक अद्वितीय धार्मिक सम्प्रदाय है जो पंजाब इलाके से उत्पन्न हुआ. इसके संस्थापक गुरु नानक देव थे, जिन्होंने 15वीं सदी में इसे स्थापित किया. सिख धर्म का मुख्य सिद्धांत है 'एक ओंकार', जिसका अर्थ है 'एक परमेश्वर'. सिख धर्म में समय के साथ पांच गुरुओं का श्रृंगार होता रहा, जिनमें गुरु ग्रंथ साहिब समेत गुरु गोबिंद सिंह भी शामिल हैं. सिख धर्म के प्रमुख सिद्धांतों में सभी मनुष्यों के समान अधिकार, सर्वत्र सर्वदा अच्छाई का प्रमाण और समानता की महत्वपूर्णता शामिल है. सिख धर्म में संगत (साधू-समाज), सेवा (सेवा), सिमरन (प्रभु के चिन्ह की स्मृति) और सांतोख (संतोष) जैसे मूल गुण हैं. सिख धर्म का धार्मिक पुस्तक गुरुग्रंथ साहिब है, जिसे सिखों का प्रमुख धार्मिक ग्रंथ माना जाता है. सिख धर्म में एक उच्चतम गुरु भगत सिंह और बंदे मार्क जैसे वीर योद्धाओं की भूमिका है, जिन्होंने अपने धर्म के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.
सिख धर्म में कृपाण रखने के कई कारण हैं
धार्मिक महत्व: कृपाण को सिख धर्म के पांच ककारों में से एक माना जाता है. गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना करते समय इन पांच ककारों को अनिवार्य बनाया था. कृपाण को सिखों के लिए आत्मरक्षा का प्रतीक माना जाता है. गुरु गोविंद सिंह जी ने सिखों को सिखाया था कि वे हमेशा ज़रूरतमंदों की रक्षा के लिए तैयार रहें. कृपाण को सिखों के लिए आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है. यह उन्हें अपने अहंकार को त्यागने और ईश्वर के प्रति समर्पित रहने की याद दिलाता है.
व्यावहारिक महत्व: कृपाण का उपयोग आत्मरक्षा के लिए किया जा सकता है. कृपाण का उपयोग भोजन काटने, रस्सियों को काटने और अन्य कार्यों के लिए भी किया जा सकता है. कृपाण सिखों के लिए एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी है. यह उन्हें अपनी पहचान और विरासत से जोड़ता है.
कानूनी स्थिति: भारत और कई अन्य देशों में सिखों को कृपाण रखने की अनुमति है. कुछ देशों में, सिखों को कृपाण रखने के लिए कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, जैसे कि कृपाण की लंबाई और आकार पर प्रतिबंध.
सिख धर्म में कृपाण का महत्वपूर्ण धार्मिक, व्यावहारिक और कानूनी महत्व है. यह सिखों के लिए आत्मरक्षा, आध्यात्मिक शक्ति, पहचान और विरासत का प्रतीक है.
Religion की ऐसी और खबरें पढ़ने के लिए आप visit करें newsnationtv.com/religion
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)
Don't Miss
वीडियो
IPL 2024
मनोरंजन
धर्म-कर्म
-
Akshaya Tritiya 2024: 10 मई को चरम पर होंगे सोने-चांदी के रेट, ये है बड़ी वजह
-
Fastest Growing Religion In The World: दुनिया में सबसे तेजी से फैल रहा है ये धर्म, हर जगह होगा इनका बोलबाला
-
Lo Shu Grid: ऐसे बनाएं अपना लोशु ग्रिड और जानें आपके भाग्य में राजयोग है या नहीं
-
Santoshi Mata ki Aarti: जीवन को खुशहाल बनाना चाहते हैं? तो शुक्रवार को पढ़ें मां संतोषी की ये आरती